कमला हैरिस: गर्भपात अधिकारों पर बाइडन की आवाज अब और तेज हो सकती है
कमला हैरिस, जो वर्तमान अमेरिकी उपराष्ट्रपति हैं और गर्भपात अधिकारों पर राष्ट्रपति जो बाइडन की प्रमुख आवाज मानी जाती हैं, यदि वे 2024 के चुनाव में डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति टिकट पर प्रमुख भूमिका निभाती हैं, तो वे गर्भपात पहुंच के समर्थन में और भी अधिक आक्रामक रुख अपनाने की संभावना है। अमेरिकी राजनीति में यह महत्वपूर्ण समय है जब डेमोक्रेटिक पार्टी अपने चुनावी अभियान को निर्मित कर रही है।
कमला हैरिस ने हमेशा गर्भपात अधिकारों के समर्थन में अपनी मजबूती जाहिर की है। उन्होंने कई बार इस मुद्दे को उठाया है कि किस प्रकार गर्भपात के लिए न्यूनतम स्टाफिंग आवश्यकताओं को संघीय वित्तपोषित नर्सिंग होम्स पर लागू किया जाना चाहिए। यह मुद्दा विशेष रूप से उनके लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट हाल ही में दो गर्भपात संबंधित मामलों को सुन चुका है और यह संभावना है कि अगले साल फिर से इन मामलों पर विचार होगा।
डेमोक्रेटिक टिकट पर कमला हैरिस का उभार
अगर कमला हैरिस डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति टिकट पर ऊंचाई प्राप्त करती हैं, तो वे गर्भपात अधिकारों के लिए एक संघीय कानून की स्थापना के समर्थन में अधिक जोर देंगे। roe बनाम वेड के फैसले को पुनः स्थापित करने के लिए इस प्रकार का कदम महत्वपूर्ण होगा। इसके साथ ही, हैरिस को अपनी नीतियों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करना होगा ताकि वे मतदाताओं को संलग्न कर सकें और उनके समर्थन में विश्वास प्राप्त कर सकें। रिपब्लिकन पार्टी निःसंदेह उनके विचारों को 'उग्र' कहकर आलोचना करेगी, लेकिन कमला हैरिस को इसे सावधानीपू�द रूप से संभलना होगा।
स्वास्थ्य सेवा उपलब्धियों पर जोर
कमला हैरिस को केवल गर्भपात के मुद्दे पर ही नहीं, बल्कि अन्य संवेदनशील मुद्दों पर भी ध्यान देने की जरूरत होगी। बाइडन प्रशासन की स्वास्थ्य सेवा उपलब्धियों को उजागर करने के अवसर हैं, जैसे कि 'अफोर्डेबल केयर ऐक्ट' के तहत बढ़ाए गए कर क्रेडिट, इंसुलिन की मासिक कॉपेई पर $35 सीमा, और मेडिकेयर में दवा मूल्यों के लिए बातचीत। इन मुद्दों पर जोर देने से हैरिस को मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने का मौका मिलेगा और उनकी राजनीति को व्यापक बनाने का अवसर भी।
कमला हैरिस के सामने चुनौतियाँ और अवसर
हालांकि हैरिस को खुद को गर्भपात अधिकारों की प्रबल समर्थक के रूप में प्रस्तुत करना होगा, उन्हें यह भी ध्यान रखना होगा कि मतदाताओं को केवल इस मुद्दे पर ही संलग्न करने से पर्याप्त परिणाम नहीं मिलेंगे। उन्हें दवाओं की कीमतें और इसके अलावा अन्य लागत से जुड़ी समस्याओं पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। यही वजह है कि अगर वे गर्भपात अधिकारों के अलावा भी अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी नीतियों को स्पष्टता से प्रस्तुत करेंगी, तो वे मतदाताओं के बड़ी संख्या में समर्थन प्राप्त कर सकती हैं।
अमेरिकी राजनीति में गर्भपात अधिकारों का विषय
अमेरिकी इतिहास में गर्भपात अधिकारों का विषय हमेशा ही संवेदनशील और विवादास्पद रहा है। ऐसे में कमला हैरिस का अब और भी तेज आवाज में अपनी बात रखना बेहद महत्वपूर्ण हो जाएगा। डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए यह देखने का समय है कि वे कितने प्रभावी रूप से अपने मुद्दों को प्रचारित कर सकती है, विशेषकर उन मुद्दों पर जो महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों से संबंध रखते हैं।
अगले कदम
कमला हैरिस की इस विषय पर पक्की और स्पष्ट नीतियाँ और रणनीतियाँ यह तह करेंगी कि वे आगामी चुनाव में कितनी प्रभावी साबित होती हैं। हालांकि, मौजूदा समय में वे बाइडन प्रशासन की नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। आने वाला समय बताएगा कि वे इस दिशा में किस प्रकार का कदम उठाएंगी और यह अमेरिकी राजनीति के परिदृश्य को किस तरह से प्रभावित करेगा।
Aakash Parekh
जुलाई 23, 2024 AT 20:23ये सब बातें तो बहुत अच्छी हैं, पर असली दुनिया में एक महिला को गर्भपात के लिए कितना पैसा और समय लगता है, इसकी कोई बात नहीं होती। सिर्फ ट्वीट्स और स्पीचेस से कुछ नहीं बदलता।
Sagar Bhagwat
जुलाई 24, 2024 AT 05:00अरे भाई, ये सब गर्भपात वाली बातें तो बस चुनावी नारे हैं। अगर वो असली में चाहती हैं तो पहले अपने घर में एक लड़की को पढ़ाएं, फिर बाकी की बात करें।
Jitender Rautela
जुलाई 24, 2024 AT 16:49ओये यार, कमला हैरिस को तो अमेरिका में ही रहने दो, हमारे यहां तो बच्ची को पढ़ाने के लिए घर से निकालना भी मुश्किल है। ये सब फेमिनिस्ट बातें तो बस वेस्टर्न ट्रेंड हैं। असली समस्या तो ये है कि हमारे यहां लड़कियों को स्कूल भेजने वाले पापा नहीं मिलते।
abhishek sharma
जुलाई 26, 2024 AT 03:34अरे यार, इतना बड़ा बयान देकर कमला ने क्या किया? क्या उन्होंने कभी किसी ग्रामीण महिला को बताया कि उसके लिए गर्भपात का अधिकार क्या है? या फिर उन्होंने कभी एक राशन की दुकान पर जाकर देखा कि वहां इंसुलिन का दाम कितना है? ये सब टीवी पर बोलने के लिए बनाई गई नीतियां हैं, असली जिंदगी में तो एक गरीब महिला के लिए बस एक बस का टिकट भी नहीं मिलता जिससे वो क्लिनिक तक पहुंच सके। और फिर ये सब गर्भपात का चर्चा बस एक बात को छिपाने के लिए है - कि हमारे स्वास्थ्य प्रणाली में बस नाम तो है, बाकी सब कुछ खाली है। एक बार देखो तो ये सब बातें कितनी बेकार हैं।
Surender Sharma
जुलाई 27, 2024 AT 07:42garpata rights? bhai ye sab toh bs media ka drama hai. koi bhi leader abhi bhi hospital me 100 rs ka injection nahi de sakta toh phir yeh sab kya baat hai? aur haan, kya karna hai? kya hum bhi apne ghar me beti ko padhane ki jagah usse shaadi karne ki planning kare? ye sab toh bas kuch logon ke liye social media pe post karne ke liye hai.