नोएल टाटा बने टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन: टाटा समूह में नयी शुरुआत

नोएल टाटा बने टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन: टाटा समूह में नयी शुरुआत

नोएल टाटा का टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन के रूप में चयन

नोएल टाटा का टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन के पद पर चयन एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामूहिक कदम है। पाँच दशक से अधिक के अनुभव के साथ, नोएल टाटा ने समूह के भीतर एक विशिष्ट पहचान बनाई है। उनकी नियुक्ति से पारिवारिक विरासत और समूह के विकास में एक नया युगायन आएगा। 11 अक्टूबर 2024 को मुंबई में आयोजित बोर्ड बैठक के दौरान, नोएल टाटा को इस भूमिका को संभालने के लिए चुना गया। यह चयन ऐसे समय में हुआ जब उनके दिवंगत सौतेले भाई, रतन टाटा ने हाल ही में अपनी अंतिम यात्रा की।

रतन टाटा की विरासत और नोएल टाटा का योगदान

रतन टाटा, जिनका 9 अक्टूबर 2024 को निधन हुआ, भारतीय उद्योग जगत के एक यथार्थवादी और प्रेरणादायक नेता थे। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई। नोएल टाटा के कार्यकाल के दौरान, उन्होंने अपनी निवेश नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय व्यवसायों के माध्यम से समूह की स्थिति को मजबूत किया। वह ट्रेंट, टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड और वोल्टास लिमिटेड जैसी कई टाटा कंपनियों के चेयरमैन रह चुके हैं। साथ ही वह टाटा स्टील और टाइटन के उपाध्यक्ष भी हैं। टाटा ट्रस्ट्स के साथ उनका जुड़ाव विशेष रहा है, जिसमें सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के पालनकर्ता के रूप में उन्होंने अपने कर्तव्यों को निभाया।

नोएल टाटा की पारिवारिक स्थिति और शैक्षणिक पृष्ठभूमि

नोएल टाटा के तीन बच्चे हैं - लेआ, माया और नेविल। इन सभी ने टाटा समूह से संबंधित कई ट्रस्ट्स में ट्रस्टी के रूप में और विभिन्न कंपनियों में नेतृत्व भूमिकाएँ निभाई हैं। नोएल टाटा ने ससेक्स विश्वविद्यालय, यूके से ग्रेजुएशन किया और इन्हांसेद से इंटरनेशनल एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम (आईईपी) पूरा किया। यह शैक्षणिक पृष्ठभूमि और कार्य अनुभव उन्हें इस नई जिम्मेदारी के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार बनाते हैं। जिस तरह से नोएल ने टाटा परिवार की परंपरा को बरकरार रखा है और इसे आधुनिक दृष्टिकोण के साथ अपनाया है, वह प्रशंसनीय है।

नोएल टाटा की नियुक्ति का महत्व

नोएल टाटा की नियुक्ति का महत्व

टाटा ट्रस्ट्स जो 14 अलग-अलग ट्रस्ट्स का संचालन करते हैं और टाटा संस के 66% के मालिक हैं, उनके लिए नोएल टाटा की नियुक्ति का विशेष अर्थ है। यह ट्रस्ट्स टाटा समूह के विभिन्न व्यवसायों और सेवा कार्यों के पीछे की ताकत हैं। नोएल टाटा की नियुक्ति समूह के इतिहास में निरंतरता और नवाचार के सूचक के रूप में देखी जाती है। उनकी अनुभवशीलता और नेतृत्व कौशल के माध्यम से टाटा समूह अपनी विद्याभारती (फिलेन्ट्रोपी) और समाजससेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और अधिक मजबूती के साथ आगे बढ़ा सकेगा।

नोएल टाटा की नियुक्ति समूह को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करती है। उन्होंने टाटा समूह के बढ़ते कदमों में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाई है और समूह के व्यवसायों के साथ व्यक्तिगत विकास और जेपीजीटीडोन की रणनीतियों में अपनी अमूल्य योगदान दिया है। उनकी नियुक्ति टाटा समूह की भविष्योन्मुख नीतियों का एक नया अध्याय होगी।

