जब मिथुन मानहास, पूर्व दिल्ली कप्तान ने 28 सितंबर 2025 को वांखेख़े स्टेडियम, मुंबई में बीसीसीआई के 94वें वार्षिक सामान्य सभा (AGM) में बिना किसी विरोधी के 37वें अध्यक्ष का पद ग्रहण किया, तो भारतीय क्रिकेट के प्रशंसकों को नया आशावाद महसूस हुआ। यह इस बात का संकेत था कि क्रिकेट के मैदान से लेकर प्रशासन तक, दो दशक से अधिक समय में पहली बार एक पूर्व खिलाड़ी फिर से बैन्य, सॉरण गांगुली के बाद इस दायित्व को संभालेगा। इसी समझौते के साथ, बीसीसीआई की शीर्ष प्रबंधन संरचना में कई बदलाव भी हुए। राजीव शुक्ला, जो अस्थायी रूप से अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे थे, अब वही उपाध्यक्ष बने रहेंगे। साथ ही, देवजीत सैकिया को बोर्ड सचिव के रूप में कायम रखा गया, जबकि ए. रघुराम भट को नया कोषाध्यक्ष घोषित किया गया।
इतिहास में यह अध्याय कहाँ फिट बैठता है?
बीसीसीआई ने पहले दो बार ही एक खिलाड़ी को अपना अध्यक्ष बनाया था – सॉरण गांगुली (2019‑2022) और रॉजर बैन्य (2022‑2025)। दोनों ने अपने‑अपने काल में बोर्ड को वित्तीय रूप से मजबूत करने, आईपीएल को विश्व स्तर पर चमकाने और घरेलू‑अंतरराष्ट्रीय खेलने की संरचना को पुनः व्यवस्थित करने में अहम भूमिका निभाई। मिथुन मानहास का चयन, इसलिए, सिर्फ एक संवैधानिक बदलाव नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संकेत है कि बोर्ड अब ‘खिलाड़ी‑परिप्रेक्ष्य’ को फिर से महत्व देना चाहता है।
नए कार्यकारिणी के प्रमुख पदनाम और उनके अर्थ
- अध्यक्ष – मिथुन मानहास: बिल्कुल भी स्थायी वेतन नहीं, लेकिन घरेलू बैठकों के लिये ₹40,000 और अंतरराष्ट्रीय बैठकों के लिये $1,000 (लगभग ₹89,000) प्रतिदिन की अलाउंस मिलती है।
- उपाध्यक्ष – राजीव शुक्ला: वही भूमिका, जिसके तहत वह बोर्ड की नीति‑निर्धारण में प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
- सचिव – देवजीत सैकिया: महाविद्यालयीय स्तर पर प्रशासनिक कार्यों का बंटवारा करना उनका काम रहेगा।
- संयुक्त सचिव – प्रभतेज सिंह भटिया: नई भूमिका, जो पहले कोषाध्यक्ष थे।
- कोषाध्यक्ष – ए. रघुराम भट: कर्नाटक एससीए के पूर्व अध्यक्ष, अब राष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय प्रबंधन संभालेंगे।
इन पदों की नियुक्ति के पीछे मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और राजस्व‑संबंधी निर्णयों में विविधता लाना माना जा रहा है।
मुख्य खिलाड़ियों की प्रतिक्रियाएँ
बीसीसीआई के कार्यकारी निदेशक सर रवींद्र महाजन ने कहा, “मिथुन का प्रशासनिक परिप्रेक्ष्य, उनके खेले हुए खेल से परे, खिलाड़ियों और बुनियादी ढांचे दोनों को समझता है।” वहीं, भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मुझे विश्वास है कि मानहास साहब के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट का भविष्य उज्ज्वल रहेगा।” राजीव शुक्ला ने कहा, “यह मेरा सौभाग्य है कि मैं इस नई टीम के साथ काम करूँगा, और हम मिलकर बीसीसीआई को अधिक जिम्मेदार और जवाबदेह बनाएँगे।”
बीसीसीआई की भूमिका और आर्थिक शक्ति
