पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024: अवनी लेखरा ने दो स्वर्ण पदक जीतकर रचा इतिहास

पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024: अवनी लेखरा ने दो स्वर्ण पदक जीतकर रचा इतिहास

पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024: अवनी लेखरा ने दो स्वर्ण पदक जीतकर रचा इतिहास

पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024 भारतीय खेलों के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज हो गया है। इस बार भारत ने नयनाभिराम प्रदर्शन करते हुए कई महत्वपूर्ण मीलस्तंभ प्राप्त किए, जिनमें सबसे बड़ी उपलब्धि थी अवनी लेखरा का दो स्वर्ण पदक जीतना। अवनी ने महिला 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग इवेंट में दूसरा स्वर्ण पदक हासिल किया, जो एक अभूतपूर्व उपलब्धि है। इसी इवेंट में उन्होंने टोक्यो गेम्स में भी स्वर्ण पदक जीता था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनका निशाना अपूर्व है।

इतना ही नहीं, मौना अग्रवाल ने अपने पैरालिम्पिक्स करियर की शुरुआत करके महिला 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग इवेंट में ही कांस्य पदक जीता। यह उनके लिए और भारत के लिए गर्व का क्षण है। यह दिखाता है कि भारतीय निशानेबाजी में उभरते हुए नये सितारे भी हैं।

प्रीति पाल और मनीष नरवाल की प्रवीणता

प्रीति पाल ने भी राष्ट्रीय ध्वज को ऊंचा करते हुए महिला 100 मीटर टी35 इवेंट में कांस्य पदक जीता। यह इवेंट एथलेटिक्स की श्रेणी में आता है और इसमें उनकी जीत अभूतपूर्व है।

पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में मनीष नरवाल ने रजत पदक जीता। यह उल्लेखनीय है कि मनीष ने टोक्यो गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था, और इस बार उन्होंने अपनी शानदार प्रदर्शन को कायम रखते हुए रजत पदक हासिल किया।

भारत की पदक तालिका में क्या हुआ है बदलाव

इन सभी पदकों की उपल्बधियों से भारत की कुल पदक संख्या पेरिस पैरालिम्पिक्स में चार हो गई है। यह वह आंकड़ा है जिसका इंतजार पूरे देश ने लंबे समय से किया। भारत के पैरालिम्पिक गेम्स की कुल पदक संख्या अब 35 हो गई है, जिसमें 10 स्वर्ण पदक शामिल हैं।

इतिहास की एक नज़र डालें तो भारत ने हमेशा ही निराश्रम और अदम्य साहस का प्रदर्शन किया है। मुरलीकांत पेटकर, देवेंद्र झाझड़िया, मरियप्पन थंगावेलु, सुमित अंतील, मनीष नरवाल, प्रमोद भगत, और कृष्णा नगर जैसे महान खिलाड़ी पहले से ही स्वर्ण पदकों की सूची में शामिल हैं।

अब पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024 में अवनी लेखरा के नाम ने इस सूची को और भी भव्य बना दिया है। अवनी सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि वह प्रेरणा स्रोत भी हैं, जिनसे भावी पीढ़ियां सीख सकती हैं।

भविष्य की संभावनाएं और तैयारी

भविष्य की संभावनाएं और तैयारी

आने वाले वर्षों में भारतीय पैरालिम्पिक्स खेलों की संभावनाएं और भी उज्जवल होंगी। इससे भारतीय खेलों में युवा खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ेगा और वे अपने देश के लिए और भी अधिक मेहनत से खेलेंगे।

इन सभी खिलाड़ियों की सफलताओं से स्पष्ट है कि भारतीय पैरालिम्पिक दल में कोई कमी नहीं है। यह दिखाता है कि सही तरह की तैयारी और निरंतर मेहनत से किसी भी प्रकार की विपरीत परिस्थितियों का सामना किया जा सकता है और उच्चतम स्तर पर प्रदर्शन किया जा सकता है।

इस प्रकार, पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024 भारतीय खेल गलियों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बन गया है। इसकी वजह से भारतीय खेलों का भविष्य और भी उज्जवल और सुरक्षित नजर आ रहा है। यह खिलाड़ियों का आत्मविश्वास ही है जो उन्हें सफलता की ओर अग्रसर करता है।

भारतीय खिलाड़ियों की कुल पदक सूची

इस बार के गेम्स में अवनी लेखरा के दो स्वर्ण पदक के साथ-साथ मौना अग्रवाल का कांस्य पदक, प्रीति पाल का कांस्य पदक और मनीष नरवाल का रजत पदक शामिल है।

पुराने गेम्स में सोनल लहिर और देवेंद्र झाझड़िया जैसे खिलाड़ियों ने वैसा ही प्रदर्शन किया था। अब इन नए खिलाड़ियों ने फिर से वही इतिहास दोहराया और भारत को गर्व महसूस कराया।

