टेलीग्राम के संस्थापक पावेल दुरोव फ्रांस में सेंसरशिप विवाद पर गिरफ्तार

टेलीग्राम के संस्थापक पावेल दुरोव फ्रांस में सेंसरशिप विवाद पर गिरफ्तार

टेलीग्राम के संस्थापक पावेल दुरोव, जिन्होंने अपनी निजी जीवन और पेशेवर करियर दोनों में इंटरनेट स्वतंत्रता के लिए गहरी प्रतिबद्धता दिखाई है, आज दुनिया भर में सुर्खियों में हैं।

24 अगस्त 2024 को फ्रांस में उनकी गिरफ्तारी ने फिर से सेंसरशिप और सरकारी हस्तक्षेप जैसे मुद्दों को केंद्र में लाया है।

टेलीग्राम, एक ऐसा प्लेटफॉर्म जहां गोपनीयता और आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी जाती है, अक्सर विभिन्न सरकारों के निशाने पर रहा है। रूस और ईरान से लेकर कई अन्य देशों ने लगातार प्रयास किए हैं कि दुरोव अपनी कंपनी की नीति में बदलाव करें, लेकिन दुरोव ने हमेशा अपनी स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी है।

यही दृढ़ता उन्हें एक प्रख्यात और प्रभावशाली नेता बनाती है, जो न केवल तकनीकी दुनिया में बल्कि सामाजिक और राजनीतिक मंचों पर भी महत्वपूर्ण हैं।

पावेल दुरोव का परिचय

पावेल दुरोव एक परखने योग्य नाम और प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं, जिनका योगदान तकनीकी जंगत में अद्वितीय है। उनका जन्म 10 अक्टूबर 1984 को सेंट पीटर्सबर्ग, रूस में हुआ था। उन्हें उनके बचपन से ही तकनीकी क्षेत्र में रुचि थी और इसी ने उन्हें एक क्रांतिकारी बना दिया। वे सिर्फ़ 22 साल के थे जब उन्होंने 2006 में روس की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट, VKontakte (VK) की स्थापना की थी। उनकी शुरुआती सफलता ने तकनीकी दुनिया में उनकी पहचान को और पुख्ता किया।

दुरोव हमेशा से विवादों में रहे हैं, खासकर उनकी सरकार-विरोधी रवैये के कारण। 2014 में उन्होंने VK छोड़ दिया क्योंकि रूसी सरकार ने उन पर दबाव डाला कि वे यूक्रेन के प्रदर्शनकारियों और विपक्षी नेताओं की निजी जानकारी साझा करें। दुरोव ने मोटे तौर पर कहा, "गोपनीयता और स्वतंत्रता के बिना जीवन की कोई जरूरत नहीं।" इस फैसले ने उन्हें एक संघर्षशील और स्वतंत्र विचारधारा का प्रतीक बना दिया।

अगले ही साल, 2013 में, उन्होंने Telegram की शुरुआत की, एक मैसेजिंग ऐप जिसने कम समय में ही लोकप्रियता के नए आयाम छू लिए। टेलीग्राम की विशेषता उसकी ईन्क्रिप्शन और सुरक्षा है, जिसके कारण यह कई देशों में सरकारों के निशाने पर आ गया। दुरोव ने इसे अपने सिद्धांतों की जीत माना और कभी भी अपनी नैतिकता से समझौता नहीं किया।

उनकी विचारधारा थी कि इंटरनेट का स्वतंत्र होना जरूरी है और किसी भी तरह का सरकारी हस्तक्षेप न हो। इसके चलते उनकी ऐप ने कई प्रभात्निक और सामाजिक आंदोलनों को समर्थन दिया। फिलहाल, टेलीग्राम के 500 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं, जो इसे एक बड़ी सफलता मानते हैं।

दुरोव की जीवनी कई उथल-पुथल और विवादों से भरी हुई है, लेकिन उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपने कठिन वक्त में भी वे अपने सिद्धांतों और आदर्शों से समझौता नहीं करते और यही उन्हें एक प्रेरणादायक नेता बनाता है। आज भी, जब वे फ्रांस में गिरफ्तार हुए हैं, तब भी वे अपने विचारों और गोपनीयता के प्रति समर्पित हैं।

