ईरान का इज़राइल पर हमले का खतरा: इस्माइल हनिया की हत्या और हिजबुल्लाह की भूमिका

ईरान का इज़राइल पर हमले का खतरा: इस्माइल हनिया की हत्या और हिजबुल्लाह की भूमिका

मध्य पूर्व में तनाव बढ़ा, ईरान-इज़राइल संघर्ष की संभावना

मध्य पूर्व में हाल ही में हुई घटनाओं ने एक बार फिर से क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा दिया है। हमास नेता इस्माइल हनिया की ईरान में और हिजबुल्लाह कमांडर फुआद शुकर की लेबनान में हत्या ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। माना जा रहा है कि ये हमले इज़राइल द्वारा किए गए हैं, जिसका साफ मतलब है कि क्षेत्र में युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं।

इस्माइल हनिया की हत्या

इस्माइल हनिया, जिनका संबंध हमास से है और जो उनकी राजनीतिक विंग के प्रमुख नेतृत्व में से एक थे, की हत्या ईरान में उस समय हुई जब वे ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मास पेज़ेश्कियन के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए तेहरान पहुंचे थे। पेज़ेश्कियन, जो पश्चिमी देशों के साथ संबंध सुधारने और ईरान की आर्थिक समस्याओं को हल करने के मंच पर चुनाव जीते थे, के लिए हनिया की हत्या एक बड़ी चुनौती है। इस घटना ने न केवल हमास और ईरान के बीच के संबंधों पर असर डाला है, बल्कि पूरे क्षेत्र में अशांति फैला दी है।

हिजबुल्लाह कमांडर की हत्या

फुआद शुकर, हिजबुल्लाह के एक वरिष्ठ कमांडर जो कि लेबनान में सक्रिय थे, की हत्या भी ऐसी ही एक गंभीर घटना है। हिजबुल्लाह, जो कि ईरान समर्थित शिया मिलिशिया है, और इज़राइल के बीच लंबे समय से दुश्मनी रही है। शुकर की हत्या ने इस दुश्मनी को और बढ़ा दिया है और संभवतः हिजबुल्लाह के प्रतिशोध को भी उकसाया है।

प्रतिक्रिया की संभावना

इन हत्याओं के बाद, ईरान की ओर से संभावित प्रतिशोध का खतरा बढ़ गया है। ईरान के नये राष्ट्रपति मास पेज़ेश्कियन, जो कि एक मध्यमार्गी नेता माने जाते हैं, पर अब कठोर प्रतिक्रियाओं का दबाव बन गया है। इस स्थिति को और जटिल बनाता है सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई का प्रभाव, जो कि सभी निर्णायक शक्ति रखते हैं। खामेनेई के अनुयायी और अन्य कट्टरपंथी गुट पेज़ेश्कियन पर दबाव बना सकते हैं कि वे इस हमले का आक्रामक जवाब दें।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया

इस बढ़ते तनाव का अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर भी असर पड़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने स्पष्ट रूप से इज़राइल को समर्थन प्रदान किया है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि अगर इज़राइल पर हमला होता है तो अमेरिका उसकी रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार है।

आंतरिक विवाद भी उभरे

इस ताजे संघर्ष का असर इज़राइल के अंदरूनी मामलों पर भी पड़ा है। इज़राइल के भीतर भी फिलीस्तीनी बंदियों के साथ व्यवहार और सैन्य भूमिका को ले कर विभाजन हो गया है। इन आंतरिक व्यथा ने इज़राइल की सत्तारूढ़ सरकार के कानों खींचे हैं।

स्थिति का निरंतर मूल्यांकन

इन घटनाओं के बाद, इज़राइल ने अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने और संभावित हमलों के लिए तैयार रहने के लिए अपनी सैन्य शक्ति तैनात कर दी है। मध्य पूर्व के इस क्षेत्र में एक व्यापक संघर्ष की संभावना लगातार बढ़ रही है, और दोनों पक्ष गंभीर परिणामों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

14 Comments

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    Rakesh Varpe

    अगस्त 7, 2024 AT 11:52
    इज़राइल का ये हर कदम बस एक नियम बन गया है। ईरान को अब बस जवाब देना है।
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    Girish Sarda

    अगस्त 7, 2024 AT 17:30
    हनिया की मौत ने तो हमास के अंदर भी बहुत बदलाव ला दिया है। अब देखना होगा कि वो कैसे रिएक्ट करते हैं।
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    Garv Saxena

