जब मनव मोदी, सीनियर एनालिस्ट मोटिलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने बताया कि 2025 के धनतेरस पर चांदी की कीमतें 69% तक कूद गई, तो सोने में 63% की तेज़ी दिखी, तो बाजार में हलचल को समझना मुश्किल नहीं रहा। यह उछाल 18‑19 अक्टूबर 2025 के दो‑दिन के उत्सव में भारत‑भर के मॉल, दुकान‑घर और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर देखा गया।
पिछले साल की तुलना में कीमतों का अंतर
17 अक्टूबर 2025 को सोने की कीमत 10 ग्राम पर लगभग ₹1,28,000 तक पहुंच गई, जबकि 29 ऑक्टूबर 2024 को वही कीमत ₹78,840 थी। डॉलर में यह 53% की बढ़ोतरी थी, जो पिछले साल की तुलना में सबसे अधिक है। चांदी की कीमत 1 किग्रै में ₹1,70,415 थी, पर उसी दिन 8% गिरते‑ग्राहकों के कारण ₹1,53,929 पर आकर ठहर गई। इन दोनों धातुओं की कीमत में आई अचानक गिरावट को ‘प्रॉफिट‑टेकिन्ग’ और ‘भू‑राजनीतिक तनाव के अस्थायी कम होने’ के कारण माना गया है।
उत्सव के दौरान बाजार का माहौल
धनतेरस के शुभकामना संदेशों के बाद नरेंद्र मोदी ने X (पहले ट्विटर) पर कहा कि इस पवित्र अवसर पर सभी को खुशहाली और समृद्धि की कामना है। उन्होंने कहा, "धन्वंतरी की कृपा सभी पर बरसे।" इस संदेश ने भी ग्राहक भावना को उकसाया, हालांकि लग्ज़री गहनों की खरीद में वृद्धि अपेक्षित थी, पर विशेषज्ञों का कहना है कि इतने उच्च स्तर पर भौतिक खरीदारी से बेहतर रणनीति निवेश पर फोकस करना है।
विशेषज्ञों की राय और भविष्य की संभावनाएँ
जतीन त्रिवेदी, एलकेपी सिक्योरिटीज के वाइस‑प्रेजिडेंट, ने कहा, "US सरकार के शट‑डाउन और डॉलर इंडेक्स की गिरावट ने सोने को सुरक्षित आश्रय बना दिया है। अभी समर्थन ₹1,28,000 पर है, प्रतिरोध ₹1,33,000 पर।" वहीं प्रवीण सिंह, मिराए एसेट शेयरख़ान के हेड ऑफ कमोडिटीज़ ने दृढ़ भरोसा जताया कि सोना अगले धनतेरस तक ₹1.5 लाख पर पहुंच सकता है।
एक बिज़नेस टुडे वेबिनार में सुवांकर सेन (सेन्को गोल्ड & डायमंड्स के Managing Director) ने बताया कि रिटेल खरीदारों को ज्वेलरी के लिए आवश्यकता के अनुसार खरीदना चाहिए, जबकि निवेशकों को Systematic Investment Plans (SIP) या Sovereign Gold Bonds (SGBs) को प्राधान्य देना चाहिए।
सिल्वर की आश्चर्यजनक गति
धनतेरस पर चांदी के सिक्कों की बिक्री में 35‑40% की साल‑दर‑साल वृद्धि देखी गई। सुगंधा साचदेव, एसएस वेल्थ स्ट्रिट ने भविष्यवाणी की कि चांदी की कीमत अगले दो वर्षों में $50‑से‑$100 प्रति औंस के बीच पहुँच सकती है, जो भारतीय बाजार में ₹2,00,000‑₹2,15,000 प्रति किलोग्राम के बराबर होगा। उनका तर्क है कि वैश्विक मुद्रास्फीति‑हेजिंग और केंद्रीय बैंकों की सक्रिय खरीदारी इस उछाल को आगे भी निरंतर बनाए रखेगी।
निवेशकों के लिए प्रमुख सिफ़ारिशें
- ऊँची कीमतों पर भौतिक सोना खरीदने से बचें; इसके बजाय SGBs या गोल्ड ETF पर विचार करें।
- चांदी में उच्च रिटर्न की संभावना है, पर अस्थिरता का ध्यान रखें।
- प्रत्यक्ष खरीद के बजाय SIP‑टाइप रणनीति अपनाएँ, जिससे औसत लागत घटेगी।
- डायवर्सिफिकेशन के लिए सोना‑चांदी के अलावा अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी फ्यूचर पर भी नजर रखें।
आने वाले दीवाली का निवेश परिदृश्य
दीवाली 2025 की तैयारियों के साथ, बाजार अभी भी दो‑तीन संभावित बिंदुओं पर उतार‑चढ़ाव दिखा सकता है। यदि यूएस फेड अंततः ब्याज दरें घटाता है, तो सोने की कीमत आगे भी ऊपर जा सकती है। वहीं, भू‑राजनीतिक तनावों में देर‑स्थायी गिरावट भी अस्थायी रूप से कीमतों को नीचे ला सकती है। निवेशकों को इन संकेतकों को करीब से फॉलो करना चाहिए और अपने पोर्टफोलियो को जोखिम‑रहित बनाते रहना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
धनतेरस पर सोने की कीमतें इतनी बढ़ क्यों रही हैं?
