हाईकोर्ट का सख्त आदेश: चंडीगढ़ में आवारा पशुओं पर तुरंत कार्रवाई, शिकायतों के लिए हेल्पलाइन और ई-मेल आईडी शुरू

हाईकोर्ट का सख्त आदेश: चंडीगढ़ में आवारा पशुओं पर तुरंत कार्रवाई, शिकायतों के लिए हेल्पलाइन और ई-मेल आईडी शुरू

चंडीगढ़ में आवारा पशुओं पर हाईकोर्ट के फौरन एक्शन के आदेश

सोचिए, हर दिन किसी न किसी मोहल्ले से डॉग बाइट की डरावनी खबर आती है और पिछले साल तो आकंड़े चौंका देने वाले रहे—8,000 से ज्यादा मामले केवल 2023 में, जबकि 2022 में यह संख्या सिर्फ 5,363 थी। ऐसे में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ नगर निगम को सीधा और सख्त संदेश दे दिया है: 'अब और देर नहीं चलेगी, आवारा कुत्तों और जानवरों पर तुरंत कार्रवाई करो।'

नगर निगम के अफसरों की हर महीने की बैठकों में पार्षद इसी मुद्दे को उठा रहे थे, लेकिन अब कोर्ट के दबाव के बाद असल बदलाव देखने को मिलेगा। ये आदेश सिर्फ एक कागजी औपचारिकता नहीं, बल्कि जनहित में बुनियादी बदलाव की ओर इशारा है।

हेल्पलाइन नंबर और ई-मेल से जुड़े नए कदम

कोर्ट के निर्देश मिलते ही चंडीगढ़ MC ने तेज़ी दिखाते हुए नागरिकों के लिए हाईकोर्ट के आदेश के तहत नए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। अब किसी को भी आवारा कुत्ते, बंदर या मवेशियों से जुड़ी शिकायत करनी हो, तो वो 0172-278-7200 पर कॉल कर सकता है। साथ ही अगर किसी घायल जानवर की सूचना देनी हो, तो दो और नंबर चालू कर दिए गए हैं: 0172-269-6450 और 623-958-7317 (ये SPCA यानी पशु क्रूरता निवारण सोसाइटी के द्वारा ऑपरेट किए जाएंगे)।

कंप्लेंट दर्ज होते ही जानकारी फील्ड अफसरों को सीधे भेज दी जाएगी और कार्रवाई में देरी नहीं होगी—MC की तरफ से ऐसा वादा किया गया है। कमजोर ई-मेल सिस्टम या कागज़ों की फाइलिंग की जगह अब हर शिकायत को डिजिटल तरीके से ट्रैक किया जाएगा। हालांकि ई-मेल आईडी का खुलासा अभी नहीं हुआ है, मगर जल्द ही एलब किया जाएगा।

इसके साथ ही ‘I’m Chandigarh’ मोबाइल एप्लिकेशन पर भी लोग अपनी शिकायत डाल सकते हैं। ये ऐप अपनी शिकायत को ट्रैक करने की सुविधा भी देता है, जिससे नागरिकों का भरोसा बढ़ सकता है कि उनके मसले पर सचमुच एक्शन लिया जाएगा। MC ने यह भी सुझाव दिया है कि लोग अनौपचारिक तरीके, जैसे कि व्हाट्सएप फॉरवर्ड या निजी संपर्क, छोड़ कर इन आधिकारिक चैनलों का ही इस्तेमाल करें। इसकी वजह साफ है— हर शिकायत का रिकॉर्ड बन सके और धरातल पर काम भी तेज़ी से हो।

महौल अब बदल रहा है, दबाव भी है, और ट्रैकर सिस्टम भी। इसमें कोई शक नहीं कि लगातार बढ़ती हादसों की संख्या के बीच कोर्ट के इस आदेश से प्रशासन के हाथ-पांव फूले हैं। सवाल अब यही है कि ये नए कदम जनता की असल परेशानियों को कितना हल्का करते हैं? अपरोक्ष या टालमटोल की जगह असली जिम्मेदारी शहरी निकाय के सिर आ चुकी है— और चंडीगढ़ की सड़कों पर राहत दिखने की लोगों को उम्मीद भी है।

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