जब बैट्समैन अपने विकेट पर दौड़ता है और फील्डर गेंद को थ्रो करके उस पर पहले पहुँच जाता है, तो वही रन आउट कहलाता है। ये नियम हर पिच पर वही लागू होता है, चाहे अंतरराष्ट्रीय मैच हो या गली का खेल। अगर आप क्रिकेट देखते‑समझते हैं तो इस शब्द से आप पहले ही परिचित होंगे, पर असल में यह कैसे काम करता है, कब‑कब यह खेल को बदल देता है, ये जानना दिलचस्प होता है।
रन आउट दो तरीके से हो सकता है:
आमतौर पर फील्डर की एक अच्छी थ्रो और तेज़ प्रतिक्रिया ही रन आउट को रोकती है। यही कारण है कि फील्डिंग को अक्सर ‘सिक्स सेकंड रूल’ कहा जाता है – बैट्समैन को रन बनाने के लिए कम से कम छह सेकंड चाहिए होते हैं।
कई बार रन आउट ने मैच का रुख बदल दिया है। 2025 की त्रिकोणीय सीरीज में पाकिस्तान ने यूएई को 31 रन से हराया, लेकिन एक झटके भरे रन आउट ने यूएई को बचाया। इसी तरह, हरशित राणा ने अपने पहले T20I में कन्कशन सबस्टिट्यूट बनते हुए तीन विकेट ली, पर अगर उसे रन आउट हुआ होता तो कहानी अलग होती।
इन घटनाओं से दो बातें सीख सकते हैं:
अगर आप खुद क्रिकेट खेलते हैं तो इन टिप्स को अपनाएँ:
इन छोटे‑छोटे कदमों से आप या तो अपने रन बना पाएँगे या विपक्षी टीम को रन आउट नहीं करने देंगे। आखिरकार, क्रिकेट सिर्फ स्ट्रिक्ट्स नहीं, बल्कि छोटी‑छोटी चालों से जीतता है।
तो अगली बार जब आप मैदान पर हों या टीवी पर मैच देखें, तो ध्यानी रखें – रन आउट सिर्फ एक शब्द नहीं, यह आपके खेल के निर्णयों और फील्डर की तेज़ी का टेस्ट है। अब समझे कि कैसे अपनी गेमिंग स्ट्रैटेजी में रन आउट को कंट्रोल कर सकते हैं और जीत की राह बना सकते हैं।
टी20 वर्ल्ड कप फाइनल में भारत के ऑलराउंडर अक्षर पटेल ने 47 रनों की शानदार पारी खेली, लेकिन एक अप्रत्याशित रन आउट ने उनकी पारी का अंत किया। पटेल की इस पारी ने भारतीय टीम की शुरुआत को स्थिर किया और मध्य क्रम के बल्लेबाजों को बड़ी पारियाँ खेलने का अवसर दिया। उनका आउट होना भारतीय टीम के लिए महत्वपूर्ण क्षण था।