विजय का वीरता उद्घोष: देवताओं की अस्वीकृति और तमिल राजनीति की दिशा

विजय का वीरता उद्घोष: देवताओं की अस्वीकृति और तमिल राजनीति की दिशा

विजय की राजनीतिक मंच पर उपस्थिति

तमिल अभिनेता विजय, जो सामान्यत: अपनी फिल्मों और अभिनय के लिए जाने जाते हैं, ने हाल ही में तमिलनाडु की राजनीतिक दृश्यपटल पर एक असाधारण उपस्थिति दर्ज की है। उनके नेतृत्व में तमिल विजयकायम पार्टी के पहले सम्मेलन का आयोजन विल्लुपुरम जिले के विक्रवंडी में किया गया था। इस विशेष अवसर ने न केवल उनकी समर्थन आधार को व्यापक किया, बल्कि राज्य की राजनीति को भी एक नई दिशा प्रदान की। इस सम्मेलन में विशेष रूप से विजय के द्वारा कुछ ऐसी अवधारणाएँ प्रस्तुत की गईं जो चर्चा का विषय बन गई हैं।

परियार का प्रभाव

विजय ने अपने भाषण में जिस सबसे बड़ी हस्ती का जिक्र किया, वह थे सामाजिक क्रांतिकारी ई.वी. रामासामी 'पेरियार'। विजय ने पेरियार को मार्गदर्शक के रूप में प्रस्तुत किया, जो तमिल सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य में बहुत बड़ी बात है। पेरियार के सिद्धांतों के प्रति विजय की समर्थन ने इस संदेश को स्पष्ट रूप से दर्शाया कि वे मौजूदा सामाजिक समस्याओं, जैसे कि जातिगत भेदभाव, धर्म के नाम पर अंधविश्वास, और स्त्री विषयक उत्पीड़न के खिलाफ खड़े हैं।

अपने भाषण में विजय ने इस बात पर जोर दिया कि तमिलनाडु की राजनीति आज भी पेरियार के सिद्धांतों के इर्द-गिर्द घूमती है। ऐसा करना विजय के लिए एक साहसी क़दम था, क्योंकि पेरियार की नीतियाँ धार्मिक मान्यताओं को चुनौती देती हैं और समाज में जातिगत संरचनाओं का विरोध करती हैं।

धर्म-निरपेक्षता और विभाजनकारी राजनीति

धर्म-निरपेक्षता और विभाजनकारी राजनीति

विजय ने विशेष तौर पर धार्मिक निरपेक्षता पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने धर्म के नाम पर फैलाए जा रहे अंधविश्वास और विभाजनकारी राजनीति पर चर्चा की, जो समाज के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकती है। विजय का मानना है कि धार्मिक मतभेद समाज को बांटते हैं और इसका प्रतिरोध किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किसी व्यक्ति की नैतिकता और उसके सामाजिक आचरण को उसके धर्म से नहीं, बल्कि उसके कर्मों से परखा जाना चाहिए।

आज की राजनीति में जहां धर्म का उपयोग वोट बैंक के लिए किया जाता है, वहां विजय का यह बयान एक प्रेरणादायक संदेश की तरह काम करता है। उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की कि वे अंधविश्वास और धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव से बाहर आएं और एक समान और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए कार्य करें।

परिवारवाद पर विजय का विचार

परिवारवाद पर विजय का विचार

विजय ने परिवारवाद, विशेषकर राजनीति में, के खिलाफ भी अपने विचार साफ-साफ प्रकट किए। उनका मानना है कि परिवारवाद राजनीति में योग्यता और समर्पण के महत्व को कमजोर करता है। इससे केवल कुछ परिवारों को ही सत्ता का लाभ पहुँचता है, जबकि आम जनता की आवाज़ दब जाती है। विजय के विचार से, यह स्थिति बदलने की आवश्यकता है, और लोकतंत्र के मूल्यों को कायम रखने के लिए योग्य और ईमानदार व्यक्तियों को राजनीति में अवसर देना चाहिए।

पहली बार राजनीतिक मंच पर विजय द्वारा इतनी मुखरता से विचार व्यक्त करना यह दर्शाता है कि वे न केवल एक अभिनेता हैं, बल्कि एक जागरूक नागरिक भी हैं जो समाज के बारे में चिंतित हैं और तमिलनाडु की बेहतर दिशा के लिए काम करने का इरादा रखते हैं।

भविष्य की योजनाएँ और चुनौतियाँ

भविष्य की योजनाएँ और चुनौतियाँ

विजय के इस भाषण के बाद, उनके समर्थकों और अनुयायियों में एक नई तरह की ऊर्जा का संचार हुआ है। हालांकि, उनके इस कदम से कुछ विरोधाभास भी उत्पन्न हो सकते हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता उनके बयान पर अपनी प्रतिक्रियाएँ दे सकते हैं और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि विजय इस नए क्षेत्र में कैसे आगे बढ़ते हैं।