विश्व में सबसे धनाढ्य क्रिकेट बोर्ड के रूप में बीसीसीआई का वार्षिक आय लगभग $5.5 बिलियन (लगभग ₹4.6 लाख करोड़) है, जिसमें सबसे बड़ा भाग आईपीएल से आता है। यह न केवल भारत में बल्कि वैश्विक क्रिकेट में भी खेल‑परिवर्तनकारी निर्णयों का स्रोत है। इससे नए अध्यक्ष को न केवल खेल‑नीति, बल्कि टेलीविजन अधिकार, स्पॉन्सरशिप, और युवा विकास कार्यक्रमों में भी समझदारी से कार्य करना होगा।
आगामी चुनौतियाँ और संभावित रास्ते
हालाँकि मानहास ने अपने पद स्वीकार करते हुए कहा, “यह एक बड़ा सम्मान है, और मैं इसे पूरी निष्ठा, उत्साह और प्रतिबद्धता से निभाऊँगा।” लेकिन तुरंत सामने दो बड़ी चुनौतियाँ उभरती हैं:
- आईपीएल की वैधता और फ्रैंचाइज़ी मॉडल को अनुकूलित करना, विशेषकर जब अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर में परिवर्तन हो रहे हैं।
- महिला क्रिकेट और बुनियादी स्तर पर खेल‑इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ बनाना, ताकि भारत का भविष्य‑प्रति‑विकास सुनिश्चित हो सके।
इनके अलावा, घरेलू टूर, भरती‑परीक्षण प्रणाली, और कॉरिडोर‑टूर की व्यवस्था को पुनः संरचित करना भी तत्परता की मांग करता है।
भविष्य की राह – क्या बदलाव आएँगे?
विशेषज्ञ मानते हैं कि मानहास का खेल‑प्रसंग से जुड़ाव बोर्ड को अधिक खिलाड़ियों‑‑केन्द्रित नीतियों की ओर ले जा सकता है। संभावित एग्जीक्यूटिव शेड्यूल में युवा प्रतिभाओं के लिए अधिक मंच, डिजिटल टोकन‑आधारित टिकटिंग, और सतत् पर्यावरण‑सुरक्षा कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं।
पृष्ठभूमि एवं इतिहास का सारांश
बीसीसीआई की स्थापना 1928 में हुई थी, और तब से यह भारत में क्रिकेट को शासित करने वाली संस्था बनी हुई है। 2000 के दशक में इसे अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के साथ संरेखित करने के लिए कई सुधारों से गुज़रा, जिनमें 2003‑2004 में बोर्ड को स्वयं‑शासन देने वाले नियम शामिल थे। आज का बोर्ड सिर्फ खेल नहीं, बल्कि एक बहु‑बिलियन‑डॉलर का व्यवसायिक इकाई है, जिसका प्रभाव भारत के सामाजिक‑सांस्कृतिक मंच पर गहरा है।
Frequently Asked Questions
मिथुन मानहास का चुनाव किस तरह का था?
28 सितंबर 2025 को बीसीसीआई के 94वें AGM में मानहास के खिलाफ कोई अन्य उम्मीदवार नहीं खड़ा हुआ, इसलिए उन्हें बिना प्रतिद्वंद्विता के 37वें अध्यक्ष का पद मिला। यह प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग और सदस्य संसद के बहुमत द्वारा स्वीकृत हुई।
नए अध्यक्ष को मिलने वाली वित्तीय सुविधाएँ क्या हैं?
मानहास को कोई स्थायी वेतन नहीं मिलेगा, लेकिन वे घरेलू बैठकों के लिये ₹40,000 और अंतरराष्ट्रीय बैठकों के लिये $1,000 (लगभग ₹89,000) प्रतिदिन की अलाउंस प्राप्त करेंगे। इसके अलावा उनके लिए आवास, यात्रा, और कार्यालय खर्चों का पूर्ण कवरेज भी है।
बीसीसीआई के नए कोषाध्यक्ष कौन हैं?
ए. रघुराम भट, जो 2022‑2025 तक कर्नाटक एससीए के अध्यक्ष रहे, अब राष्ट्रीय स्तर पर कोषाध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे। उनका मुख्य लक्ष्य बोर्ड की वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।
मिथुन मानहास के राष्ट्रपति बनने के बाद क्या बदलाव की उम्मीद है?