यह न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे खेल जगत के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। यह दिखाता है कि यदि हम संघर्षरत रहें और मनोबल ऊँचा रखें तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती।

उपसंहार

उपसंहार

अवनी लेखरा की तरह ही हर भारतीय खिलाड़ी अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर रहा है। यह एक नई दिशा और सोच की ओर संकेत करता है, जहां हर भारतीय खिलाड़ी अपने देश के लिए समर्पित है और विश्व मंच पर अपने ध्वज को ऊंचा उठाने का प्रयास कर रहा है।

तो आइए, इस सफलता को मनाएं, और आने वाले वर्षों में और भी ज्यादा भारतीय खिलाड़ियों को वैश्विक मंच पर देखने की उम्मीद करें।

6 Comments

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    Girish Sarda

    अगस्त 31, 2024 AT 14:09
    अवनी लेखरा ने जो किया वो बस इतिहास बना दिया। दो स्वर्ण पदक एक ऐसी बात है जिसे देखकर लगता है कि कोई भी असंभव नहीं है।
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    Garv Saxena

    सितंबर 2, 2024 AT 03:05
    क्या हम इसे इतिहास मान रहे हैं या सिर्फ एक बार की चमकदार घटना? हर चार साल में एक नया नाम आता है और हम उसे देवता बना देते हैं। लेकिन असली सवाल ये है कि इन खिलाड़ियों के लिए आज भी बुनियादी ढांचा उतना ही खराब है जितना पहले था। हम उनकी जीत को शोर मचाकर मनाते हैं लेकिन उनके लिए एक स्थायी अनुदान या ट्रेनिंग सेंटर नहीं बनाते। इसीलिए ये सब बस एक तस्वीर है जिसे हम फेसबुक पर शेयर करते हैं।
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    Rajesh Khanna

    सितंबर 3, 2024 AT 06:03
    इतनी सारी जीत देखकर दिल भर गया। अवनी, मौना, प्रीति, मनीष - हर एक ने अपनी मेहनत से देश को गर्व दिया। ये सिर्फ खेल नहीं, ये जीवन की शिक्षा है। जब तक हम अपने अंदर की लड़ाई जीतेंगे, बाहर की कोई बाधा नहीं रोक सकती। भारत के लिए ये एक नया आधार है।
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    Sinu Borah

    सितंबर 4, 2024 AT 08:50
    सब इतना उत्साह क्यों? चार पदक? चीन और ब्रिटेन के पास तो सैकड़ों हैं। ये जो हम जीत रहे हैं वो तो बस एक छोटा सा अंक है। और अवनी का दूसरा स्वर्ण? उसने टोक्यो में भी जीता था। तो फिर इतिहास क्या हुआ? ये सब तो बस एक बार की बात है। अगर हम असली ताकत दिखाना चाहते हैं तो पहले अपने अंदर की गलतियां सुधारो। खेल बोर्ड के लिए बजट कम है, ट्रेनर्स की कमी है, डिवाइसेस नहीं मिलते। इसलिए ये सब बस एक धुंधली तस्वीर है।
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    Kairavi Behera

    सितंबर 5, 2024 AT 11:14
    अवनी के लिए बहुत बधाई। उन्होंने जो किया वो किसी भी बच्चे के लिए प्रेरणा है। अगर तुम घर पर अकेले ट्रेनिंग कर रहे हो और तुम्हारे पास कोई सहारा नहीं है, तो भी ये देखो कि एक लड़की ने कैसे दुनिया को दिखा दिया। अगर तुम चाहो तो तुम भी कर सकते हो। बस एक बार विश्वास कर लो।
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    Sujit Yadav

    सितंबर 7, 2024 AT 02:35
    अवनी लेखरा की उपलब्धि निस्संदेह प्रशंसनीय है। हालांकि, यह तथ्य अनदेखा नहीं किया जा सकता कि भारतीय पैरालिम्पिक समिति ने इस वर्ष केवल चार पदक जीते हैं, जो एक अत्यंत निम्न स्तर का प्रदर्शन है। यूरोपीय देशों की तुलना में भारत के लिए अभी भी एक विशाल अंतर है। इसके अलावा, यह भी ध्यान देने योग्य है कि इन सभी पदकों का विषय केवल निशानेबाजी और एथलेटिक्स तक सीमित है। क्या हम वास्तव में खेल के अन्य क्षेत्रों में विकास की ओर बढ़ रहे हैं? या फिर हम केवल एक छोटे से गुट के खिलाड़ियों की उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत कर रहे हैं? यह सिर्फ एक विज्ञापन अभियान नहीं है, बल्कि एक जागरूकता की आवश्यकता है।

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