    अगस्त 9, 2024 AT 15:10
    अगर हम सच में ये समझना चाहें कि ये सब क्यों हो रहा है तो हमें पहले ये समझना होगा कि मध्य पूर्व का राजनीतिक नक्शा कैसे बना है। हर एक हत्या एक चैन का एक कड़ी है जो अब तक चल रही है। ये सिर्फ इज़राइल और ईरान का मुद्दा नहीं है। ये एक ऐसा नेटवर्क है जिसमें अमेरिका, रूस, चीन, सऊदी अरब, तुर्की सब शामिल हैं। हम बस एक छोटे टुकड़े को देख रहे हैं और सोच रहे हैं कि ये पूरा चित्र है। और फिर वो लोग जो बताते हैं कि ये सब बस ईरान की गलती है... वो तो बस अपनी नींद में रहते हैं।
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    Rajesh Khanna

    अगस्त 11, 2024 AT 06:38
    हमें उम्मीद रखनी चाहिए कि शांति का रास्ता कभी नहीं बंद होगा। इंसानियत हमेशा जीतती है।
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    Sinu Borah

    अगस्त 13, 2024 AT 04:33
    अरे भाई, ये सब तो पहले से जाना जा रहा था। इज़राइल हर बार ऐसा करता है। जब भी कोई बड़ा नेता मारा जाता है, तो वो उसे ईरान के खिलाफ बता देता है। असल में इज़राइल खुद बहुत से हमले करता है, लेकिन जब कोई उसके खिलाफ कुछ करता है तो वो बोलता है कि ये आतंकवाद है। ये दोहरा मानक है। अब ईरान को भी ऐसा ही करना चाहिए। नहीं तो लगेगा कि वो डर गया।
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    Sujit Yadav

    अगस्त 13, 2024 AT 13:49
    इस तरह के अंधेरे राजनीतिक खेल में, जहाँ नागरिकों की जानें बलिदान हो रही हैं, वहाँ कोई भी नेता जो शांति की बात करता है, वह बस एक नाटकीय बयान दे रहा होता है। इज़राइल के लिए ये एक रणनीतिक निर्णय है, और ईरान के लिए ये एक अस्तित्व का सवाल है। और हम? हम बस एक आँखों के सामने एक दर्द भरा नाटक देख रहे हैं। और फिर भी कुछ लोग बोलते हैं कि ये दोनों तरफ बराबर हैं। नहीं। एक तरफ एक राष्ट्र है जिसने अपनी सुरक्षा के लिए दुनिया के सबसे ताकतवर सैन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया है। दूसरी तरफ एक देश है जिसे आर्थिक बेड़ियों में बंधा गया है। इसका अर्थ क्या है? कि अब तक किसी ने सच्चाई को बाहर नहीं निकाला।
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    Kairavi Behera

    अगस्त 15, 2024 AT 09:35
    ये सब बहुत बड़ा मुद्दा है। लेकिन अगर हम चाहें तो शांति के लिए छोटे कदम भी उठा सकते हैं। जैसे कि अपने आसपास के लोगों को जागरूक करना।
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    Aakash Parekh

    अगस्त 17, 2024 AT 03:07
    ईरान का जवाब आएगा। बस इतना ही।
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    Sagar Bhagwat

    अगस्त 17, 2024 AT 14:57
    अरे भाई, ये सब तो बस राजनीति का खेल है। दोनों तरफ बस अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। कोई असली जंग नहीं होगी।
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    Jitender Rautela

    अगस्त 18, 2024 AT 15:23
    अगर ईरान ने इज़राइल को नहीं मारा तो वो दुनिया के सामने डरपोक लगेगा। अब तो बस इंतज़ार है।
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    abhishek sharma

    अगस्त 20, 2024 AT 00:09
    तुम लोग ये सब बातें क्यों कर रहे हो? ये तो पहले से जाना जा रहा था कि इज़राइल ऐसा करेगा। अब ईरान को बस एक ऐसा जवाब देना है जिससे दुनिया को लगे कि वो अब बस बोल रहा है, बल्कि बोल रहा है। अगर वो अपने राष्ट्रपति की तरह मध्यमार्गी बनना चाहता है तो उसे अपने कट्टरपंथियों को भी शांत रखना होगा। और अगर वो नहीं करता तो उसकी जगह कोई और ले लेगा। ये सब तो एक बड़ा नाटक है। और हम उसके दर्शक हैं। बस।
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    Surender Sharma

    अगस्त 20, 2024 AT 03:04
    hmn yaar israel toh hamesha kuch na kuch karta hi hai... iran bhi kuch karega na? kya baat hai
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    Divya Tiwari

    अगस्त 21, 2024 AT 11:01
    हमारे देश की सरकार क्यों चुप है? हमारे नेता तो बस इज़राइल के नाम से बात करते हैं। जब तक हम अपनी आत्मा को नहीं जगाते, तब तक ये नाटक चलता रहेगा। ये न सिर्फ ईरान और इज़राइल का मुद्दा है, ये हमारी इंसानियत का मुद्दा है।
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    shubham rai

    अगस्त 23, 2024 AT 07:26
    इज़राइल का ये कदम बहुत बुरा है 😔

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