जून 2025 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने वित्तीय वर्ष 2025‑26 के लिए एक विस्तृत ITR जांच दिशा‑निर्देश जारी किया है। यह निर्देश पारम्परिक जोखिम‑आधारित चयन को पीछे छोड़कर एक नियम‑आधारित ढाँचा पेश करता है, जहाँ छह विशिष्ट वर्गों के टैक्सपेयर्स को बिना किसी अतिरिक्त अल्गोरिदमिक फ़िल्टर के सीधे जांच के दायरे में लाया जाएगा।
नया नियम कौन‑सी श्रेणियों को कवर करता है?
रहस्योद्घाटन के बाद CBDT ने बताया कि नीचे दी गई छह श्रेणियों में शामिल सभी रिटर्न स्वचालित रूप से धारा 143(2) के तहत विस्तृत जाँच के लिए चुने जाएंगे:
- सर्वे केस: 1 अप्रैल 2023 के बाद धारा 133A के तहत किए गए सभी सर्वेक्षण के रिटर्न।
- खोज और अनुरोध ऑपरेशन: 1 अप्रैल 2023 से 31 अगस्त 2024 तक धारा 132/132A के तहत किए गए खोज एवं अनुरोध वाले केस। 1 सितम्बर 2024 के बाद केवल वहाई कार्य जो AY 2025‑26 से सम्बंधित हैं, उनका ही चयन होगा।
- ITR‑7 छूट दावेदार: चैरिटेबल ट्रस्ट, वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान या धारा 80G के तहत दान प्राप्त करने वाले लेकिन जिनकी पंजीकरण रद्द या अस्वीकृत हुई है, उनके रिटर्न।
- बार‑बार दोहराए जाने वाले टैक्स मुद्दे: वही मुद्दे जिन्हें पहले के आकलन में उठाया गया था और अब फिर से आय में जोड़ दिया गया है, ऐसे सभी रिटर्न।
- कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जानकारी: पुलिस, आर्थिक अपराध एंटी‑मनी लॉन्ड्रिंग (FINML) जैसे संस्थानों द्वारा भेजी गई विशिष्ट सूचना वाले रिटर्न।
- टैक्स एवेज़न अलर्ट: विभिन्न एंटी‑टैक्स अवरोधन तंत्रों द्वारा पकड़े गये केस।
इनमें से प्रत्येक वर्ग को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है ताकि टैक्स विभाग कोई भी केस छूट न सके और प्रक्रियात्मक पारदर्शिता बनी रहे।
प्रक्रिया, समयसीमा और टैक्सपेयर की तैयारियाँ
एक बार जब रिटर्न का चयन हो जाता है, तो टैक्सदाता को धारा 143(2) के तहत नोटिस प्राप्त होगा। यह नोटिस फेशलेस असेस्मेंट स्कीम (Faceless Assessment) के माध्यम से जारी किया जाएगा, जिससे मानवीय हस्तक्षेप कम हो और प्रक्रिया तेज़ तथा निष्पक्ष रहे। नोटिस के बाद ऑनलाइन पोर्टल पर सभी प्रमाण‑पत्र, लेन‑देनों की कॉपी, बैंक स्टेटमेंट और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करने होंगे।
FY 2024‑25 (AY 2025‑26) में दायर किए गए रिटर्नों के लिए नोटिस 30 जून 2025 से पहले भेजे जाने की कठोर समय सीमा तय की गई है। यह त्वरित कार्रवाई टैक्स विभाग को संभावित छुपी आय को जल्दी पहचानने और संग्रहित करने में मदद करेगी।
टैक्सदाताओं को सलाह दी गई है कि वे इस नई नियमावली को गंभीरता से लें और अपनी अकाउंटिंग प्रैक्टिस को पुनः देखें। विशेषकर उन कंपनियों और फंडों को जो धारा 133A या 132/132A के तहत पहले ही जांच में रहे हैं, उन्हें अब सभी लेन‑देनों की विस्तृत बहीखाता तैयार रखनी चाहिए। इसके अलावा, ITR‑7 फाइल करने वाले चैरिटेबल संस्थाओं को अपनी पंजीकरण स्थिति को नियमित रूप से अपडेट करना आवश्यक होगा, ताकि अनावश्यक जाँच से बचा जा सके।
कानूनी आधार के तौर पर यह नियम धारा 143(2) के तहत आता है, जिससे आय‑कर विभाग को विस्तृत जाँच का अधिकार है। CBDC ने इस दिशा‑निर्देश में कुछ विशेष प्रावधान भी जोड़े हैं, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय टैक्स एवं सेंट्रल टैक्सेशन चार्जेज़ के मामलों में अतिरिक्त जाँच प्रक्रिया।
व्यापक प्रभाव के संदर्भ में, इस नई नीति से टैक्स प्रशासन को अधिक व्यवस्थित, पारदर्शी और लक्ष्य‑उन्मुख बनाना अपेक्षित है। सर्वे केस और खोज‑ऑपरेशन पर विशेष ध्यान दे कर, विभाग निरंतर टैक्स चोरी और छिपी आय को सामने लाने में सक्षम होगा। साथ ही, यह व्यवस्था टैक्सपेयर्स को भी चेतावनी देती है कि वे सभी वित्तीय लेन‑देन का रिकॉर्ड रख कर रखें, क्योंकि स्वच्छ रिकॉर्ड रखने से अनावश्यक जाँच से बचा जा सकता है।