G7 समिट 2025 – क्या हुआ, क्या कहा और भारत का क्या योगदान?
जैसे ही G7 देशों ने 2025 का शिखर सम्मेलन पूरा किया, खबरों में एक सवाल घुमता रहा – इस बार सबसे ज़्यादा किस बात पर बात हुई? तनाव‑पूर्ण अंतरराष्ट्रीय माहौल, ऊर्जा कीमतों की उछाल और जलवायु संकट ने एजेंडा में जगह बनाई। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि इस समिट में कौन‑से फैसले हुए और भारत ने कैसे अपना हाथ आज़माया, तो ये लेख आपके लिए है।
समिट के मुख्य एजेंडा
पहले, आर्थिक पुनरुद्धार पर चर्चा हुई। कई देशों के हाथ में बढ़ती महंगाई ने उन्हें इस बात पर ज़ोर दिया कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को कैसे मज़बूत किया जाए। लड़ाई‑सम्बन्धी प्रतिबंधों के चलते ऊर्जा संक्रमण को तेज़ करने की भी बात हुई। यूरोप के कई नेता, विशेषकर जर्मनी और फ्रांस, ने नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश बढ़ाने की योजना पेश की। दूसरा बड़ा मुद्दा था जलवायु परिवर्तन। G7 ने 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को 40% कम करने का लक्ष्य दोहराया और विकासशील देशों को फाइनेंस सपोर्ट देने पर सहमति जताई। तीसरा था तकनीकी सुरक्षा – साइबर‑हमले, AI नियमन और डिजिटल टैक्स पर फोकस। सभी देशों ने कहा कि साझा मानक बनाकर डिजिटल अर्थव्यवस्था को सुरक्षित बनाना जरूरी है।
भारत की भूमिका और संभावित प्रभाव
भारत ने इस समिट में अपना "साथी" के रूप में पहचान बनाने की कोशिश की। प्राइम मिनिस्टर ने बताया कि भारत की आर्थिक गति, स्टार्ट‑अप इकोसिस्टम और जलवायु तकनीकें विश्व के लिए मॉडल हो सकती हैं। इस बात को मजबूत करने के लिए दो प्रमुख कदम उठाए गए। पहला, भारत ने G7 के साथ एक "इंडिया‑G7 इको‑फ्रेंडली फ़ंड" की घोषणा की, जिसका फोकस सौर और पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट्स पर होगा। दूसरा, भारत ने वैश्विक सप्लाई चेन में अपनी भूमिका बढ़ाने के लिए मेडिक्योर‑डिज़िटलीज़ेशन और फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट को आसान बनाने की पहल पेश की।
इन पहलों को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की भागीदारी सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं रहेगी। अगले साल में कई द्विपक्षीय समझौते साइन होने की संभावना है, जिससे स्टार्ट‑अप फंड, तकनीकी सहयोग और जलवायु वित्तीय सहायता में नई लहर आ सकती है। अगर आप व्यापार या निवेश की सोच रहे हैं, तो इस समय भारत‑G7 सहयोग के तहत नए अवसरों पर नज़र रखें।
समग्र रूप से, G7 समिट ने वैश्विक चुनौतियों को हल करने के लिए एकजुटता की जरूरत पर ज़ोर दिया। जबकि बड़े देशों ने अपने-अपने हित रखे, भारत ने अपने विकास को अंतरराष्ट्रीय मंच पर जोड़ने का मौका पकड़ा। अब सवाल है कि ये शब्द‑संकल्पना कितनी जल्दी धरती पर असर दिखाएगी। अगर आप इस बदलाव के हिस्से बनना चाहते हैं, तो आर्थिक नीतियों, तकनीकी निवेश और पर्यावरणीय पहल पर अपडेटेड रहना फायदेमंद रहेगा।