उनकी निजी ज़िन्दगी भी कम चर्चा का विषय नहीं रही है। सोशल मीडिया से दूर रहने और व्यक्तिगत जानकारी गुप्त रखने की उनकी नीति ने उन्हें और भी रहस्यमय बना दिया है। इसके बावजूद, वे अपनी विचारधारा को प्रकट करने में हमेशा आगे रहे हैं। उनके जीवन का सबसे बड़ा ध्येय था स्वतंत्रता, जो न केवल एक शब्द था, बल्कि उनके हर कदम में झलकता था।

टेलीग्राम और सेंसरशिप का इतिहास

टेलीग्राम का जन्म 2013 में हुआ, जब पावेल दुरोव और उनके भाई निकोलाई दुरोव ने इस प्लैटफ़ॉर्म को शुरू किया। इसका मुख्य उद्देश्य था उपयोगकर्ताओं को एक ऐसा वातावरण प्रदान करना जिसमें उनकी गोपनीयता और स्वतंत्रता सुरक्षित हो। शुरुआती दिनों से ही टेलीग्राम ने अपने मजबूत एन्क्रिप्शन और निजता की पॉलिसी के कारण ख्याति अर्जित की।

टेलीग्राम ने कई ऐसे कदम उठाए हैं जो इसे अन्य मैसेजिंग प्लैटफ़ॉर्म्स से अलग बनाते हैं। शुरू से ही, कंपनी ने सरकारों और संस्थानों से किसी भी प्रकार का डेटा साझा करने से इंकार किया। यही कारण है कि टेलीग्राम विश्वभर में आईएसआईएस जैसे आतंकवादी समूहों से लेकर प्रो-डेमोक्रेसी एक्टिविस्ट्स तक सभी जगह लोकप्रिय हो गया। इस नीति ने कंपनी को हमेशा से ही कई सरकारों के निशाने पर रखा।

2018 में रूस की सरकार के साथ टेलीग्राम का टकराव सुर्खियों में आया। रूसी संचार नियामक रोसकोमनाज़ोर ने टेलीग्राम को ब्लॉक करने का प्रयास किया, क्योंकि टेलीग्राम ने फिल्टर और मॉनिटरिंग पॉलिसी में बदलाब करने से मना कर दिया था। लेकिन यह कदम भी असफल रहा और इसके परिणामस्वरूप लाखों IP एड्रेसेस ब्लॉक हो गए, जिनमें कई क्लाउड सर्विसेज के भी शामिल थे। इससे डिजिटल क्षेत्र में अफरातफरी मच गई।

"सरकारें सोचती हैं कि उन्हें सब कुछ नियंत्रित करने का अधिकार है, लेकिन इंटरनेट स्वतंत्रता का संरक्षण करना महत्वपूर्ण है," - पावेल दुरोव

रूस के अलावा, ईरान और चीन जैसे देशों ने भी टेलीग्राम पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया। लेकिन हर बार टेलीग्राम ने अपनी स्वतंत्रता और उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता पर आंच नहीं आने दी।

टेलीग्राम के इस रुख के कारण, यह कई लोगों के लिए स्वतंत्रता का प्रतीक बन गया है। विरोधी कदमों के चलते, टेलीग्राम ने कई बार नए और अनोखे तरीकों से अपने उपयोगकर्ताओं तक पहुंच बनाने की कोशिश की।

जब भी सरकारों ने टेलीग्राम को ब्लॉक किया, तो टेलीग्राम ने प्रॉक्सी और वीपीएन सर्विसेज़ को प्रमोट करके अपने उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट की आजादी दिलाई। यह केवल एक मैसेजिंग ऐप नहीं, बल्कि एक मूवमेंट बन गया।