मुख्य कारणों में US सरकार का शट‑डाउन, डॉलर इंडेक्स का गिरना, और वैश्विक स्तर पर मौद्रिक नीति में अनिश्चितता शामिल हैं। इन सब में निवेशकों ने सोने को सुरक्षित आश्रय माना, जिससे मांग में तीव्र वृद्धि हुई।
क्या चांदी में निवेश करना अभी भी आकर्षक है?
हां। चांदी की कीमत ने पिछले धनतेरस से 69% की उछाल देखी है और विशेषज्ञ भविष्य में दो साल में 100% तक रिटर्न की संभावना बताते हैं। लेकिन अस्थिरता अधिक है, इसलिए छोटे‑छोटे भागों में निवेश करना बेहतर रहेगा।
सोना‑चांदी के ETF क्या हैं और क्यों चुनें?
ETF (एक्सचेंज‑ट्रेडेड फंड) सीधे भौतिक धातु को खरीदने की तुलना में कम लागत में एक्सपोजर देते हैं। 2025 में गोल्ड ETF ने 64% और सिल्वर ETF ने 72% रिटर्न दिया, जो व्यक्तिगत निवेशकों के लिए आकर्षक विकल्प बनाते हैं।
भविष्य में सोने की कीमत कितनी तक पहुँच सकती है?
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि अगले धनतेरस तक सोने की कीमत ₹1.5 लाख प्रति 10 ग्राम तक पहुँच सकती है, बशर्ते विश्व आर्थिक अस्थिरता बना रहे और US फेड ब्याज दरों में कटौती करे।
सामान्य निवेशक किसे प्राथमिकता दे?
जतीन त्रिवेदी और प्रवीण सिंह दोनों ने लोन‑सम (SIP), SGBs और गोल्ड ETF को सबसे सुरक्षित रणनीति कहा है। ये साधन कीमतों के उतार‑चढ़ाव को स्मूद करते हैं और दीर्घकालिक रिटर्न का संतुलित मिश्रण प्रदान करते हैं।
Aditi Jain
अक्तूबर 19, 2025 AT 19:56भारत की प्राचीन शान को देख कर ही हम इन्ही बुलंदियों की अपेक्षा कर सकते हैं। सोना‑चाँदी की मूल्य वृद्धि हमारी स्वदेशी बचत की शक्ति को दर्शाती है। जब विदेशी मुद्राएँ अस्थिर हों, तो भारतीय निवेशक स्वाभाविक रूप से अपने धातुभंडार को मजबूत करते हैं। यही कारण है कि इस धनतेरस पर आशा की किरण हमारे उद्योगों में उजागर हो रही है।
arun great
अक्तूबर 24, 2025 AT 11:03पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन के लिहाज से सोने और चांदी दोनों में एक्सपोज़र रखना आवश्यक है। SGBs और गोल्ड ETF दोनों ही लागत‑प्रभावी विकल्प हैं, जिससे औसत लागत घटती है। निवेशकों को टर्म‑इंवेस्टमेंट पर भी विचार करना चाहिए, खासकर जब बाजार में वोलैटिलिटी बढ़ी हुई हो 🙂।
Anirban Chakraborty
अक्तूबर 29, 2025 AT 02:10सोना‑चांदी के मूल्य रेकॉर्ड हाई पर पहुँचते देखना एक नैतिक दुविधा पैदा कर सकता है। कई लोग इसे केवल आशा का स्रोत मानते हैं, पर वास्तविकता में यह आर्थिक अस्थिरता का संकेत भी है। निवेशकों को हमेशा सावधानी से कदम बढ़ाना चाहिए, अन्यथा अल्पकालिक लाभ दीर्घकालिक नुकसान में बदल सकते हैं। उचित रिसर्च और जोखिम‑प्रबंधन से ही सफलता मिल सकती है।
