विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024: युवाओं को 'फैशनेबल प्रैक्टिस' के रूप में धूम्रपान नहीं देखने की सलाह

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024: युवाओं को 'फैशनेबल प्रैक्टिस' के रूप में धूम्रपान नहीं देखने की सलाह

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024: युवाओं को 'फैशनेबल प्रैक्टिस' के रूप में धूम्रपान नहीं देखने की सलाह

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024 के अवसर पर, आंध्र प्रदेश के तिरुपति स्थित श्री वेंकटेश्वर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SVIMS) में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि युवा पीढ़ी धूम्रपान को 'फैशनेबल अभ्यास' के रूप में न अपनाएं। कार्यक्रम की अध्यक्षता SVIMS के निदेशक और कुलपति, डॉ. आर.V. कुमार ने की। उन्होंने कहा कि तंबाकू के सेवन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जो शुरू में एक फैशन के रूप में ली जाती हैं और बाद में लत बन जाती हैं।

डॉ. कुमार ने तंबाकू के सेवन से जुड़े स्वास्थ्य खतरों पर विस्तृत रूप से चर्चा की, जिसमें फेफड़े का नुकसान, हृदय संबंधी समस्याएं, पक्षाघात, परिसंचरण संबंधी समस्याएं और कैंसर शामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि तंबाकू उद्योग लोगों के स्वास्थ्य की कीमत पर काम करता है और इसके परिणामस्वरूप अनेक स्वास्थ्य संकट उत्पन्न होते हैं।

तंबाकू के स्वास्थ्य पर प्रभाव

डॉ. कुमार ने कहा कि तंबाकू का सेवन एक प्रमुख स्वास्थ्य संकट है जो व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वास्थ्य दोनों पर गंभीर प्रभाव डालता है। धूम्रपान के कारण फेफड़ियों की कार्यक्षमता ध्वस्त हो जाती है, हृदयाघात का खतरा बढ़ जाता है और विभिन्न प्रकार के कैंसर का विकास होता है। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि धूम्रपान न केवल तंबाकू का सेवन करने वालों के लिए बल्कि आसपास रहने वाले लोगों के लिए भी नुकसानदायक है। तंबाकू उद्योग ऐसे उत्पाद बनाता है जो जानबूझकर युवाओं को लक्षित करते हैं, जिससे युवा पीढ़ी में धूम्रपान का प्रचलन बढ़ रहा है।

कार्यक्रम के दौरान, SVIMS के डीन और मेडिसिन विभाग के प्रमुख, डॉ. अल्लाडी मोहन ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने तंबाकू के सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि धूम्रपान के कारण उत्पन्न होने वाला धुआं न केवल धूम्रपान करने वालों के लिए, बल्कि उनके आसपास रहने वाले लोगों के लिए भी हानिकारक होता है। साथ ही, तंबाकू का खेती और इसके उत्पादन प्रक्रिया भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है।

तंबाकू उन्मूलन में WHO की भूमिका

डॉ. मोहन ने इस अवसर पर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) और यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम (UNEP) के भूमिका को भी सराहा, जिनका तंबाकू उन्मूलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने बताया किWHO और UNEP की गतिविधियाँ और जन जागरूकता अभियान विश्वभर में तंबाकू के खिलाफ लड़ाई में सहायक सिद्ध हुए हैं। उन्होंने बताया कि इन संगठनों की गतिविधियों ने तंबाकू से होने वाले नुकसान को प्रमुखता से उजागर किया है और स्वास्थ्य नीति निर्माताओं को तंबाकू नियंत्रण में सहयोग करने के लिए प्रेरित किया है।

अकांक्षा चैरिटेबल ऑर्गेनाइजेशन का जागरूकता अभियान

इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम के दौरान अकांक्षा चैरिटेबल ऑर्गेनाइजेशन की सराहनीय पहलों पर भी प्रकाश डाला गया। इस संगठन के अध्यक्ष, मर्धाला रविबाबू के नेतृत्व में रेनीगुंटा शहर में एक रैली का आयोजन किया गया, जिसमें तंबाकू उत्पादों के हानिकारक प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास किया गया। रैली में बड़ी संख्या में स्थानीय निवासियों ने भाग लिया और तंबाकू निषेध के संदेश को और भी मजबूती से सामने रखा।

मनोचिकित्सकों के विचार

कार्यक्रम में उपस्थित मनोचिकित्सकों ने भी तंबाकू की लत के मनोवैज्ञानिक प्रभावों के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि तंबाकू का सेवन लोगों की मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करता है और लंबे समय तक इसका सेवन चिंता, अवसाद, और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। धूम्रपान छोड़ने के प्रयास के दौरान लोगों को मानसिक और भावनात्मक सहारे की जरूरत होती है, जिसे समझना बेहद जरूरी है।

आखिर में, इस वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस का मुख्य विषय 'तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बच्चों की सुरक्षा' को समर्पित था। तंबाकू उद्योग के हानिकारक प्रभावों से बच्चों को बचाने की जरूरत पर इस बार विशेष जोर दिया गया।

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