पिछले कुछ वर्षों में, पावेल दुरोव ने गूगल और एप्पल जैसे तकनीकी दिग्गजों पर भी अपनी शब्दों की मार की। उन्होंने बताया कि ये कंपनियां कैसे कंटेंट को सेंसर करने की धमकी देती हैं।

कुल मिलाकर, टेलीग्राम की यात्रा सेंसरशिप के खिलाफ एक लंबी लड़ाई का हिस्सा रही है। पावेल दुरोव के दृढ़-संकल्प और उनकी स्वतंत्रता की प्राथमिकता ने टेलीग्राम को एक बलवान और प्रभावशाली प्लेटफॉर्म बना दिया है, जो संवेदनशील मुद्दों पर लोगों की आवाज़ बनने का काम कर रहा है।

रूस से संघर्ष

रूस से संघर्ष

दुनिया में इंटरनेट स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना कोई आसान काम नहीं है, और पावेल दुरोव ने इसका अनुभव सीधे तौर पर किया है। जब वह अपने पहले सोशल नेटवर्क VKontakte (VK) का संचालन कर रहे थे, तभी से उनकी रूसी सरकार से ठन गई थी। रूसी संचार नियामक, Roskomnadzor, ने बार-बार उनसे अनुरोध किया कि वे कुछ समूहों और उपयोगकर्ताओं की जानकारी साझा करें। दुरोव ने इस पर सहमत नहीं हुए, क्योंकि यह उनकी नीति और नैतिकता के खिलाफ था।

2014 में, उनकी समस्याएं और बढ़ गईं जब उन्होंने यूक्रेन की गतिविधियों का समर्थन करने वाले VKontakte पेजों को बंद करने से इनकार कर दिया। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें VKontakte से इस्तीफा देना पड़ा और रूस छोड़ना पड़ा। इसके बाद दुरोव ने टेलीग्राम की स्थापना की, जो एक एनक्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप है और सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त रखने के लिए बनाया गया था।

2018 में, Roskomnadzor ने टेलीग्राम को ब्लॉक करने का एक और प्रयास किया। यह प्रयास इसलिए किया गया क्योंकि टेलीग्राम ने रूसी खुफिया एजेंसी FSB को अपने यूजर डेटा देने से इंकार कर दिया था। हालांकि, यह प्रयास विफल हुआ और इसके चलते लाखों IP पते ब्लॉक हो गए, जिनमें विदेशी क्लाउड सेवाएं भी शामिल थीं।

"पावेल दुरोव का संघर्ष सिर्फ तकनीकी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक स्वतंत्रता की लड़ाई है।" - इंटरनेट स्वतंत्रता विदेशी खुफिया एजेंसी के क्षेत्र सचिव

दुरोव के इस सख्त रुख ने उन्हें कई देशों का विरोध सहना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने विचार और आदर्शों से समझौता नहीं किया। उनकी प्रतिबद्धता और साहस ने टेलीग्राम को न केवल एक लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप बनाया, बल्कि एक ऐसा मंच भी बनाया जहां गोपनीयता और स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी जाती है।

दुरोव के इस संघर्ष ने दिखाया कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता कितनी महत्वपूर्ण है और कैसे एक व्यक्ति अपनी दृढ़ निश्चय और साहस के बल पर दुनिया को बदल सकता है। उनका संघर्ष सिर्फ टेलीग्राम की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक व्यक्तिगत संघर्ष की कहानी भी है, जिसने उन्हें लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बना दिया है।

फ्रांस में गिरफ्तारी का कारण

पावेल दुरोव की गिरफ्तारी की खबर सुनकर उनके चाहने वाले और इंटरनेट स्वतंत्रता के समर्थक हैरान रह गए। पावेल दुरोव की गिरफ्तारी का मुख्य कारण उनकी स्पष्ट नीतियाँ और टेलीग्राम की सुरक्षा मानकों के साथ समझौता न करना है। दुरोव ने गोपनीयता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति अपना समर्थन स्पष्ट रूप से जताया है, जो कई सरकारों को रास नहीं आया।

