PM‑KUSUM योजना – पूरी जानकारी

क्या आपने कभी सोचा है कि आपके खेत में लगे सोलर पैनल आपका बिजली बिल घटा सकते हैं और साथ ही अतिरिक्त कमाई भी करा सकते हैं? भारत सरकार ने यही लक्ष्य लेकर PM‑KUSUM योजना लाई है। यह योजना खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए डिज़ाइन की गई है, ताकि वे सौर ऊर्जा के जरिए अपने खेती‑काम को सॉलर पावर पर चलाएँ और आय का नया स्रोत बनायें।

PM‑KUSUM के मुख्य घटक

PM‑KUSUM तीन मुख्य भागों में बँटा है:

  • किसानों के लिए 10 kW पीवी सिस्टम – सरकार 40 % तक की सब्सिडी देती है, और बँक लोन आसान शर्तों पर उपलब्ध कराती है।
  • सौर फॉर्मिंग इंटेंसिटी (SFI) या 1‑MW+ झुग्गी पावर प्लांट – बड़े फार्मर्स या कॉर्पोरेट्स के लिए, जो 1 MW से अधिक क्षमता चाहते हैं।
  • केंद्रीय दूरबीन और रूरल इलेक्ट्रिकिटी ग्रिड (RECRM) – सोलर ऊर्जा को ग्रिड से जोड़ने के लिए तकनीकी मदद और फाइनेंशियल सपोर्ट।

इन सबका मकसद बिजली की कमी को दूर करना, फसल‑संबंधी खर्च घटाना और हरित ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना है। सब्सिडी सिर्फ उपकरण की लागत पर नहीं, बल्कि स्थापना, रख‑रखाव और ऑपरेशन के दौरान भी मिलती है।

कैसे करें पंजीकरण और सब्सिडी प्राप्त करें

सबसे पहले, अपनें नजदीकी पावर सॉलिसिटेशन एजेंसी (PSA) या स्थानीय सरकारी कार्यालय से संपर्क करें। आपको कुछ बेसिक दस्तावेज चाहिए होंगे – जमीन के काग़ज़ (निर्धारित 0.5 एकड़ से अधिक), वैध पहचान प्रमाण, और कृषि ऋण की साख। फिर आप ऑनलाइन पोर्टल PM‑KUSUM पर अपना अकाउंट बनाकर फॉर्म भरें।

फॉर्म जमा करने के बाद, एजेंसी साइट निरीक्षण करेगी और उपकरण की क्षमता और स्थान की पुष्टि करेगी। मंज़ूरी मिलने पर आपको सब्सिडी का एंट्री लेटर मिलेगा, जिसमें पैसे ट्रांसफर या बँक गारंटी के रूप में विवरण होगा। अधिकांश किसान अपने लोन को 5‑10 वर्ष में आसान किस्तों में चुकाते हैं, जबकि सरकारी भागीदारी से ब्याज दर काफी कम रहती है।

स्थापना के बाद, बिजली उत्पादन को मापने के लिए एक मीटर लगाया जाता है। यह मीटर हर महीने रजिस्टर करता है कि आपका सिस्टम कितना बिजली बना रहा है। आप इस डेटा को पोर्टल पर अपलोड करके सॉलिडी रिवॉर्ड क्लेम कर सकते हैं। अगर आपका उत्पादन ग्रिड से जुड़ा है, तो अतिरिक्त बिजली बेचकर भी कमाई हो सकती है।

हाल ही में सरकार ने योजना में दो मुख्य बदलाव किए हैं। पहला, सब्सिडी प्रतिशत को 45 % तक बढ़ा दिया गया है, जिससे छोटे किसान भी आसानी से 10 kW सिस्टम ले सकते हैं। दूसरा, लोन के लिए इंटरेस्ट रेट को 6 % तक घटाया गया है, जिससे भुगतान में बोझ कम हो रहा है। इन बदलावों ने पहले से ज्यादा किसान को आकर्षित किया है और सोलर इंस्टॉलेशन की गति बढ़ी है।

अगर आप अभी भी सोच रहे हैं कि यह योजना आपके लिए फायदेमंद है या नहीं, तो एक छोटा कैल्कुलेशन करें। 10 kW सोलर सिस्टम औसतन 14 kWh/दिन बिजली बनाता है। इसका मतलब है सालाना लगभग 5,100 kWh। यदि आप 8 रु प्रति kWh की दर से बिजली बेचते हैं, तो आप लगभग 40,800 रु की सालाना आय कर सकते हैं, साथ ही अपनी खेती में इस्तेमाल होने वाली बिजली का खर्च भी कम हो जाता है।

अंत में, याद रखिए कि PM‑KUSUM सिर्फ एक स्कीम नहीं, बल्कि आपके खेत को भविष्य‑सुरक्षित बनाने का एक तरीका है। सही दस्तावेज़, भरोसेमंद इंस्टालर और समय पर सब्सिडी क्लेम करने से आप न केवल अपनी ऊर्जा बिल बचा पाएँगे, बल्कि पर्यावरण को भी एक बड़ी मदद देंगे। अगर अभी तक आपने पंजीकरण नहीं किया है, तो आज ही नजदीकी PSA से संपर्क करें और सोलर ऊर्जा की शक्ति को अपने खेत में लाएँ।

GK Energy IPO: ग्रे मार्केट प्रीमियम और निवेश संभावनाओं का विस्तृत विश्लेषण

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GK Energy के IPO ने 5 गुना ओवरसब्सक्रिप्शन के साथ निवेशकों का बड़ा ध्यान खींचा है। ग्रे मार्केट प्रीमियम 14‑15 रुपये के बीच है, जिससे सूचीबद्ध मूल्य पर 10‑14% का फायदा मिल सकता है। कंपनी सोलर‑पम्प कार्य में 8.56% बाजार हिस्सेदारी रखती है। विश्लेषकों का मानना है कि 23.3× P/E मूल्य उचित है, पर सरकारी योजनाओं पर निर्भरता जोखिम बनती है।

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