विशेषज्ञों का मानना है कि उनका खिलाड़ी‑परिप्रेक्ष्य बोर्ड को अधिक खिलाड़ियों‑केन्द्रित नीति, युवा विकास इन्फ्रास्ट्रक्चर और महिला क्रिकेट के लिए नई पहलें लाने में मदद करेगा। साथ ही, आईपीएल के वैधता मॉडल और अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर को अनुकूलित करने के लिए नई रणनीतियों की संभावना है।
बीसीसीआई के भविष्य में कौन‑से बड़े चुनौतियाँ सामने हैं?
आगामी चुनौतियों में आईपीएल की वैधता सुनिश्चित करना, घरेलू व अंतरराष्ट्रीय शेड्यूल का संतुलन बनाना, और युवा‑स्तर के क्रिकेट को वित्तीय और बुनियादी ढांचा प्रदान करना शामिल है। इन सबको संभालने में नया अध्यक्ष और उनका कार्यकारिणी टीम महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
shubham rai
सितंबर 29, 2025 AT 17:48बस एक लाइन में: अब तो बीसीसीआई भी बॉलीवुड बन गया है।
Gaurang Sondagar
अक्तूबर 1, 2025 AT 13:57खिलाड़ी अध्यक्ष बने तो अब खेल के बाहर भी चार चांद लगेंगे ना यार ये सब नाम लेकर अपनी तस्वीरें डालने का मजा है भाई
Divya Tiwari
अक्तूबर 2, 2025 AT 17:53ये सब बहुत अच्छा है लेकिन क्या हुआ उस बच्चे का जिसने 12 साल की उम्र में अपनी बहन के लिए बाल्टी में पानी भरकर ट्रेनिंग की थी और अब उसकी बहन दिल्ली में बाइक चला रही है और बीसीसीआई के ऑफिस के बाहर फोटो लगवा रही है जहां इन सब के नाम लिखे हैं जो उसकी जिंदगी को बदलने की बजाय उसके नाम को भूल गए
हमें ये नहीं चाहिए कि बीसीसीआई बदले हमें चाहिए कि भारत के हर गांव का बच्चा जिसके पास लकड़ी की बल्ला है और टायर का गेंद है उसके लिए एक जगह हो
इन लोगों को बाहर जाकर एक बार बिहार के गांव में जाना चाहिए जहां बच्चे गंगा के किनारे ट्रेनिंग करते हैं और उनकी बाल्टी में पानी भरने के बाद भी उनके पास नहीं होता कि वो अपने पापा के लिए दूध ले आए
हमें नए अध्यक्ष की जरूरत नहीं हमें नए खिलाड़ियों की जरूरत है जो इस देश के गरीबों के लिए खेलें न कि इनके लिए जो अपने घरों में एसी के नीचे बैठकर फेसबुक पर लिखते हैं कि ये बहुत अच्छा हुआ
मैं नहीं चाहता कि कोई नया अध्यक्ष आए मैं चाहता हूं कि कोई नया दिमाग आए जो सोचे कि ये खेल हमारा है न कि इनका
मैं नहीं चाहता कि कोई बात करे मैं चाहता हूं कि कोई करे
इन लोगों को याद दिलाना होगा कि खेल वो नहीं है जो टीवी पर चलता है खेल वो है जो गांव के बच्चे बिना जूते के खेलते हैं
अगर आप बीसीसीआई के अध्यक्ष बने तो अपनी पहली बैठक में बताइए कि आपने आज तक कितने बच्चों को बल्ला और गेंद दी है
मैं इस बार नहीं चाहता कि कोई नया नाम आए मैं चाहता हूं कि कोई नया दिल आए
हमें नए अध्यक्ष की नहीं हमें नए सपनों की जरूरत है
Nadia Maya
अक्तूबर 3, 2025 AT 02:22अरे भाई ये तो एक नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं बल्कि एक नए नाटक का आरंभ है जिसमें खिलाड़ियों को अभिनेता बनाया जा रहा है और बोर्ड को एक बड़ा स्टूडियो
ये सब तो बहुत सुंदर है लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि जब एक खिलाड़ी अध्यक्ष बनता है तो क्या वो अपने दिन के अंत में अपने बेटे को बताता है कि आज मैंने एक गांव के बच्चे के लिए एक बल्ला खरीदा या बस एक नई लिमोजिन बुक कर दी
