युवाओं पर प्रभाव: क्या असर है और कैसे बदलें?

हर दिन हम देखते हैं कि नई टेक्नोलॉजी, सोशल मीडिया और बदलती ज़िन्दगी कैसे जवान लोगों को घेर लेती है। लेकिन जब बात असर की आती है, तो सिर्फ़ फ़ॉलोअर्स या लाइक्स नहीं, बल्कि उनके सोच, पढ़ाई और काम चुनने की क्षमता भी बदलती है। अगर आप भी जानते हैं कि ये प्रभाव कैसे काम करते हैं, तो आप या आपके बच्चे की दिशा सही रख सकते हैं।

सामाजिक प्रभाव

आजकल व्हाट्सएप ग्रुप, इंस्टाग्राम और टिक टॉक हर युवा की ज़िन्दगी में चाहिए। इन प्लेटफ़ॉर्म पर मिलने वाले ट्रेंड्स अक्सर फैशन, भाषा और सोच को जल्दी‑जल्दी बदल देते हैं। एक दोस्त का मज़ाक, या वायरल वीडियो देख कर जल्दी‑जल्दी राय बन जाती है। यही वजह है कि कई बार असली अनुभव के बजाय ऑनलाइन चीज़ें ज्यादा भरोसेमंद लगती हैं। इसको समझकर, युवा खुद को एक सीमित समय के लिए स्क्रीन से दूर रख सकते हैं, या सही कंटेंट चुन सकते हैं।

दूसरा बड़ा सामाजिक असर है समूह दबाव। स्कूल, कॉलेज या काम की जगह में साथियों की राय बहुत भारी पड़ती है। अगर सब हाई‑रैंकिंग कॉलेज की बात कर रहे हों, तो कोई कम अंक वाला छात्र भी वही करना चाहता है, चाहे वह उसके इंट्रेस्ट के हिसाब से सही न हो। इस दबाव से बचने के लिए, अपने लक्ष्य को लिखें, और उन लोगों से जुड़ें जो आपके सपनों को सपोर्ट करते हैं।

शिक्षा और करियर पर प्रभाव

शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल लर्निंग बहुत बढ़ी है। अब कोई भी ऑनलाइन कोर्स या यूट्यूब ट्यूटोरियल से नई स्किल सीख सकता है। लेकिन कभी‑कभी यह एकतरफ़ा सीखने की वजह बन जाता है, जहाँ प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस नहीं मिलता। इसलिए, जो भी नई चीज़ सीखें, उसे प्रोजेक्ट या इंटर्नशिप के ज़रिए लागू करना ज़रूरी है। इससे रिज़्यूमे भी मजबूत होता है और आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

करियर की बात करें तो कई युवा अभी भी पैरेंट्स के बताए हुए नौकरी के रास्ते पे चलना पसंद करते हैं। जबकि आज के समय में फ्रीलांस, स्टार्ट‑अप या रिमोट जॉब भी बहुत भरोसेमंद हैं। अगर आप अपनी रुचियों को समझते हैं, तो एक छोटा‑सा साइड प्रोजेक्ट शुरू करें। इससे पता चलेगा कि असली में क्या करना चाहते हैं, और बाद में बड़े फैसले आसानी से ले सकेंगे।

मानसिक स्वास्थ्य भी असर का बड़ा हिस्सा है। लगातार स्कोर, लाइक्स या फॉलोअर्स की तुलना करने से तनाव बढ़ता है। यह तनाव पढ़ाई या काम में भी दिखता है। अगर आप या आपका बच्चा ऐसा महसूस करे, तो दिन में कम से कम 30 मिनट बाहर चलें, या ध्यान (मेडिटेशन) करें। छोटे‑छोटे ब्रेक बर्नआउट को रोकते हैं और फोकस को फिर से तेज़ कर देते हैं।

सारांश में, सामाजिक मीड़िया, समूह दबाव, डिजिटल शिक्षा और करियर विकल्पों का मिलाजुला असर युवाओं के भविष्य को तय करता है। लेकिन सही जानकारी, सीमित स्क्रीन टाइम, साइड प्रोजेक्ट और मानसिक फ़िटनेस के साथ आप इस असर को सकारात्मक बना सकते हैं। तो अगली बार जब कोई नया ट्रेंड आए, तो एक बार सोचें, क्या यह आपके लक्ष्य में मदद करेगा या बस एक झलक है।

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024: युवाओं को 'फैशनेबल प्रैक्टिस' के रूप में धूम्रपान नहीं देखने की सलाह

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024: युवाओं को 'फैशनेबल प्रैक्टिस' के रूप में धूम्रपान नहीं देखने की सलाह

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024 पर आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SVIMS) में आयोजित कार्यक्रम में युवाओं को धूम्रपान को 'फैशनेबल अभ्यास' के रूप में नहीं देखने की सलाह दी गई। कार्यक्रम में SVIMS के निदेशक और कुलपति आर.वी. कुमार ने तंबाकू के गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों पर जोर दिया। इसके अलावा, इस साल का विषय 'तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बच्चों की सुरक्षा' पर भी रिपोर्‍ट प्रस्तुत की गई।

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