रूस और ईरान जैसी सरकारें लंबे समय से टेलीग्राम पर आरोप लगाते आए हैं कि प्लेटफॉर्म पर आतंकवादी गतिविधियों को साझा किया जाता है और राजनीतिक विरोधियों के बीच विचार संप्रेषण होता है। इस मुद्दे को लेकर कई बार सेंसरशिप को लागू करने के प्रयास किए गए, लेकिन टेलीग्राम और दुरोव इन्हें मानने को तैयार नहीं हुए। इस बार फ्रांस सरकार ने भी आरोप लगाया कि टेलीग्राम पर कुछ संवेदनशील जानकारी साझा की जा रही है, और इसे लेकर कानूनी कार्रवाई की गई।

फ्रांस में गिरफ्तारी की यह घटना इस दिशा में सरकारों की बढ़ती चिंताओं और दुरोव के लिए नई चुनौतियों की ओर इशारा करती है। उनकी गिरफ्तारी के ठीक बाद, टेलीग्राम के प्रवक्ता ने मीडिया से कहा कि 'हम हमेशा अपने उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।'

कंपनी के एक अन्य अधिकारी ने भी कहा, "हम उम्मीद करेंगे कि न्याय प्रणाली निष्पक्षता से काम करे और हमारे संस्थापक को जल्द से जल्द न्याय मिले।"

यह मामला केवल दुरोव या टेलीग्राम तक सीमित नहीं है। यह दरअसल वैश्विक स्तर पर इंटरनेट गोपनीयता और सेंसरशिप के बीच हो रही खींचतान की एक छवि दर्शाता है। जहां एक तरफ सरकारें जानकारी पर नियंत्रण चाहती हैं, वहीं दूसरी ओर दुरोव जैसे लोग इंटरनेट को स्वतंत्र बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं।

इस घटना के बाद दुरोव का भविष्य क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इस समय की स्थिति स्पष्ट करती है कि यह संवेदनशील मुद्दा इतना आसान नहीं है। इससे पहले भी दुरोव ने कई बार विभिन्न सरकारों के साथ मतभेदों का सामना किया है और हर बार अपनी दृढ़ता से उन्हें हराया है।

दुरोव की प्रभावशाली यात्रा

दुरोव की प्रभावशाली यात्रा

पावेल दुरोव की कहानी किसी भी प्रेरणा स्रोत से कम नहीं है। उनका जन्म रूस में हुआ और उनका बचपन असाधारण बुद्धिमत्ता और साहस के साथ बीता। यह एक सामान्य आंखों के लिए अकल्पनीय यात्रा है जहां उन्होंने अपने सपनों को साकार करने के लिए अनगिनत बाधाओं का सामना किया। उनकी शुरुआती जांच एक छोटे से स्वाभाविक कशिश से शुरू हुई, जो बाद में इंटरनेट जगत की क्रांति में बदल गई।

दुरोव ने अपनी पढ़ाई सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी से पूरी की, जहां उनकी रुचि कंप्यूटर विज्ञान और प्रोग्रामिंग में विकसित हुई। हालांकि, उनका असली मोड़ तब आया जब उन्होंने 2006 में वीके (VKontakte) नामक एक सोशल नेटवर्क की शुरुआत की। वीके जल्द ही रूस का सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बन गया, और इससे दुरोव की शोहरत बढ़ी।

वीके पर विवाद

हालांकि, वीके की सफलता के साथ ही विवाद भी आए। धीरे-धीरे, सरकार ने प्लेटफॉर्म पर सामग्री की निगरानी के लिए दबाव बढ़ाना शुरू किया। दुरोव ने सरकारी हस्तक्षेप का कड़ा विरोध किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें 2014 में रूस से निकल जाना पड़ा।

दुरोव ने कहा था, “स्वतंत्रता और सुरक्षा अंसार वाले इंटरनेट के लिए लड़ना मेरी प्राथमिकता रहेगी।”

रूस छोड़ने के बाद, दुरोव ने अपनी अगली परियोजना पर काम करना शुरू किया - टेलीग्राम। 2013 में टेलीग्राम की शुरुआत हुई, और यह तुरंत ही इंटरनेट स्वतंत्रता और गोपनीयता के पक्षधर लोगों का पसंदीदा प्लेटफार्म बन गया।

