जब भी आप स्टॉक्स की बात सुनते हैं, अक्सर ‘मार्केट कैप’ शब्द सुनते होंगे। लेकिन असल में इसका मतलब क्या है? सरल भाषा में कहें तो मार्केट कैप (Market Capitalization) किसी कंपनी की कुल वैल्यू का एक आँकड़ा है, जो शेयरों की संख्या को शेयर कीमत से गुना करके निकाला जाता है। यही आंकड़ा हमें बताता है कि कंपनी बाजार में कितनी बड़ी है।
कंपनी के पास कितने शेयर बाजार में उपलब्ध हैं, इसे ‘शेयर फ्लोट’ कहते हैं। अगर एक कंपनी के 10 करोड़ शेयर हों और हर शेयर की कीमत 100 रुपये हो, तो मार्केट कैप 1,000 करोड़ रुपये होगा। इस तरह की गणना से हम बड़ी, मध्यम और छोटी कंपनियों में अंतर समझ सकते हैं। आम तौर पर मार्केट कैप को तीन वर्गों में बाँटा जाता है:
इस वर्गीकरण से निवेशक अपने पोर्टफ़ोलियो में विविधता लाने में मदद पा सकते हैं।
मार्केट कैप देखना बहुत आसान है। किसी भी स्टॉक की जानकारी वाली वेबसाइट या ऐप में आप कंपनी का नाम लिखें, और उसके प्रोफ़ाइल पेज पर ‘Market Cap’ या ‘Market Capitalization’ लिखा मिलेगा। अगर आप कई कंपनियों की तुलना करना चाहते हैं, तो उसी पेज में ‘Market Cap’ को सॉर्ट कर सकते हैं।
मार्केट कैप का उपयोग करने का मुख्य फ़ायदा यह है कि आप अपनी रिस्क प्रोफ़ाइल के हिसाब से शेयर चुन सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप कम रिस्क वाले निवेश की तलाश में हैं, तो आप बड़ी कंपनियों (Large Cap) को पसंद करेंगे। वहीं, अगर आप हाई इक्विटी रिटर्न चाहते हैं और रिस्क भी ले सकते हैं, तो मध्यम और छोटी कंपनियों में थोड़ा निवेश कर सकते हैं।
ध्यान रखें कि मार्केट कैप अकेले ही सब कुछ नहीं बताता। कंपनी की कमाई, डिविडेंड, मैनेजमेंट की क्वालिटी और इंडस्ट्री की ग्रोथ भी देखनी चाहिए। मार्केट कैप को एक दिशा-निर्देश मानें, न कि अंतिम निर्णय।
मार्केट कैप को समझकर आप शेयर बाजार में अधिक आत्मविश्वास के साथ कदम रख सकते हैं। चाहे आप नई शुरुआत कर रहे हों या पहले से अनुभवी हों, इस बेसिक टूल से अपने निवेश को बेहतर बनाना अब आसान है।
2025 में क्रिप्टोकरेंसी मार्केट कैप 3.09 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच गया, जो इटली, कनाडा और ब्राज़ील के संयुक्त GDP से ज्यादा है। यह उछाल बिटकॉइन और एथेरियम की मजबूती, संस्थागत निवेश और बेहतर नियमों के चलते आया है। लगातार बढ़ती ट्रेडिंग वॉल्यूम और ऑन-चेन गतिविधियां भी इसे नया बुलिश साइकिल बता रही हैं।