भारत में यूएसएआईडी परियोजनाओं पर विदेशी सहायता रोक का प्रभाव
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विदेशी सहायता रोक के निर्णय ने भारत में प्रमुख यूएसएआईडी (अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी) परियोजनाओं को सीधा प्रभावित किया है। यह हस्तक्षेप विशेष रूप से महत्वपूर्ण स्वास्थ्य और शिक्षा कार्यक्रमों में बाधा उत्पन्न कर रहा है। भारत में जिन परियोजनाओं को बंद होने का खतरा है, उनमें तपेदिक (टीबी) उन्मूलन, एचआईवी/एड्स रोकथाम, मातृ स्वास्थ्य की पहल, साक्षरता कार्यक्रम और कृषि विकास योजनाएं शामिल हैं।
एनजीओ के लिए संचालन संबंधी चुनौतियाँ
इन परियोजनाओं के रुक जाने से भारत में कार्यरत गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को संचालन संबंधी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कई संगठन इन परियोजनाओं पर निर्भर थे और अब उन्हें वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञ चिंतित हैं कि इन परियोजनाओं के बंद होने से कई भारतीय नागरिकों की अनिवार्य जरूरतें पूरी नहीं हो पाएंगी।
यूएसएआईडी और राज्य विभाग का विलय
इन बाधाओं के अतिरिक्त, ट्रंप ने यूएसएआईडी को राज्य विभाग में विलय करने पर भी विचार किया है। साथ ही, उन्होंने इरादे जताए हैं कि एलन मस्क जैसे उद्योगपतियों को समावेश कर विदेशी सहायता की प्रक्रियाओं में दक्षता बढ़ाई जाए। यह कदम स्पष्ट रूप से प्रशासन की प्राथमिकताओं में सहायक हो सकता है, परंतु इसका वास्तविक प्रभाव उन लोगों पर पड़ रहा है जो इन सहायता परियोजनाओं पर निर्भर हैं।
अंतरराष्ट्रीय नीति में बदलाव का संकेत
यह निर्णय अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय नीति में बदलाव का संकेत देता है, जिसका असर सीधे तौर पर भारत जैसे विकासशील देशों पर हो रहा है। ट्रंप की नीति ने स्पष्ट संकेत दिया है कि अमेरिकी सहायता उनके प्रशासन की प्राथमिकताओं के अनुरूप होगी, जिससे कई सेक्टरों में भारत के साथ चल रही साझेदारियाँ प्रभावित हो रही हैं।
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