आपने शायद “NBFC” शब्द कहीं सुना होगा, लेकिन ठीक‑ठीक नहीं जानते कि ये क्या है? संक्षेप में, NBFC यानी Non‑Banking Financial Company, यानी ऐसी फाइनेंशियल कंपनी जो बैंक नहीं है लेकिन ऋण, लीज़, फाइनेंसिंग और कई तरह की वित्तीय सेवाएँ देती है। भारत में इनका नियमन RBI (Reserve Bank of India) द्वारा होता है, लेकिन इनको बैंक की तरह डिपॉज़िट कबूल नहीं होते। इसलिए ये छोटे‑मध्यम उद्योगों, खुदरा व्यापारियों और व्यक्तिगत ग्राहकों को तेज़ फंडिंग देती हैं।
आजकल हर दूसरा फ्री‑लांसर, स्टार्ट‑अप या छोटे व्यवसाय NBFC की मदद से अपना काम चलाता है। अगर आप भी फाइनेंसिंग, लोन या इन्वेस्टमेंट के बारे में सोच रहे हैं, तो NBFC की दुनिया में क्या चल रहा है, इसे समझना फायदेमंद रहेगा। इस लेख में हम NBFC के प्रमुख प्रकार, हालिया ट्रेंड और निवेश के आसान टिप्स पर बात करेंगे।
भारत में कई तरह की NBFC होती हैं, लेकिन सबसे आम चार वर्ग हैं:
प्रत्येक प्रकार के अपने रिवेन्यू मॉडल और जोखिम प्रोफ़ाइल होते हैं। लेंडिंग NBFC तेजी से बढ़ रहे हैं क्योंकि लोग अब बैंक के कड़े KYC के बिना भी लोन ले सकते हैं। वहीं लीज़िंग कंपनियाँ बड़ी कंपनियों को फाइनेंसिंग में मदद कर रही हैं, जिससे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स आसान हो रहे हैं।
अगर आप NBFC सेक्टर में पैसे लगाना चाहते हैं, तो कुछ बुनियादी बातें ध्यान में रखें:
आख़िर में, NBFC अक्सर “बैंकों का छोटा‑विकल्प” समझे जाते हैं, लेकिन उनकी वृद्धि दर काफी तेज़ है। 2024‑25 में NBFC का कुल एसेट बेस 18 ट्रिलियन रुपये पार कर गया, और अगले साल 20 ट्रिलियन तक पहुँचने की संभावना है। इस बढ़ती माँग को देखते हुए, सही जानकारी के साथ निवेश करने से आप भी इस सेक्टर से लाभ उठा सकते हैं।
तो, अब जब आपने NBFC की बेसिक समझ ले ली, तो आप अपनी फ़ाइनेंशियल प्लानिंग में इसे शामिल कर सकते हैं या फिर अपनी जरूरत के हिसाब से लोन/लीज़ ले सकते हैं। याद रखें, हर निवेश में जोखिम होता है, इसलिए अपना रिसर्च करें और समझदारी से निर्णय लें।
HDB फाइनेंशियल सर्विसेज का ₹12,500 करोड़ का IPO 25 जून को खुला, जिसमें प्राइस बैंड ₹700-740 रखा गया है। ग्रे मार्केट में IPO का प्रीमियम ₹83 तक पहुंच गया, जिससे निवेशकों की रुचि बढ़ी है। HDFC बैंक की यह कंपनी डिजिटल लेंडिंग और विविध लोन पोर्टफोलियो के लिए जानी जाती है।