टेलीग्राम की मुख्य विशेषता इसके सुरक्षा उपाय थे, जिनमें एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन शामिल था। यह सुविधा उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता की सुरक्षा करती थी, जो अक्सर सरकारों और टेक कंपनियों की चिंता का कारण बनती थी। टेलीग्राम न केवल अपने उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता की रक्षा करता है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण मंच भी बन गया है जहां प्रजातंत्र समर्थक कार्यकर्ता, स्वतंत्र पत्रकार, और अन्य लोग बिना सेंसरशिप के अपनी आवाज उठा सकते हैं।

टेलीग्राम की सफलता

टेलीग्राम की सफलता का आंकलन इसकी बढ़ती उपयोगकर्ता संख्या से किया जा सकता है। 2024 की शुरुआत में, टेलीग्राम के मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता 700 मिलियन से अधिक हो गए थे। इस सफलता ने दुरोव को और भी अधिक प्रेरित किया, और वे लगातार नई सुविधाओं और सुरक्षा उपायों को जोड़ते रहे। उनकी यात्राएं हमेशा चुनौतियों और अवसरों से भरी रहीं, लेकिन उनकी दृढ़ता और स्वतंत्रता की भावना ने उन्हें कभी हारने नहीं दिया।

12 Comments

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    Raghav Suri

    अगस्त 25, 2024 AT 07:15

    ये दुरोव वाला आदमी तो असली हीरो है भाई। सरकारें जब भी दबाव डालती हैं तो वो झुकता नहीं। मैंने टेलीग्राम का इस्तेमाल 5 साल से कर रखा है और अभी तक कोई मेरा मैसेज नहीं देखा। रूस ने ब्लॉक करने की कोशिश की तो पूरा इंटरनेट अटक गया था यार। फ्रांस में गिरफ्तार हो गए तो भी वो अपनी बात पर अडिग हैं। इंटरनेट की आजादी के लिए ऐसे लोगों की जरूरत है।

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    Priyanka R

    अगस्त 26, 2024 AT 10:51

    बस यही बात है दोस्तों 😏 ये सब सरकारें और गूगल एप्पल तो सिर्फ डेटा चुराने के लिए ही इंटरनेट को नियंत्रित करना चाहते हैं। दुरोव ने बस एक ऐप बनाया और उनके डेटा को बचा लिया। अब फ्रांस ने उन्हें गिरफ्तार किया? ये तो साफ दिख रहा है कि वो उनके डेटा को चाहते हैं। अगर तुम बात करोगे तो तुम्हारा फोन भी ट्रैक हो रहा है भाई 😅

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    Rakesh Varpe

    अगस्त 27, 2024 AT 00:55

    दुरोव का संघर्ष असली है। उसने गोपनीयता को प्राथमिकता दी। यही वजह है कि टेलीग्राम अभी भी जीवित है।

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    Girish Sarda

    अगस्त 27, 2024 AT 22:56

    मैंने इस बारे में कुछ नहीं सुना था लेकिन अब लग रहा है कि ये सिर्फ एक ऐप की बात नहीं है। ये तो एक दर्शन है। जब तक हम अपनी डिजिटल आजादी को नहीं समझेंगे तब तक हम सब बंदी रहेंगे। दुरोव ने एक ऐप बनाया लेकिन उसने एक आंदोलन भी शुरू कर दिया।

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    Garv Saxena

    अगस्त 28, 2024 AT 23:50

    अरे भाई ये सब तो बस एक नाटक है। दुरोव ने टेलीग्राम बनाया तो फ्रांस ने उसे गिरफ्तार किया? लेकिन अगर वो रूस में रहता तो उसे क्या होता? जब तक तुम अमेरिका या यूरोप में जाओगे तब तक तुम्हारी आजादी बचती है। ये सब तो सिर्फ नियंत्रण का नाटक है। गूगल और फेसबुक तो अपने डेटा को बेच रहे हैं और वो दुरोव को दुश्मन बना रहे हैं। ये तो बिल्कुल वैसा ही है जैसे कोई चोर दूसरे चोर को गिरफ्तार करे।

