चांदी की कीमतें 14 अक्टूबर 2025 को दिल्ली में रिकॉर्ड ₹1,89,000 प्रति किलोग्राम (₹189 प्रति ग्राम) तक पहुंच गईं, जिससे स्थानीय मिठाई निर्माताओं को बड़ा झटका लगा। दिल्ली में इस उछाल के पीछे वैश्विक आपूर्ति संकट, बढ़ती जियोपॉलिटिकल तनाव और दीवाली की मांग का संगम था।
भले ही MCX (Multicommodity Exchange) पर दिसंबर 2025 का फ्यूचर ₹1,58,848 पर ट्रेड हो रहा था, लेकिन स्पॉट ₹1,70,902 पर था, जिससे बाजार में असामान्य अंतर बना।
वैश्विक संदर्भ और कीमतों का विस्फोट
अमेरिकी COMEX पर 14 अक्टूबर को चांदी $53.45 प्रति औंस तक चली गई, जो अब तक का ऐतिहासिक उच्च था। इस उछाल का कारण प्रमुखतः दो कारक थे: (i) चीन‑अमेरिका के बीच नवीनीकृत व्यापार तनाव, और (ii) अमेरिकी सरकार के 13वें दिन शटडाउन का प्रभाव। मनव मोदी, विश्लेषक – प्रीशियस मेटल्स, Motilal Oswal Financial Services ने CNBC TV18 को बताया, “ETF में निवेश के प्रवाह में रुकावट ने सप्लाई दबाव बढ़ा दिया है; कीमतें निकट भविष्य में अस्थिर रह सकती हैं।”
सप्लाई‑साइड पर, लंदन में अचानक हुए शॉर्ट‑संक्शन ने ट्रेडर्स को भारी खरीदारी करने पर मजबूर किया, जिससे कीमतों में अतिरिक्त उछाल आया। आर्थिक टाइम्स के अनुसार, अक्टूबर 2025 में अकेले 22% की कीमत वृद्धि देखी गई, जबकि साल‑से‑आज (YTD) रिटर्न 79‑80% तक पहुंच गया।
भारत में कीमतों का उछाल और प्रीमियम वृद्धि
भारत में चांदी का स्पॉट मूल्य 13 अक्टूबर को ₹1,70,902/kg से 14 अक्टूबर को ₹1,89,000/kg तक बढ़ा। आयात शुल्क, कर और GST (3%) की वजह से भारतीय बाजार में प्रीमियम 5‑10% तक पहुंच गया। वित्तीय एक्सप्रेस ने बताया कि इस प्रीमियम के कारण सिल्वर ETFs ने नई सब्सक्रिप्शन रोक दी, जबकि उनका NAV मूल कीमत से काफी नीचे गिरा।
MCX पर दिसंबर 2025 का फ्यूचर 14 अक्टूबर को 10:22 एएम तक ₹1,61,731/kg तक बढ़ा, जो पिछले सत्र से 4.6% की उछाल थी। फिर भी फ्यूचर स्पॉट से लगभग ₹12,000 कम था, जिससे ट्रेडर्स को ‘कॉन्टैगियो’ (असंगतता) का सामना करना पड़ा।
दीवाली की मिठाई उद्योग पर असर
परंपरागत मिठाई‑निर्माता अपने हलकों में चांदी के वारक (फॉइल) का उपयोग करते हैं। लेकिन अब ₹5/ग्राम से बढ़कर ₹8/ग्राम तक की कीमत में इजाफा हुआ, जिससे कई दुकानें अपने डिज़ाइन में बदलाव कर रही हैं।
बख़्तैार K. इरानी, प्रबंध निदेशक Parsi Dairy Farm ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया, “वर्तमान में वारक की लागत 10‑15% बढ़ी है, पर हमने मिठाइयों की कीमत नहीं बढ़ाई।” इसी तरह, दिल्ली के ‘खोया मिठाई’ के संस्थापक सिद माथुर ने कहा, “हम कुछ डिज़ाइन बदल रहे हैं ताकि वारक की खपत कम हो सके।”
अगरा स्थित दो‑सेंचुरी‑पुरानी ‘भगत हलवाई’ के मालिक शिवम् भगत ने बताया कि “वारक की कीमत पिछले दीवाली से ₹5 से बढ़कर ₹8 हो गई है, पर हम परम्परा को बनाए रखने की कोशिश करेंगे।”

निवेशकों और बाजार की प्रतिक्रिया