इस दुनिया में जब तक खेल को बिजनेस के बजाय सांस्कृतिक विरासत नहीं माना जाएगा तब तक ये सब बस एक नाटक होगा जिसमें आप सब अभिनेता हैं
हम इतने बड़े बोर्ड के बारे में बात कर रहे हैं लेकिन क्या हमने कभी एक छोटे से गांव के बच्चे के बारे में सोचा जिसने अपने पापा के पुराने जूते में गेंद बांधकर खेला है
ये सब बहुत अच्छा है लेकिन क्या ये बदलाव वास्तविक है या बस एक बड़ा फिल्मी सीन है जिसमें एक आदमी अध्यक्ष बनता है और सब तालियां बजाते हैं
मैं नहीं चाहता कि कोई नया अध्यक्ष आए मैं चाहता हूं कि कोई नया दर्शन आए
खेल तो वो है जो आपके दिल में बैठता है न कि जो आपके बैंक खाते में जाता है
Karan Kacha
अक्तूबर 4, 2025 AT 13:14मैंने इस पूरे विषय को गहराई से अध्ययन किया है और मुझे लगता है कि ये बदलाव बहुत गहरे और बहुत संवेदनशील हैं जिन्हें बहुत सारे लोग नहीं समझ पा रहे हैं और ये बहुत दुखद है क्योंकि ये बदलाव भारतीय क्रिकेट के भविष्य को बदल सकते हैं लेकिन इसके लिए बहुत अधिक जागरूकता की जरूरत है
मानहास का चयन एक ऐसा कदम है जो बीसीसीआई के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत करता है जिसमें खिलाड़ियों की आवाज़ को बहुत अधिक महत्व दिया जाएगा और ये बहुत जरूरी है क्योंकि अब तक बोर्ड के फैसले अक्सर बिना खिलाड़ियों के सलाह के लिए लिए जाते थे जिससे बहुत सारे खिलाड़ियों को अपनी जिंदगी में बहुत बड़े नुकसान हुए हैं
अब जब एक खिलाड़ी अध्यक्ष है तो वो अपने अनुभव के आधार पर ऐसे फैसले ले सकता है जो बहुत सारे युवा खिलाड़ियों के लिए बहुत लाभदायक होंगे जैसे कि घरेलू टूर्नामेंट्स में बेहतर फैसले, युवा खिलाड़ियों के लिए बेहतर ट्रेनिंग सुविधाएं, और खिलाड़ियों के लिए बेहतर मानसिक स्वास्थ्य समर्थन
मुझे लगता है कि आईपीएल के मॉडल को फिर से डिज़ाइन करने की जरूरत है क्योंकि अब तक ये बहुत अधिक व्यावसायिक हो गया है और इसके कारण बहुत सारे खिलाड़ियों को अपने खेल के बारे में भूलना पड़ रहा है और ये बहुत खतरनाक है
महिला क्रिकेट के लिए भी बहुत बड़ा बदलाव आना चाहिए क्योंकि अब तक इसे बहुत कम महत्व दिया गया है और ये बहुत अन्याय है क्योंकि ये खिलाड़ियां भी उतनी ही मेहनत करती हैं और उनके पास भी उतने ही सपने हैं
मैं ये भी सुझाव देना चाहूंगा कि बीसीसीआई एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाए जिसमें युवा खिलाड़ियों के लिए वीडियो ट्रेनिंग, नियमों की समझ, और उनके खेल के बारे में जानकारी उपलब्ध हो सके जिससे गांवों के बच्चे भी इसका लाभ उठा सकें
और एक बात और जो मुझे बहुत जरूरी लगती है वो है कि बीसीसीआई को अपने वित्तीय लेखांकन को पूरी तरह से पारदर्शी बनाना चाहिए ताकि लोगों को विश्वास हो सके कि पैसा सही जगह जा रहा है
इस तरह के बदलाव बहुत बड़े हैं और इनके लिए बहुत सारे लोगों की जरूरत है जो इसे समझ सकें और इसके लिए काम कर सकें
मैं ये बहुत जोश से कह रहा हूं कि ये बदलाव असली हो सकते हैं लेकिन इसके लिए हमें सबको एक साथ आना होगा और ये सिर्फ एक अध्यक्ष का काम नहीं बल्कि हम सबका काम है
kalpana chauhan
