जब आप सुपरमार्केट में जामुनी टमाटर के दाम बढ़े हुए देखते हैं, या गैस के बिल में काफ़ी इज़ाफ़ा दिखता है, तो आप अक्सर ‘मुद्रास्फीति’ शब्द सुनते हैं। पर असल में यह शब्द क्या दर्शाता है? सरल शब्दों में, मुद्रास्फीति यानी वस्तुओं और सेवाओं की औसत कीमतें समय के साथ बढ़ना। जब कीमतें लगातार बढ़ती हैं, तो आपका पैसों की खरीद शक्ति घटती है।
आइए, देखिए यह कैसे काम करता है। सरकार या सेंट्रल बैंक जब आर्थिक विकास को तेज़ करने के लिए पैसे की आपूर्ति बढ़ाते हैं, तो बाजार में पैसा अधिक हो जाता है। ज़्यादा पैसा, ज़्यादा खर्च – और खर्च बढ़ने से दाम भी बढ़ते हैं। लेकिन सच्चाई में, कई बार बाहरी कारण जैसे तेल की कीमत, मौसमी फसल नुकसान, या वैश्विक आर्थिक तनाव भी महँगाई का कारण बनते हैं।
1. पैसे की अत्यधिक आपूर्ति – जब केंद्रीय बैंक ब्याज दर कम करके या क्वांटिटेटिव ईज़िंग से बहुत अधिक पैसा बाजार में डालता है, तो मूल्य बढ़ते हैं। 2. आपूर्ति‑डिमांड का असंतुलन – अगर किसी वस्तु की मांग बढ़ती है लेकिन उत्पादन में कमी आती है, तो उस वस्तु की कीमत तेज़ी से बढ़ती है। 3. वॉल्यूम इनपुट लागत – तेल, बिजली, मजदूर खर्च जैसे इनपुट की कीमतें बढ़ने पर उत्पादन लागत भी बढ़ती है, जिससे अंतिम कीमतें बढ़ती हैं। 4. अंतर्राष्ट्रीय दरें और विनिमय दरें – डॉलर मजबूत होने या आयात पर बढ़ती टैरिफ से आयातित सामान महँगा हो जाता है, जो अंदरूनी महँगाई को बढ़ा देता है।
ये सभी कारक मिलकर अक्सर ‘महँगाई’ को तेज़ कर देते हैं, जिससे आम लोगों की जेब पर असर पड़ता है।
अब बात आती है बचत की। महँगाई को पूरी तरह रोक नहीं सकते, पर उसके असर को कम कर सकते हैं:
इन छोटे‑छोटे कदमों से आप महँगाई के दबाव से खुद को बचा सकते हैं। याद रखें, महँगाई एक आर्थिक संकेत है, लेकिन आपके सक्शन में बदलाव लाने की शक्ति आपके हाथ में है। सही योजना, जागरूक खर्च और समझदारी भरा निवेश आपको आर्थिक रूप से स्थिर रखेगा।
अगर आप अभी भी उलझन में हैं, तो अपने बैंक या वित्तीय सलाहकार से बात करके अपने लिए सबसे उपयुक्त बचत‑निवेश योजना बना सकते हैं। छोटी‑छोटी बारीकियों का ध्यान रखिए, और महँगाई के दौर में भी आराम से आगे बढ़िए।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी हालिया एफओएमसी बैठक में प्रमुख उधारी दर को 5.25% से 5.5% की वर्तमान सीमा पर बनाए रखा। हालांकि तुरंत कोई दर बदलाव नहीं किया गया, लेकिन केंद्रीय बैंक ने 2024 के अंत तक कई दर कटौतियां लागू करने की संभावना का संकेत दिया। फेडरल रिजर्व अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने 2% मुद्रास्फीति लक्ष्य की ओर निरंतर प्रगति की आवश्यकता पर जोर दिया।