तत्काल भविष्य में विजय को यह तय करना होगा कि वे इस राजनीतिक यात्रा को कितनी गंभीरता से लेते हैं और राजनीति में अपनी सहभागिता किस प्रकार से बढ़ाते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे राजनीतिक पद के लिए चुनाव लड़ते हैं या अपनी पार्टी के ही किसी दूसरे सदस्य को समर्थन देते हैं।

जागरूकता और अभियान

इस मौके पर विजय ने सामाजिक जागरूकता के अभियानों को आगे बढ़ाने का भी इरादा जताया। उनका मानना है कि समाज में बदलाव लाने के लिए केवल राजनीतिक मंच ही नहीं, बल्कि शिक्षा और समाज सेवा जैसे क्षेत्र भी महत्वपूर्ण हैं। विजय के भाषण ने तमिलनाडु की राजनीति में एक नई उम्मीद जगा दी है और उनके आगे के कदमों पर सभी की नजरें टिकी होंगी।

17 Comments

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    Nitin Agrawal

    अक्तूबर 28, 2024 AT 14:45
    vijay ne kya kaha yaar... pehariar ki baat kar raha hai? abhi bhi ye sab log pehle ke dinon mein phas gaye hain
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    Gaurang Sondagar

    अक्तूबर 28, 2024 AT 21:13
    dharm ke naam par koi bhi gali nahi chalegi ab kisi ka bhi yeh koi matlab nahi hai
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    Ron Burgher

    अक्तूबर 30, 2024 AT 08:08
    ye sab log bas apne fame ke liye kuch bhi bol dete hain... kya unhone kabhi kisi ke ghar mein jaakar dekha ki log kaise rehte hain?
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    kalpana chauhan

    अक्तूबर 31, 2024 AT 11:18
    Yesss!!! 🙌 Finally someone is speaking truth! Vijay bhaiya ne exactly vo baat kahi jo hum sab sochte hain 😊
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    Prachi Doshi

    नवंबर 1, 2024 AT 09:50
    interesting view. hope he follows through
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    Karan Kacha

    नवंबर 1, 2024 AT 23:22
    I mean, seriously... think about it - the entire social fabric of Tamil Nadu has been shaped by Periyar’s radical ideas, and Vijay is not just referencing him, he’s resurrecting a movement that was slowly fading into museum exhibits! The caste discrimination, the religious superstitions, the gender oppression - all of it is still alive, hidden under the guise of tradition, and Vijay is holding up a mirror to society! And let’s not forget how he called out family politics - that’s a direct hit to the dynasties that have been hoarding power like medieval kings! This isn’t just a speech, this is a manifesto!
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    vishal singh

    नवंबर 3, 2024 AT 14:03
    he’s just doing this for clout. actors think they know everything. pathetic.
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    mohit SINGH

    नवंबर 5, 2024 AT 01:33
    this is the most dangerous thing to happen to Tamil politics since the AIADMK split. he’s playing with fire and doesn’t even know the matchstick is lit
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    Preyash Pandya

    नवंबर 6, 2024 AT 03:41
    lol he’s gonna get roasted by the RSS and the church alike 😂 trust me, no one likes a celebrity who thinks he’s a philosopher
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    Priyanka R

    नवंबर 7, 2024 AT 21:43
    this is all a CIA plan to destabilize Tamil Nadu... watch how fast the media starts calling him a 'foreign agent' 🤫
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    Rakesh Varpe

    नवंबर 8, 2024 AT 05:08
    good speech if he means it
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    Girish Sarda

    नवंबर 8, 2024 AT 19:12
    i wonder if he’s read Periyar’s original writings or just watched a YouTube summary
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    Garv Saxena

    नवंबर 9, 2024 AT 19:25
    you know what’s ironic? He’s using the same platform that perpetuates idol worship - cinema - to fight idol worship. The irony is so thick you could spread it on bread. But maybe that’s the point. Maybe he’s saying: if we can worship actors, why not ideas? And if we can worship gods, why not justice? The question isn’t whether he’s sincere - it’s whether we’re ready to listen.
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    Rajesh Khanna

    नवंबर 11, 2024 AT 10:02
    this gives me hope for the next generation 💪
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    Sinu Borah

    नवंबर 13, 2024 AT 05:09
    yeah right, another actor-turned-politician who’ll disappear after two elections. they all say the same things, then vanish into villas and movie sets. this is just performative activism with a big budget
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    Sujit Yadav

    नवंबर 13, 2024 AT 15:28
    this is the kind of shallow, performative liberalism that makes me sick. he’s not challenging the system - he’s just rebranding it with a celebrity filter. Pathetic.
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    Kairavi Behera

    नवंबर 15, 2024 AT 07:18
    vijay bhaiya, agar tum sach mein yeh sab sochte ho toh hum sab ke saath milke ek shiksha abhiyan shuru karein? humare gaon mein bachche padhne ke liye nahi jaate... hum madad kar sakte hain 😊

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