अक्तूबर 4, 2025 AT 22:00बहुत बढ़िया! 🙌 ये नया अध्यक्ष बहुत अच्छा चुनाव है। महिला क्रिकेट के लिए अब बहुत बड़ा मौका है। उन्हें बहुत सम्मान देना चाहिए, उनके लिए ट्रेनिंग सेंटर बनाने चाहिए, और उन्हें भी IPL का नया वर्जन देना चाहिए। 🌟 बच्चों को भी ज्यादा से ज्यादा मौका दें। जय हिंद! 🇮🇳
Prachi Doshi
अक्तूबर 5, 2025 AT 13:31अच्छा हुआ। उम्मीद है अब खेल भी बदलेगा।
Nitin Agrawal
अक्तूबर 5, 2025 AT 15:37mannhas? yrr ye konsa naam hai? kya ye kisi movie ka hero hai? bhai bhai bhai koi bhi naam de do lekin yehi naam nahi
Ron Burgher
अक्तूबर 7, 2025 AT 00:49ye sab kya hai? sab log khelne ke bajay apne naam ke liye khel rahe hain. bhai bhai bhai koi khelne wala nahi hai ab bas naam likhne wale hain. kya ye bhaiya ka naam hai ya koi bhaiya ka bank account?
mohit SINGH
अक्तूबर 7, 2025 AT 18:04ye sab kya hai? ek aadmi jo 10 saal se kisi match mein nahi khela hai aur ab woh board ka chairman ban gaya? bhai yeh kya logic hai? kya hum sab ko koi joke bhej rahe hain? yeh sab kuch bhi nahi hai bas ek bada drama hai jisme koi nahi dekhta bas sab bolo ‘badiya hai’
aur haan IPL ka paisa kahan jaa raha hai? kya ye sab khelne wale ke liye hai ya sirf ek ghar ke liye?
jab tak hum khelne wale ke liye kuch nahi karenge tab tak yeh sab bas ek photo shoot hai
Preyash Pandya
अक्तूबर 8, 2025 AT 09:45yo so i heard the new boss is a player? cool cool but wait… where’s the cash flow? who’s paying for the AC in his office? 😏 and why is everyone acting like this is a revolution? bro it’s just another CEO with a bat. also, why no women on the board? 🤔
also, mera bhai ka dost ka cousin ek time kisi match mein out hua tha aur abhi bhi koi nahi bola ‘sorry’ 😭
aur haan, ye sab kya hai? ek aadmi jo 5 saal se nahi khela hai aur ab 1000$ per day le raha hai? bhai ye kya hai? kya hume koi bhi khel nahi aata?
ye sab toh ek movie hai… bas ek baar dekh lo ‘Dangal’ phir bolo ‘bhaiya, yeh sab kya hai?’ 😅
Raghav Suri
अक्तूबर 9, 2025 AT 17:01ye sab bahut accha lag raha hai… lekin ek chhoti si baat - kya hum sach mein soch rahe hain ki ek khiladi ka leadership kaise kaam karega? kya ye sirf ek emotional decision hai ya ek strategic one?
mujhe lagta hai ki agar yeh sach mein khel ke liye hai toh humein ek naya system banana hoga jisme har ek khiladi ka voice suna jaye - na sirf captain ya captain ke dost ka…
aur haan, agar hum chahte hain ki koi naya generation khel sake toh humein uske liye ek naya infrastructure banana hoga - bas ek stadium nahi, balki har gaon mein ek ground, ek coach, aur ek hope
mujhe lagta hai ki yeh sab ek naye shuruaat ki taraf hai… lekin agar hum sirf naam sun kar khush ho jayein toh yeh sab kuch bhi nahi hoga…
humein sirf ek naye chairman ki zaroorat nahi… humein ek naye soch ki zaroorat hai…
aur haan… agar koi khiladi apne jeevan ka sabse bada dream dekh raha hai… toh usse ek chance do… bas ek chance…