16 Comments

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    Girish Sarda

    अक्तूबर 13, 2024 AT 10:50
    नोएल टाटा का चयन बहुत समझदारी से हुआ है। उनका अनुभव और विश्वस्तरीय दृष्टिकोण टाटा ट्रस्ट्स के लिए बहुत फायदेमंद होगा।
    इस तरह के नेतृत्व की जरूरत है आजकल।
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    Garv Saxena

    अक्तूबर 14, 2024 AT 00:37
    क्या हम वाकई इस बात पर खुश होने वाले हैं कि एक ऐसे व्यक्ति को चुना गया है जिसने ससेक्स विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है और इन्हांसेड से आईईपी पूरा किया है? भारत के अंदर ही कितने बेहतर उम्मीदवार हैं जिनके पास टाटा समूह की आत्मा को समझने का अनुभव है? हम अपनी जड़ों को भूल रहे हैं। एक बार जब रतन टाटा जैसे लोग अपनी आत्मा के साथ चलते थे, अब हम एमबीए के सर्टिफिकेट के लिए भाग रहे हैं।
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    Rajesh Khanna

    अक्तूबर 15, 2024 AT 21:19
    ये नया युग बहुत अच्छा है। नोएल टाटा ने अपने अनुभव से साबित किया है कि वह न सिर्फ बिजनेस को समझते हैं बल्कि समाज के प्रति भी जिम्मेदार हैं। टाटा ट्रस्ट्स के लिए ये एक बहुत बड़ी बात है। आगे की उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं।
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    Sinu Borah

    अक्तूबर 16, 2024 AT 16:56
    ओह ठीक है, तो अब हमें ये बताना है कि नोएल टाटा कितने अच्छे हैं? बस क्योंकि वो टाटा नाम के साथ आए हैं और कुछ कंपनियों में चेयरमैन रहे हैं, इसलिए वो सबके लिए बेस्ट हैं? ये जानवरों के लिए भी खूब देखा गया है कि जिसका नाम बड़ा होता है, उसे ही पोस्ट दे देते हैं। लेकिन असली काम कौन करता है? वो जो ऑफिस में 6 बजे तक बैठे रहते हैं, ना कि जो यूके में एमबीए करके आए हैं।
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    Sujit Yadav

    अक्तूबर 17, 2024 AT 15:07
    नोएल टाटा की नियुक्ति एक अत्यंत विचारशील निर्णय है। उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि, अंतरराष्ट्रीय व्यवसायिक अनुभव, और ट्रस्ट्स के साथ लंबा संबंध इस भूमिका के लिए अद्वितीय योग्यता प्रदान करते हैं। इस तरह के नेतृत्व के बिना, टाटा ट्रस्ट्स की नैतिक और वित्तीय निरंतरता का भविष्य अनिश्चित होता। अन्य भारतीय व्यापारिक परिवारों को इसे एक मानक बनाना चाहिए।
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    Kairavi Behera

    अक्तूबर 19, 2024 AT 14:22
    अगर कोई नया लीडर आता है तो डरने की जरूरत नहीं। नोएल टाटा का अनुभव बहुत अच्छा है। उन्होंने टाटा स्टील और टाइटन में काम किया है, ये बहुत बड़ी बात है। अगर आपको लगता है कि आपको कुछ सीखना है, तो उनके बारे में ज्यादा पढ़ें। वो बस नाम नहीं, बल्कि काम भी करते हैं।
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    Aakash Parekh

    अक्तूबर 19, 2024 AT 23:32
    क्या ये सच में इतना बड़ा मामला है? बस एक आदमी का नाम बदल गया। टाटा ट्रस्ट्स तो हमेशा से चल रहे हैं। इसके बाद भी कुछ नहीं बदलेगा।
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    Sagar Bhagwat

