लाल किले के पास अनजाने में फटा IED, 12 मरे, 2900 किलो बम सामग्री बरामद

लाल किले के पास अनजाने में फटा IED, 12 मरे, 2900 किलो बम सामग्री बरामद

दिल्ली के चांदनी चौक में लाल किले के ठीक पास एक ताकतवर विस्फोट ने शहर को हिला दिया — लेकिन ये कोई आतंकी हमला नहीं, बल्कि एक अनजाने में फटा IED था। रविवार को देशभर में चल रही एंटी-टेरर ऑपरेशन के दौरान, आतंकवादियों ने बम बनाने की सामग्री ले जाते समय घबरा गए, और गाड़ी में अधूरा बम अचानक फट गया। न्यूज़ एजेंसियों के मुताबिक, कम से कम 12 लोग मारे गए और कई दर्जन घायल हुए। ये विस्फोट दिल्ली के ऐतिहासिक क्षेत्र में एक ऐसी घटना है जिसने देश की सुरक्षा व्यवस्था को एक नए तरीके से चुनौती दी है।

कैसे बना ये विस्फोट? अचानक घबराहट का नतीजा

प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आतंकवादी समूह ने फरीदाबाद के सेक्टर 27 में एक औद्योगिक सुविधा से 2,900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट जैसी बम सामग्री चुराई थी। इस सामग्री का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर बम बनाने के लिए किया जा रहा था। लेकिन फरीदाबाद में एक बड़ी छापा मार अभियान के बाद, आतंकवादी अपनी सामग्री को दिल्ली ले जाने के लिए तैयार हुए। उन्हें लगा कि पुलिस उनका पीछा कर रही है। इस घबराहट में, उन्होंने एक हायुंदई i20 में अधूरा IED लाद लिया — जिसमें विस्फोटक को ठीक से जोड़ा नहीं गया था।

लाल किले के पास चांदनी चौक में धीरे-धीरे चल रही गाड़ी अचानक फट गई। विस्फोट का झटका आसपास के इमारतों को हिला गया। लेकिन चूंकि बम अधूरा था, इसलिए कोई बड़ा गड्ढा नहीं बना, कोई टुकड़े नहीं उड़े। ये बात आतंकी हमले की शुरुआती धारणा को तोड़ देती है।

जांच अब NIA के हाथ में, पुलिस ने FIR दर्ज की

दिल्ली पुलिस ने आजादी के बाद के सबसे बड़े बम सामग्री अवैध अपहरण के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया है। एक FIR अवैध गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 और विस्फोटक अधिनियम, 1884 के तहत दर्ज की गई है। अभी तक कोई संगठन या नाम सामने नहीं आया है — लेकिन बम सामग्री की मात्रा और इसके अधूरे बनावट को देखकर लगता है कि ये किसी अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा था।

पुलिस ने विस्फोट के बाद तुरंत दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में अलर्ट जारी कर दिया। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) की टीमें लाल किले के आसपास तैनात कर दी गईं। आज तक लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में लगभग 24 घायल भर्ती हैं। अभी तक 12 लाशें पहचानी जा चुकी हैं, लेकिन शेष के पहचान के लिए डीएनए टेस्ट की जा रही हैं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने घोषित किया मुआवजा, लेकिन अभी कुछ नहीं

दिल्ली के मुख्यमंत्री अतिशी मारलेना ने घटना के तुरंत बाद घोषणा की कि सरकार घायलों और मरने वालों के परिवारों को मुआवजा देगी। लेकिन आज तक कोई आधिकारिक राशि, कोई योग्यता मानदंड जारी नहीं किया गया है। इससे बहुत से परिवार अभी भी अनिश्चितता में हैं। एक घायल के परिवार ने बताया, "हमें अभी तक कोई नोटिस नहीं मिला। बस एक अस्पताल में बैठे हैं, और इंतजार कर रहे हैं।"

अगले कदम: बम की डिटेल्स और सुरक्षा समीक्षा

अगले 48 घंटों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की टीम हायुंदई i20 के बचे हुए टुकड़ों की जांच करेगी। विस्फोटक के अवशेष, वायरिंग, और टाइमर के निशान खोजने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही, दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा 12 नवंबर, 2025 को सुबह 10 बजे यूनियन होम मंत्री अमित शाह के साथ एक सुरक्षा समीक्षा बैठक करेंगे।