ऊँची कीमतों के कारण भौतिक सिल्वर कोइन्स, बार और डिजिटल सिल्वर की माँग बढ़ी है, जबकि ETFs के सब्सक्रिप्शन बंद हो गए हैं। आर्थिक टाइम्स ने कहा, “छोटा निवेशक 999 शुद्धता वाले कोइन्स या 925 स्टर्लिंग सिल्वर बार को पसंद कर रहा है, लेकिन 3% GST का बोझ उन्हें सतर्क कर रहा है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कीमत $50 (लगभग ₹1,50,000) से ऊपर बनी रही तो अगले लक्ष्य $55 (₹1,75,000) हो सकते हैं। इंदिया टुडे ने 13 अक्टूबर को रिपोर्ट किया, “वॉल्यूम‑आधारित शॉर्ट‑संक्शन और औद्योगिक मांग (इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर, ऑटो) के कारण कीमतें आगे भी ऊँची रह सकती हैं।”
भविष्य की सम्भावनाएँ और संभावित परिदृश्य
अगर वैश्विक आपूर्ति में सुधार नहीं हुआ, तो चांदी की कीमतें 2025 के अंत तक ₹2,00,000/kg से ऊपर जा सकती हैं। दूसरी ओर, अगर अमेरिकी फेड की रेट कटिंग देर से आती है, तो कीमतें स्थिर हो सकती हैं। इस बीच, सरकार की आयात नीति और GST बदलाव भी प्रीमियम को घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
चांदी की कीमत में इस उछाल का मुख्य कारण क्या है?
वैश्विक आपूर्ति में तंगाई, US‑China व्यापार तनाव, और अमेरिकी शटडाउन के साथ-साथ दीवाली की मौसमी मांग ने मिलकर कीमतों को ऐतिहासिक हाई पर पहुंचा दिया।
दीवाली के दौरान मिठाई निर्माताओं को किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा?
वारक की कीमत में 60% से अधिक वृद्धि कारण, कई मिठाई की दूकानों को डिज़ाइन बदलना पड़ेगा या ग्राहक को कीमत बढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है, जैसा कि बख़्तैार इरानी और सिद माथुर ने बताया।
निवेशकों को अब सिल्वर ETFs के बजाय कौन‑से विकल्प पर विचार करना चाहिए?
चूँकि ETFs ने नई सब्सक्रिप्शन रोक दी है, भौतिक कोइन्स और बार (999 या 925 शुद्धता) तथा डिजिटल सिल्वर प्लेटफ़ॉर्म अधिक भरोसेमंद विकल्प बने हैं, पर 3% GST को ध्यान में रखना आवश्यक है।
भविष्य में कीमतें $55 (₹1,75,000) तक पहुंचने की कितनी संभावना है?
यदि वैश्विक सप्लाई में सुधार नहीं होता और औद्योगिक व दीवाली की मांग बनही रहे, तो $55 का लक्ष्य यथार्थ बन सकता है। फेड की रेट कटिंग में देरी इस रेंज को और मजबूत कर सकती है।
क्या सरकार की आयात नीति इस प्रीमियम को घटा सकती है?
यदि आयात ड्यूटी और GST में रियायत दी जाती है, तो भारत में सिल्वर प्रीमियम 5‑10% से घटकर 2‑3% हो सकता है, जिससे स्थानीय उद्योग और निवेशकों को राहत मिलेगी।
Halbandge Sandeep Devrao
अक्तूबर 15, 2025 AT 01:56चांदी के मूल्यवृद्धि की मौलिक कारणों का विश्लेषण करने पर आर्थिक संरचना तथा भू-राजनीतिक तनाव का सिस्मिक समाकलन स्पष्ट होता है। मौजूदा वैश्विक आपूर्ति सीमितता, COMEX पर प्रीमियम एवं भारतीय आयात शुल्क का द्विगुणित प्रभाव इस चरण में अद्वितीय माना जा सकता है। दीवाली के मौसमी अनुपात में उपभोक्ता‑संकट का परिमाण भी इस तीव्रता को बढ़ाता है, जिससे फ्यूचर‑स्पॉट असंगति उत्पन्न होती है। अतः निवेशकों को इस बहु‑आयामी जोखिम‑परिदृश्य को बहु‑परस्पर‑वित्तीय मानकों के आधार पर पुनः मूल्यांकन करना आवश्यक है।