जब हम सामाजिक बदलाव की बात करते हैं, तो टाटा ट्रस्ट्स का नाम अक्सर सामने आता है। 1892 में स्थापित, यह संस्था भारत के कई कोने‑कोने में स्कूल, अस्पताल, ग्रामीण दिखरे और स्किल‑डिवेलपमेंट प्रोग्राम चला रही है। सरल बात है – टाटा ट्रस्ट्स लोगन की जिंदगी सुधारने के लिए काम करता है, चाहे वो शिक्षा हो या स्वास्थ्य।
सबसे पहले बात करते हैं उनके मुख्य फोकस की। शिक्षा में कई स्कूल, वॉयस‑इंटरनेट लाइब्रेरी और छात्रवृत्ति प्रोग्राम चलाए जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में ग्रीन‑स्कूल मॉडल से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई मिलती है। दूसरा, स्वास्थ्य – टाटा ट्रस्ट्स ने कई डिस्ट्रिक्ट अस्पताल और मोबाइल हेल्थ यूनिट्स लगाई है, जिससे दूर‑दराज़ गांवों में भी बेसेर इलाज मिल पाता है। तीसरा, ग्रामीण विकास – जलसंरक्षण, स्वच्छता, और महिलाओं के सशक्तिकरण पर कई पहलें हैं। इन सबके अलावा, कला‑संस्कृति, विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी फंडिंग और रिसर्च सपोर्ट दिया जाता है।
टाटा ट्रस्ट्स सिर्फ बड़ी संस्था नहीं, बल्कि आम लोग भी इसमें योगदान दे सकते हैं। अगर आप दान देना चाहते हैं, तो उनके वेबसाइट पर अलग‑अलग फंडिंग कैंपेन उपलब्ध हैं – एक बार के दान या महीने‑भर का नियमित योगदान दोनों विकल्प हैं। स्वयंसेवक बनने के लिए भी कई प्रोग्राम हैं, जैसे कि स्कूल में पढ़ाने के लिए ‘शिक्षक साथी’ या हेल्थ कैंप में मदद करने के लिए ‘स्वास्थ्य सहयोगी’। अगर आप किसी प्रोजेक्ट की बात करना चाहते हैं, तो लोकल ऑफिस में जाकर या ऑनलाइन फॉर्म भरकर अपनी विचारधारा साझा कर सकते हैं।
टाटा ट्रस्ट्स के काम को समझना आसान है – वे हर पहलू में ‘संकल्प शक्ति’ से काम लेते हैं। चाहे छोटे गांव में नया टॉवेल का बांटना हो या बड़े शहर में डिजिटल शिक्षा का मंच बनाना, उनका दृष्टिकोण हमेशा लोगों की ज़रूरत पर केंद्रित रहता है। इस वजह से ही ये संस्था साल‑दर‑साल विश्वसनीयता और भरोसा बनाये रखती है।
अगर आप अभी भी सोच रहे हैं कि टाटा ट्रस्ट्स क्या करता है, तो बस एक बात याद रखें – उनका हर कदम आम लोगों की ज़िंदगी में छोटा‑छोटा बदलाव लाता है, और ये बदलाव मिलकर बड़े परिवर्तन में बदलते हैं। तो अगली बार जब आप किसी सामाजिक मुद्दे पर बात करें, तो टाटा ट्रस्ट्स को भी ज़रूर ज़िक्र करें और अगर मौका मिले तो खुद भी इस पहल में हिस्सा बनें।
नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति 11 अक्टूबर 2024 को मुंबई में बोर्ड बैठक के बाद की गई। वह रतन टाटा के निधन के बाद इस पद को संभालेंगे, जिन्होंने 9 अक्टूबर 2024 को अंतिम सांस ली। नोएल टाटा समूह की कंपनियों के साथ अनेक भूमिकाएँ निभा चुके हैं। उनकी नियुक्ति टाटा समूह की निरंतरता और उनकी विरासत को आगे बढ़ाएगी।