नो‑बॉल क्या है? क्रिकेट में फाउल की पूरी समझ

क्रिकेट देखते‑देखते कभी‑कभी आपके कान में ‘नो‑बॉल’ शब्द सुनाई देता है। यह एक फाउल है, पर सारे फाउल नहीं। अगर आप कभी नहीं समझ पाए, तो अब इस लेख में हम इसे आसान भाषा में समझेंगे।

नो‑बॉल कब माना जाता है?

नो‑बॉल कई वजहों से हो सकता है। सबसे आम कारण है बॉलर का पैर फील्डर लाइन (सॉर लाइन) के पीछे से निकलना। अगर बॉल फील्डर लाइन के आगे से फेंकी जाए तो इसे ‘फ्रंट‑फुट नो‑बॉल’ कहा जाता है। दूसरा कारण है बॉल का ऊँचा उड़ना – अगर बॉल की ऊँचाई बाउंसर के ऊपर हो और बॉलर ने अंडरआर्म या रिवर्स सिग्नल किया हो तो भी नो‑बॉल बनता है। कुछ स्थितियों में बॉल का डबल‑डॉपिंग (एक ही बॉल दो बार पिच पर लैंड करना) या बॉल में कोई अनैतिक धक्का भी नो‑बॉल बनाता है।

नो‑बॉल का बल्लेबाज़ और टीम पर असर

नो‑बॉल होने पर बल्लेबाज़ को एक फ्री‑हिट मिलता है, यानी वह बिना आउट हुए कोई भी रन बना सकता है। साथ‑साथ टीम को एक अतिरिक्त रन भी मिल जाता है। अगर बॉल नो‑बॉल है और फिर भी विकेट गिरता है, तो वह वैध नहीं माना जाता; बल्ले पर कोई भी फील्डर की पकड़ भी बेअसर रहती है। ये नियम बॉलर को सावधान रखने के लिए बनाए गए हैं, ताकि वह अपनी पूरी मेहनत से सही डिलीवरी दे।

उदाहरण के तौर पर, टैग पेज में मौजूद T20I मैच में पाकिस्तान ने यूएई को 31 रन से हराया। उस खेल में कई बार नो‑बॉल देखे गए, जिससे बॉलर को राइड‑ऑफ मिला और बल्लेबाज़ों को फ्री‑हिट का फायदा मिला। ऐसे मामलों में टीम का स्कोर जल्दी बढ़ जाता है, और परिणाम पर बड़ा असर पड़ता है।

नो‑बॉल केवल क्रिकेट में नहीं, बल्कि बेसबॉल या हॉकी जैसे खेलों में भी अलग तरह से लागू होता है। लेकिन हमारे भारतीय दर्शकों के लिए सबसे ज़्यादा महत्त्व क्रिकेट है, इसलिए हम इसे यहाँ विस्तार से देख रहे हैं।

आपको अगर अभी भी ‘नो‑बॉल’ शब्द समझ नहीं आया, तो एक आसान तरीका है – इसे उस बॉल के रूप में सोचें जो बॉलर ने नियम तोड़े और इसलिए बल्लेबाज़ को एक बोनस दिया गया। इस तरह से जब आप मैच देखेंगे, तो हर बार रेफ़री के हाथ उठते ही आप समझ पाएँगे कि यह क्यों फ्री‑हिट है।

एक और बात जो अक्सर छूट जाती है, वह है ड्यूटी ओवर में नो‑बॉल की सज़ा। अगर बॉलर ने ड्यूटी ओवर में दो बार से अधिक नो‑बॉल फेंक दिए, तो उसका बॉलर की मैनेजमेंट टीम से सवाल उठता है, और बॉलर को अगले मैच में खेलने से प्रतिबंध लग सकता है। इसलिए टीम्स अपने बॉलरों को लगातार ट्रैक करती हैं।

आखिर में, नो‑बॉल का उपयोग कर आप अपना क्रिकेट ज्ञान बढ़ा सकते हैं। जब आप अगली बार मैच देखेंगे, तो ‘नो‑बॉल’ के कारणों, उसके प्रभाव और परिणाम को गौर से देखें। इससे न सिर्फ आपका एन्जॉयमेंट बढ़ेगा, बल्कि आप दूसरों को भी समझा पाएँगे कि ये फाउल क्यों महत्वपूर्ण है।

तो अब जब भी आप ‘नो‑बॉल’ सुनें, तो याद रखें – यह फ्री‑हिट, अतिरिक्त रन और बॉलर के लिए सीखने का अवसर है। क्रिकेट की इस छोटी लेकिन दिलचस्प डिटेल को जानकर आप खेल को और मज़े से देख पाएँगे।

विराट कोहली की वापसी: एडिलेड टेस्ट में केएल राहुल को नो-बॉल से मिला जीवनदान

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एडिलेड टेस्ट के पहले दिन, जब केएल राहुल को ऑस्ट्रेलियाई फास्ट बॉलर स्कॉट बोलैंड की नो-बॉल के कारण जीवनदान मिला, तो विराट कोहली को ड्रेसिंग रूम लौटना पड़ा। इस असाधारण घटना में राहुल पहले बल्लेबाजी करते हुए पहली बॉल पर कैच आउट हुए थे, लेकिन नो-बॉल के कारण उन्हें क्रीज पर वापस बुला लिया गया।

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