Krishna Saikia
नवंबर 2, 2025 AT 17:16देशभक्ति के भाव से यही कहूँ कि भारत की समृद्धि के लिए हमें अपने धातु भंडार को सुदृढ़ करना चाहिए। विदेशी दबाव के समय में सोना हमारा सबसे बड़ा रक्षा कवच है, और चांदी भी हमें आर्थिक स्वतंत्रता की ओर ले जाती है। इसलिए इस उत्सव में अत्यधिक खर्च करने की बजाय समझदारी से निवेश करना ही बुद्धिमानी है। राष्ट्रीय भावना को हानि न पहुँचाएँ, बल्कि इसे और मजबूत बनाएँ।
Meenal Khanchandani
नवंबर 7, 2025 AT 08:23भौतिक सोना नहीं, बल्कि सुरक्षित निवेश ही बेहतर विकल्प है।
Anurag Kumar
नवंबर 10, 2025 AT 19:43आपका दृष्टिकोण सही है, लेकिन व्यावहारिक तौर पर SIP‑टाइप रणनीति अपनाने से लागत औसत होती है। छोटे‑छोटे निवेशों से आप बड़े जोखिम को कम कर सकते हैं। साथ ही, SGBs पर टैक्स लाभ भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
Prashant Jain
नवंबर 14, 2025 AT 07:03देशभक्ति का मतलब है वित्तीय स्वतंत्रता भी। भारी खर्च से बचें, वरना भविष्य में जँजाल बन जाएगा।
DN Kiri (Gajen) Phangcho
नवंबर 17, 2025 AT 18:23सही कहा, लोगों को सरल भाषा में समझाना ज़रूरी है ताकि वे सही विकल्प चुन सकें। मिल‑जुल कर हम सबके पोर्टफोलियो को बेहतर बना सकते हैं।
Kanhaiya Singh
नवंबर 20, 2025 AT 01:56उल्लेखित रणनीतियों में अनुशासन का होना अनिवार्य है 🙂 यह न केवल जोखिम घटाता है बल्कि दीर्घकालिक रिटर्न को भी स्थिर करता है।
prabin khadgi
नवंबर 24, 2025 AT 17:03अर्थशास्त्रीय दृष्टिकोण से, सोने की कीमतों में अत्यधिक बढ़ोतरी अक्सर मौद्रिक नीति के असंतुलन को प्रतिबिंबित करती है। जब केंद्रीय बैंक ब्याज दरें घटाता है, तो निवेशकों का आकर्षण स्वाभाविक रूप से सादे धातु में जाता है। इसलिए दीर्घकालिक निवेश के लिए केवल वर्तमान मूल्य नहीं, बल्कि नीति‑परिवर्तन की प्रवृत्तियों का भी विश्लेषण आवश्यक है।
Aman Saifi
नवंबर 27, 2025 AT 00:36यह बात सत्य है, पर हमें सामाजिक प्रभाव को भी ध्यान में रखना चाहिए। धातु की कीमतें जनता की बचत शक्ति को सीधे प्रभावित करती हैं। इसलिए शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम आवश्यक हैं।
Ashutosh Sharma
नवंबर 30, 2025 AT 11:56वा, फिर से सोना ही बचा है।
Rana Ranjit
दिसंबर 2, 2025 AT 19:30वित्तीय स्वतंत्रता के पीछे केवल सोने की चमक नहीं, बल्कि ज्ञान और संतुलन भी है। जब हम मात्र भौतिक धातु में भरोसा करते हैं, तो हम वास्तविक आर्थिक स्थिरता से दूर भागते हैं। विविध निवेश ही हमें विविध जोखिमों से बचाता है। इसलिए सोच‑समझकर कदम उठाएँ।