ट्रैविस हेड को 85 रन, युवराज सिंह को पीछे छोड़ने का बड़ा मौका
Travis Head को सिर्फ 85 रन चाहिए युवराज सिंह के 1177‑रन के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ने के लिए, जो ऑस्ट्रेलिया‑दक्षिण अफ्रीका टूर में संभव होगा।
जब Yuvraj Singh, एक बाएँ हाथ के ओपनिंग बैट्समैन और अपर कंट्री शॉट्स वाले फास्टर हैं, जो 2000‑के दशक में भारतीय टीम की बायें‑हाथ की ताकत बने. वह अक्सर ‘भाई’ के रूप में पुकारा जाता है, क्योंकि उसकी आत्मा टीम के भीतर भाईचारे को दर्शाती है। उसके बारे में बात करते समय दो प्रमुख संस्थाएँ सामने आती हैं – भारतीय क्रिकेट टीम, देश की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय टीम, जो टेस्ट, ODI और T20 में प्रतिस्पर्धा करती है और IPL, इंडियन प्रीमियर लीग, दुनिया की सबसे बड़ी फ्रैंचाइज़्ड टे Twenty‑20 लीग. ये दोनों संस्थाएँ Yuvraj के करियर को आकार दे चुकी हैं, जबकि 2011 का विश्व कप (एक और विश्व कप 2011, बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका में आयोजित ICC आयोजन) उसे अंतरराष्ट्रीय चमक provides किया। यही कारण है कि आज भी उसकी कहानी सुनना कई लोगों के लिए प्रेरणादायक लगता है।
Yuvraj ने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय डेब्यू 2000 में की, लेकिन असली ब्रेकथ्रू 2004 के टूर में आया जब उसने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 6‑विक्टरी का रिकॉर्ड तोड़ दिया। उसके बाद से, वह "स्टॉर्मर" के नाम से मशहूर हुआ – तेज़ बॉलिंग के खिलाफ भी अपने लघु गेंदों से विकेट लेते रहे। 2007 में ICC विश्व T20 में "Man of the Tournament" बने और 2008 में "इंडियन हॉपी" की खिताबी लीग में सबसे अधिक रनों की सूची में शीर्ष पर रहे। इन उपलब्धियों ने दर्शाया कि Yuvraj Singh का खेल शैली सिर्फ पावर नहीं, बल्कि तकनीकी समझ भी रखती है।
2011 का विश्व कप वह मोड़ था जहाँ Yuvraj ने "6‑6‑6" का उल्लेखनीय ओवर फेंका, जिसने भारत को पाकिस्तान के खिलाफ जीत दिलाई। यह ओवर सिर्फ रनों की संख्या नहीं, बल्कि तनावपूर्ण स्थिति में तेज़ निर्णय लेने की क्षमता दर्शाता है। उसी साल, IPL में वह सूरत से बेंगलुरु के रॉयल चैलेंजर्स (RCB) के लिए खेला, जहाँ उसकी बाएँ हाथ की फायरिंग और फील्डिंग ने टीम को कई जीत दिलाई। वह 2012 में RCB के दिग्गजों में से एक बना, और 2014 में किंग्स इलेवन पंजाब (KXIP) के लिये भी चमका, जहाँ उसे "Player of the Match" का कई बार सम्मान मिला।
ऐतिहासिक उपलब्धियों के बीच Yuvraj की निजी लड़ाई भी कम नहीं थी। 2011 में उसे लुकेमिया का निदान हो गया, जिससे अनेक लोग शॉक हुए। लेकिन उसने कैंसर से लड़ते हुए 2012 में फिर से अंतरराष्ट्रीय मैदान पर वापसी की, और कई मैचों में फिजिकल सीमाओं के बावजूद शानदार प्रदर्शन किया। इस संघर्ष ने उसे "गैजेट" बनाकर उभारा, जहाँ वह न केवल खेल में बल्कि कैंसर जागरूकता और रक्तदान अभियानों में भी सक्रिय है। उसके इस कदम ने कई युवा खिलाड़ियों को स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहने का संदेश दिया।
जब हम Yuvraj की कहानी को समझते हैं, तो तीन मुख्य कड़ी उभर कर आती हैं: 1) वह "भारतीय क्रिकेट टीम" का अभिन्न हिस्सा रहा, जो उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाता है; 2) "IPL" ने उसे युवा दर्शकों के साथ जोड़ा, जहाँ उसकी खेल शैली को नई पीढ़ी ने अपनाया; 3) "विश्व कप 2011" ने उसकी क्लच परफॉर्मेंस को विश्व स्तर पर स्थापित किया। इन सभी कड़ियों ने मिलकर Yuvraj को एक बहुपक्षीय खिलाड़ी बनायुक्त किया – बैट, फील्डर, और सामाजिक कार्यकर्ता।
अब आप नीचे सूचीबद्ध लेखों में Yuvraj से जुड़ी विभिन्न पहलुओं को देख पाएँगे – चाहे वह उनकी करिश्माई बैटिंग के आंकड़े हों, IPL में उनके यादगार क्षण, या कैंसर से जीत की प्रेरक कहानी। हर लेख एक नया पहलू उजागर करता है, इसलिए आगे पढ़ते समय आप उनके व्यापक योगदान को और गहराई से समझेंगे।