अगर आप अभी भी यही सोचते हैं कि बिजली का बिल नहीं घटेगा, तो एक बार नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में सोचे‑समझे तो सही। सौर, पवन, जल और बायोमास जैसी चीज़ें बार‑बार इस्तेमाल की जा सकती हैं, खर्च भी कम और पर्यावरण पर असर भी न्यूनतम रहता है। भारत में हर साल बढ़ते बिजली की मांग को देखते हुए, सरकार ने इस सेक्टर को तेज़ी से बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
सबसे लोकप्रिय तो सौर पैनल हैं – छत पर लगा लो, रोज़ाना धूप से बिजली बनती रहेगी। शुरुआती खर्च थोड़ा अधिक लगता है, लेकिन 5‑10 साल बाद तो बचत की गिनती नहीं करनी पड़ेगी। पवन टरबाइन बड़े खेतों या समुद्र के किनारे लगाते हैं, हवा तेज़ होने पर तुरंत बिजली बनती है। जलविद्युत छोटे नदियों पर भी लागू हो सकता है, जिससे स्थानीय स्तर पर बिजली की कमी नहीं रहती। बायोमास की बात करें तो, खेतों के कचरे या लकड़ी के डण्डे को ईंधन बनाकर बिजली या गर्मी निकाल सकते हैं।
इन सभी स्रोतों की एक बड़ी ख़ासियत यह है कि वो कोयले या तेल जैसी फॉसिल फ्यूल्स पर निर्भर नहीं होते। यानी कार्बन डाइऑक्साइड कम निकलता है और हमें साफ‑सुथरा वायु मिलता है। साथ ही रोजगार के नए अवसर भी बनते हैं – पैनल इंस्टॉल करने वाले, टरबाइन मेंटेनेंस करने वाले, या बायोमास प्लांट चलाने वाले सबको काम मिलता है।
पिछले कुछ महीनों में कई बड़े प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं। गुजरात में 1,000 MW की सौर ऊर्जा फ़ार्म शुरू हो रही है, जिसमें घरेलू सॉलर पैनलों को एक साथ जोड़कर बड़ी मात्रा में बिजली उत्पन्न होगी। उत्तरी भारत में 600 MW की पवन ऊर्जा परियोजना को जल्दी पूरा करने का लक्ष्य है, जिससे गांवों में बिजली की पहुंच बेहतर होगी।
साथ ही, सरकार ने सोलर पैनल पर टैक्स में छूट दी है और पवन टरबाइन के लिए लोन आसान बना दिया है। इससे छोटे किसान और उद्योग धंधे वाले भी अपनी खुद की बिजली बना सकेंगे। समाचार में अक्सर दिखता है कि कई राज्यों ने 2030 तक 50% बिजली नवीकरणीय स्रोतों से लाने का प्लान घोषित किया है – ये लक्ष्य अगर पूरे हुए तो भारत विश्व में साफ़ ऊर्जा का बड़ा खिलाड़ी बन सकता है।
अगर आप खुद भी इस बदलते दौर में कदम रखना चाहते हैं, तो पहले अपने घर या कंपनी की बिजली खपत देखिए और तय करें कि कौन सा स्रोत सबसे उपयुक्त रहेगा। सौर पैनल तो सबसे आसान है – इंस्टॉल करवा लो, और बिजली बिल पर साल‑दर‑साल बचत देखिए।
आख़िर में यही कहूँगा कि नवीकरणीय ऊर्जा सिर्फ़ एक ट्रेंड नहीं, बल्कि हमारा भविष्य है। अब समय है कि हम सब मिलकर इसे अपनाएँ और साफ़, सस्ती और भरोसेमंद बिजली का लुफ़्त उठाएँ।
GK Energy के IPO ने 5 गुना ओवरसब्सक्रिप्शन के साथ निवेशकों का बड़ा ध्यान खींचा है। ग्रे मार्केट प्रीमियम 14‑15 रुपये के बीच है, जिससे सूचीबद्ध मूल्य पर 10‑14% का फायदा मिल सकता है। कंपनी सोलर‑पम्प कार्य में 8.56% बाजार हिस्सेदारी रखती है। विश्लेषकों का मानना है कि 23.3× P/E मूल्य उचित है, पर सरकारी योजनाओं पर निर्भरता जोखिम बनती है।