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    Rajesh Khanna

    अगस्त 30, 2024 AT 18:02

    ये बात सुनकर बहुत अच्छा लगा। दुरोव जैसे लोग ही दुनिया को बदल सकते हैं। हमें ऐसे लोगों का समर्थन करना चाहिए। अगर हम अपनी गोपनीयता की बात नहीं करेंगे तो कोई नहीं करेगा। ये बस एक ऐप नहीं है ये तो एक आशा की किरण है।

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    Sinu Borah

    सितंबर 1, 2024 AT 08:38

    अरे ये सब तो बहुत बड़ी बात नहीं है। दुरोव ने एक ऐप बनाया और फ्रांस ने उसे गिरफ्तार किया? लेकिन जब तुम टेलीग्राम पर चैट करते हो तो क्या तुम अपना नाम और फोन नंबर डालते हो? नहीं ना? तो फिर इतना बड़ा जोश क्यों? और जब तुम इसके लिए लड़ रहे हो तो क्या तुम खुद भी इसे अपने फोन पर इंस्टॉल कर रहे हो? अगर नहीं तो तुम बस बातें कर रहे हो।

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    Sujit Yadav

    सितंबर 2, 2024 AT 13:15

    दुरोव की यह व्यक्तित्व एक अत्यंत विकृत दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है। उसका अहंकार और वैश्विक नियंत्रण के खिलाफ अपनी अकेली अवधारणा का दावा करना, एक अत्यधिक अंधविश्वासी और अतिशयोक्तिपूर्ण दृष्टिकोण है। टेलीग्राम एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसका उपयोग आतंकवादियों और अवैध गतिविधियों के लिए किया जाता है। फ्रांस की गिरफ्तारी एक आवश्यक और न्यायसंगत कार्रवाई है। यह उस असंगठित अनियंत्रित अनुशासन के खिलाफ है जो इंटरनेट को एक अव्यवस्थित वातावरण बना रहा है।

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    Kairavi Behera

    सितंबर 4, 2024 AT 03:56

    अगर तुम टेलीग्राम नहीं इस्तेमाल कर रहे तो अभी शुरू कर दो। ये ऐप बहुत सुरक्षित है और तुम्हारी बातें कोई नहीं सुन सकता। दुरोव ने जो किया है वो बहुत बड़ा है। बस एक ऐप बनाकर उन्होंने लाखों लोगों को आजाद कर दिया। अगर तुम चाहो तो तुम भी इसे इस्तेमाल कर सकते हो।

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    Aakash Parekh

    सितंबर 5, 2024 AT 10:37

    फ्रांस ने गिरफ्तार किया? अच्छा तो अब क्या होगा? कोई नया ऐप बन जाएगा। इतना बड़ा जोश क्यों? ये तो बस एक ऐप है।

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    Sagar Bhagwat

    सितंबर 5, 2024 AT 11:43

    दुरोव तो बहुत बढ़िया है लेकिन क्या तुमने कभी सोचा कि टेलीग्राम पर जो लोग चैट कर रहे हैं वो अपने नाम और फोन नंबर के बिना भी चैट कर रहे हैं? तो फिर उन्हें क्या फर्क पड़ता है? अगर तुम चाहो तो तुम भी अपना नाम बदल सकते हो। ये सब तो बहुत बड़ी बात नहीं है।

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    Jitender Rautela

    सितंबर 5, 2024 AT 16:45

    अरे भाई ये दुरोव तो बहुत बड़ा अहंकारी है। अपनी आजादी की बात करता है लेकिन उसका ऐप भी तो लोगों के डेटा को स्टोर करता है। अगर वो इतना स्वतंत्र है तो फिर वो अपना डेटा कहाँ रखता है? अगर वो बहुत बड़ा बॉस है तो फिर वो अपने सर्वर कहाँ रखता है? ये तो बस एक नाटक है।

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