    अक्तूबर 21, 2024 AT 12:51
    अरे भाई, नोएल टाटा को बहुत बधाई। लेकिन ये बात भी तो सच है कि रतन टाटा के बिना कुछ अलग है। वो तो एक अलग ही तरह के इंसान थे। नोएल भी अच्छे हैं, लेकिन ये बदलाव थोड़ा अजीब लग रहा है।
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    Jitender Rautela

    अक्तूबर 22, 2024 AT 06:22
    ये सब बहुत अच्छा लग रहा है। लेकिन अगर आप वास्तव में टाटा समूह को समझना चाहते हैं, तो देखिए कि उनके ट्रस्ट्स ने कितने स्कूल, अस्पताल और अनुसंधान केंद्र बनाए हैं। ये नोएल का काम नहीं, ये टाटा परिवार की विरासत है। और ये विरासत अभी भी जिंदा है।
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    abhishek sharma

    अक्तूबर 22, 2024 AT 18:56
    तो फिर ये सब जो लिखा गया है, वो सिर्फ एक लेख है। असली बात ये है कि रतन टाटा के बाद अब कोई और नहीं होगा। नोएल टाटा बहुत अच्छे हैं, लेकिन वो रतन नहीं हैं। और इस बात को बहुत कम लोग समझते हैं। रतन टाटा ने तो जब भी कोई बात करते थे, तो वो आंखों में देखकर बोलते थे। अब ये सब बोर्डरूम में बैठकर बनाया जाएगा। ये बदलाव बहुत बड़ा है।
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    Surender Sharma

    अक्तूबर 23, 2024 AT 08:49
    nole tata ka chayan bohot accha hua hai lekin kya ye sab sach hai ya sirf media ki khichdi hai? maine toh kuch bhi nahi suna tha unke baare mein. kya yehi hai future? kya koi aur nahi tha?
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    Divya Tiwari

    अक्तूबर 24, 2024 AT 17:59
    भारत की आत्मा को बचाने के लिए हमें अपने अपने लोगों को चुनना चाहिए। यूके की शिक्षा के बाद आए इंसान को टाटा ट्रस्ट्स का नेतृत्व क्यों? ये जाति और राष्ट्रीयता के खिलाफ है। रतन टाटा ने जो किया, वो भारतीय थे। नोएल टाटा को अपने विदेशी शिक्षा के लिए गर्व होना चाहिए, लेकिन भारत के लिए ये एक निराशाजनक चयन है।
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    shubham rai

    अक्तूबर 25, 2024 AT 20:18
    मुझे नहीं पता। बस इतना है कि अब नोएल टाटा हैं। बाकी सब बातें बस शो हैं।
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    Nadia Maya

    अक्तूबर 26, 2024 AT 00:40
    यह नियुक्ति वास्तव में एक आधुनिक और वैश्विक दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करती है। नोएल टाटा की शैक्षणिक योग्यता और अंतरराष्ट्रीय अनुभव उन्हें एक ऐसे संगठन के नेतृत्व के लिए अद्वितीय बनाते हैं जो वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहा है। यह भारतीय उद्योग के लिए एक निश्चित उदाहरण है कि विश्वस्तरीय मानकों के साथ पारिवारिक विरासत को कैसे संयोजित किया जा सकता है।
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    Nitin Agrawal

    अक्तूबर 27, 2024 AT 14:35
    nole tata? kya yeh koi naam hai ya phir koi typo? maine suna tha ratan tata ki jagah unke beta ne li hai. kya ye bhi ek naya trend hai ki naam bhi change kar denge?
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    Gaurang Sondagar

    अक्तूबर 27, 2024 AT 23:54
    ये सब बकवास है। टाटा ट्रस्ट्स का मालिक भारतीय जनता है। इन लोगों को बस इस बात का एहसास होना चाहिए कि वो किसके लिए काम कर रहे हैं। यूके की शिक्षा और इंटरनेशनल एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम से क्या होगा? भारत की जरूरत है दिल से आने वाले नेता की। ये जो हो रहा है, वो बस एक नाटक है।

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