इस बैठक में देश भर में बम सामग्री के अवैध ट्रैफिक को रोकने के लिए नए नियम बनाने की बात होगी। फरीदाबाद में जो सामग्री चुराई गई, उसके बारे में जानकारी मिली है कि वह एक इंडस्ट्रियल स्टोर से निकाली गई थी — जहां बिना रजिस्ट्रेशन के रसायन जमा किए जाते थे। अब ऐसी सुविधाओं पर नजर रखने की जरूरत है।

ऐसा पहली बार नहीं — लेकिन इस बार अलग

2019 में लाल किले के पास एक छोटा विस्फोट हुआ था, जिसमें एक बाइक पर लगा बम फटा था। उस बार भी आतंकवादी संगठन ने जिम्मेदारी ली थी। लेकिन इस बार कुछ अलग है। ये कोई आत्मघाती हमला नहीं है। ये एक असफल बम बनाने की कोशिश का नतीजा है। इसका मतलब है कि आतंकवादी अब ज्यादा संगठित नहीं हैं — बल्कि बिखरे हुए हैं, और उनकी योजनाएं अधूरी हैं।

लेकिन यही बात खतरनाक है। क्योंकि अगर ये बम पूरा बन जाता, तो लाल किले के आसपास के भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में सैकड़ों लोग मारे जा सकते थे। ये विस्फोट एक बड़े आतंकी हमले का असफल प्रयास था — और ये असफलता भी हमारी सुरक्षा बलों की तेजी का नतीजा है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इस विस्फोट का क्या कारण था?

इस विस्फोट का कारण आतंकवादियों की घबराहट थी। देशभर में चल रहे एंटी-टेरर ऑपरेशन के बाद, उन्होंने फरीदाबाद से चुराई गई 2,900 किलोग्राम बम सामग्री को लाल किले के पास ले जाने की कोशिश की। गाड़ी में अधूरा IED अचानक फट गया, जिससे 12 लोग मारे गए। ये कोई जानबूझकर किया गया हमला नहीं, बल्कि एक अक्सिडेंटल एक्सप्लोजन था।

क्या ये कोई विदेशी आतंकी संगठन का काम है?

अभी तक कोई संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है। लेकिन बम सामग्री की मात्रा और उसकी तैयारी का तरीका बाहरी संगठनों के साथ जुड़ा हुआ लगता है। फरीदाबाद में चुराई गई सामग्री का स्रोत एक अवैध रसायन स्टोर है — जिसका संबंध पाकिस्तान या अफगानिस्तान के आतंकी नेटवर्क से जुड़ा हो सकता है। जांच अभी चल रही है।

क्या लाल किले के आसपास की सुरक्षा अब और कमजोर हो गई है?

नहीं, बल्कि इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता दर्शाई है। लाल किले के आसपास की सुरक्षा अब तक दृढ़ रही है, लेकिन इस विस्फोट ने दिखाया कि बम सामग्री का अवैध ट्रांसपोर्ट अभी भी एक खाई है। अब बाजारों और औद्योगिक क्षेत्रों में रसायनों के नियंत्रण को मजबूत किया जाएगा।

क्या अब दिल्ली में भीड़ वाले स्थानों पर अलर्ट बढ़ गया है?

हां, दिल्ली पुलिस ने जम्मू कश्मीर से लेकर बिहार तक के सभी भीड़भाड़ वाले स्थानों पर अलर्ट बढ़ा दिया है। लाल किले, जम्मू कश्मीर हाउस, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र और दिल्ली मेट्रो के बड़े स्टेशनों पर अतिरिक्त निगरानी शुरू हो चुकी है। NSG टीमें अब रात में भी घूम रही हैं।

क्या ये घटना किसी चुनाव से जुड़ी है?

नहीं, इस घटना का कोई सीधा संबंध किसी चुनाव से नहीं है। ये एक आतंकवादी गतिविधि है जो लगभग एक साल से चल रही थी। फरीदाबाद में बम सामग्री का अवैध अपहरण 2024 के अंत में हुआ था, और ये विस्फोट उसका अंतिम नतीजा है। सरकार ने भी इसे राजनीतिक नहीं बताया है।

मुआवजा कब तक मिलेगा?

मुआवजा के लिए अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन अनुमान है कि मरने वाले के परिवार को 10 लाख रुपये और घायलों को 2 लाख रुपये तक मिल सकते हैं। दिल्ली सरकार ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही एक विशेष टीम बनाई जाएगी, जो बिना किसी देरी के भुगतान करेगी।

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