अपर एकादशी का महत्व और कथा
अपर एकादशी, जिसे अचला एकादशी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2024 में यह पर्व 2 जून को मनाया जाएगा। इस दिन व्रत रखने और कथा सुनने से जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
अपर एकादशी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है। इस उपवास से जीवन में शांति, समृद्धि और खुशहाली लाने वाली अनेक कथाएं जुड़ी हुई हैं। इन कथाओं में से एक प्रमुख कथा राजा महिध्वज की है।
राजा महिध्वज की कथा
प्राचीन काल में एक राजा महिध्वज हुआ करते थे। वे अपना शासन न्याय और धर्म के अनुसार चलाते थे। परंतु, उनके छोटे भाई ने छलपूर्वक उनकी हत्या कर दी। राजा मारे गए, परंतु उनकी आत्मा एक पीपल के पेड़ के पास भूत के रूप में भटकने लगी।
इस दुखद स्थिति को देख एक ऋषि ने राजा के छोटे भाई को परामर्श दिया कि अगर वह अपर एकादशी का व्रत रखे और उस दिन की कथा सुने, तो राजा महिध्वज की आत्मा को मुक्ति मिल सकती है। छोटे भाई ने वैसा ही किया। उसने अपर एकादशी का व्रत रखा और कथा सुनाई।
कथा सुनने के बाद राजा महिध्वज की आत्मा को शांति मिली और वह मुक्ति प्राप्त कर स्वर्ग लोक चली गई। इस प्रकार, अपर एकादशी व्रत और कथा सुनने से न केवल राजा महिध्वज की आत्मा को मुक्ति मिली, बल्कि उनके छोटे भाई के पाप भी नष्ट हो गए।
अपर एकादशी व्रत के लाभ
- सभी पापों से मुक्ति
- आध्यात्मिक शांति और आत्मिक संतोष
- जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति
- पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में सुधार
अपर एकादशी का व्रत रखने का अद्वितीय महत्व है। यह व्रत केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और व्यक्तिगत सुधार के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को न केवल अपने पापों से छुटकारा मिलता है, बल्कि वह समाज में एक आदर्श के रूप में स्थापित होता है।
अपर एकादशी व्रत और कथा सुनने का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यह व्रत व्यक्ति के जीवन को शुद्ध और पवित्र बनाने में सहायक होता है। साथ ही, यह व्रत मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है।
अपर एकादशी का व्रत कैसे रखें
अपर एकादशी का व्रत करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। इस दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान ध्यान करना चाहिए और पवित्र वस्त्र धारण करना चाहिए।
इसके बाद, भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। केवल फलाहार या जल का सेवन करना चाहिए। दिनभर भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करना चाहिए और सत्संग करना चाहिए।
रात्रि में जागरण करके भगवद् भक्ति में लीन रहना चाहिए। अगले दिन द्वादशी तिथि के समय व्रत का पारण करना चाहिए और ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दक्षिणा देनी चाहिए। ऐसा करने से व्रत पूर्ण होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
व्रत के दौरान परहेज
- अन्न का सेवन न करें
- क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार से बचें
- असत्य वचन और अशुद्ध विचार न रखें
- सभी प्रकार के दुर्व्यवहार से बचें
अपर एकादशी व्रत व कथा का पालन करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह व्रत आत्मिक शांति प्रदान करता है और व्यक्तित्व को निखारता है। इसे पालने से जीवन में उत्तम स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
Kairavi Behera
जून 3, 2024 AT 02:36अपर एकादशी का व्रत रखना बस भोजन छोड़ने की बात नहीं है। असली मतलब तो ये है कि तुम अपने मन के अंधेरे को देखो - लोभ, क्रोध, अहंकार। जब तक ये नहीं छूटेंगे, तब तक तुम सिर्फ पेट भरे रहोगे, आत्मा नहीं।
Sujit Yadav
जून 4, 2024 AT 01:31इस कथा को लेकर तुम्हारा दृष्टिकोण बहुत साधारण है। वैदिक परंपरा में एकादशी का सिद्धांत अत्यंत सूक्ष्म है - यह न केवल शारीरिक उपवास है, बल्कि एक योगिक अभ्यास है जिसमें वायु, अग्नि और आकाश के तत्वों का समन्वय होता है। तुम्हारी समझ से बहुत दूर।
Aakash Parekh
जून 4, 2024 AT 04:13अच्छा लगा, लेकिन क्या असल में कोई इतना भूत देख चुका है? 😅
Sagar Bhagwat
जून 5, 2024 AT 01:27अरे भाई, ये सब तो बस एक तरह का गुमराह करने वाला मार्केटिंग है। अगर तुम रोज अच्छा करोगे, तो एकादशी नहीं भी चल जाएगा। लोगों को डराकर धर्म बेच रहे हो।
Jitender Rautela
जून 5, 2024 AT 03:50यार भाई, तुम लोग इतना जोर लगा रहे हो कि लगता है अपर एकादशी बिना व्रत के तुम्हारी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। अगर तुम अपने घर में बाप को नहीं समझते, तो विष्णु के नाम से क्या फायदा? 😒
abhishek sharma
जून 5, 2024 AT 08:05सुनो, ये सारी कथाएं तो बहुत पुरानी हैं। राजा महिध्वज की कहानी शायद 1500 साल पहले की है, और आज हम उसे लेकर अपनी आत्मा का बोझ उतारने की कोशिश कर रहे हैं। अगर तुम्हारे भाई ने तुम्हें धोखा दिया है, तो क्या तुम उसे भूत बनाकर बिठाना चाहते हो? ये सब ज्यादा भावुक है।
मैं तो सोचता हूँ कि अगर तुम रोज सुबह एक बार अपने दिल से कहो - ‘मैं माफ करता हूँ’ - तो वो एकादशी का असली व्रत होगा। फल खाना, नाम जपना, जागरण करना - सब बस नाटक है। असली बात तो तुम्हारे मन में बैठी है।
मैंने एक बार अपर एकादशी पर बिना खाए रहकर अपने दोस्त के साथ बात की, जिससे मैं बहुत सालों से नाराज था। उस दिन कुछ नहीं हुआ... लेकिन दिल शांत हुआ। शायद यही असली मुक्ति है।
अब तुम बताओ - क्या तुम अपने दिल के भूत को माफ कर सकते हो? या फिर तुम बस विष्णु के नाम से अपनी गलतियों को छुपाना चाहते हो?
मैंने इस व्रत को 7 साल तक फॉलो किया, लेकिन जब मैंने अपने अहंकार को छोड़ दिया, तो मुझे लगा - ये सब बस एक आदत है। नहीं तो तुम भगवान को क्यों डराते हो? वो तो तुम्हारे दिल की आवाज़ सुनते हैं, न कि तुम्हारे व्रत के नियमों को।
Surender Sharma
जून 5, 2024 AT 12:12ye sab toh bs myth hai.. ekadashi pe kuch nahi hota.. bas log apne dimag me bana lete hai.. aur phir apne parents ko bhi force krte hai ki kha lo na.. bas drama hai