स्टॉक मार्केट में कभी‑कभी ऐसे शेयर मिलते हैं जो आधी रात में भी ट्रेड होते हैं, लेकिन आधिकारिक एक्सचेंज पर नहीं। इन्हें ग्रे मार्केट कहा जाता है। जब कंपनी का IPO या अतिरिक्त शेयर इश्यू होता है, तो इन ग्रे मार्केट ट्रेडों के ऊपर जो अतिरिक्त कीमत लगती है, वही ग्रे मार्केट प्रीमियम कहलाता है।
सबसे पहला कदम है ग्रे मार्केट का ट्रेडिंग प्राइस जानना। कई ऑनलाइन ब्रोकर या फाइनेंशियल ऐप्स ये डेटा रीयल‑टाइम दिखाते हैं। अगला कदम है इश्यू पर आधिकारिक कीमत – यानी फ्रेश एंट्री प्राइस (FEP)। प्रीमियम = (ग्रे मार्केट प्राइस – FEP) ÷ FEP * 100%। उदाहरण के तौर पर, अगर कंपनी ने नई शेयर 100 रुपये में इश्यू किए और ग्रे मार्केट में ये 120 रुपये पर ट्रेड हो रहा है, तो प्रीमियम (20/100)*100 = 20% है। इस तरह आप जल्दी‑जल्दी पता लगा सकते हैं कि बाजार को उस कंपनी की संभावनाओं पर कितना भरोसा है।
प्रीमियम उच्च होने का मतलब अक्सर निवेशकों की उत्सुकता और मांग है। अगर आप जल्दी‑जल्दी शेयर खरीदना चाहते हैं तो ग्रे मार्केट से बेहतर एंट्री मिल सकती है। लेकिन यहाँ दो‑तीन बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
प्रीमियम का उपयोग कब करें, यह आपके निवेश लक्ष्य पर निर्भर करता है। अगर आप अल्पकालिक ट्रेडर हैं और जल्दी रिटर्न चाहते हैं, तो ग्रे मार्केट में प्रवेश करना फायदेमंद हो सकता है। लेकिन दीर्घकालिक निवेशकों को अक्सर आधिकारिक एंट्री प्राइस से इंतजार करना बेहतर लगता है क्योंकि वो सुरक्षित और नियामक‑अनुपालन वाला होता है।
एक और बात जो अक्सर अनदेखी रहती है, वह है वॉल्यूम एनालिसिस. अगर ग्रे मार्केट में वॉल्यूम तेज़ी से बढ़ रहा है और प्रीमियम लगातार ऊपर जा रहा है, तो अक्सर यह संकेत होता है कि कंपनी के आसपास कुछ महत्वपूर्ण जानकारी या खबरें चल रही हैं। ऐसे समय में आप खबरों को भी फॉलो कर सकते हैं – जैसे नई प्रोजेक्ट घोषणा या सरकारी अनुमति – जो प्रीमियम को और बढ़ा सकती हैं।
सारांश में, ग्रे मार्केट प्रीमियम एक उपयोगी मीट्रिक है जो दर्शाता है कि बाजार को कंपनी की संभावनाओं पर कितनी उम्मीदें हैं। लेकिन इसे समझदारी से उपयोग करना चाहिए, क्योंकि उच्च प्रीमियम का मतलब सिर्फ़ उत्साह नहीं, बल्कि जोखिम भी हो सकता है। हमेशा भरोसेमंद स्रोत से डेटा लें, प्रीमियम की गणना सही ढंग से करें, और अपनी निवेश योजना के अनुसार कदम उठाएँ।
अगर आप अभी शुरुआती हैं, तो पहले छोटे‑छोटे ट्रेड से अनुभव बढ़ाएँ, फिर धीरे‑धीरे ग्रे मार्केट प्रीमियम वाले शेयरों में निवेश करें। इस तरह आप जोखिम को कम रखते हुए बेहतर रिटर्न की संभावनाएँ बना सकते हैं।
HDB फाइनेंशियल सर्विसेज का ₹12,500 करोड़ का IPO 25 जून को खुला, जिसमें प्राइस बैंड ₹700-740 रखा गया है। ग्रे मार्केट में IPO का प्रीमियम ₹83 तक पहुंच गया, जिससे निवेशकों की रुचि बढ़ी है। HDFC बैंक की यह कंपनी डिजिटल लेंडिंग और विविध लोन पोर्टफोलियो के लिए जानी जाती है।
साई लाइफ साइंसेज का ₹3,042.62 करोड़ आईपीओ, जिसकी सदस्यता 11 से 13 दिसंबर तक खुली थी, का अलॉटमेंट सोमवार, 16 दिसंबर, 2024 को फाइनल हो सकता है। आईपीओ को 10.26 गुना ओवरसब्सक्रिप्शन मिला था। निवेशक अपनी स्थिति की जांच KFin टेक्नोलॉजीज या NSE व BSE के आधिकारिक वेबसाइट्स पर कर सकते हैं। शेयर लिस्टिंग 18 दिसंबर को NSE और BSE पर होगी, जहां ग्रे मार्केट प्रीमियम के अनुसार शेयर ₹610 पर सूचीबद्ध हो सकते हैं।
Enviro Infra Engineers का IPO 29 नवंबर, 2024 को मार्केट में लिस्ट हो रहा है। शेयरों की ग्रे मार्केट में प्राइस ₹197 है, जो IPO आवंटन मूल्य ₹148 से 33% अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनी का शेयर बाजार में अच्छी लिस्टिंग हो सकती है। निपुण निवेशकों के लिए 25% से अधिक लाभ पर मुनाफा कमाने की सलाह दी जा रही है। कंपनी की प्रमुख सेवाएं जल और अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों का डिज़ाइन, निर्माण और संचालन है।
सारस्वती साड़ी डिपो लिमिटेड के आईपीओ की शुरुआत आज, सोमवार, 12 अगस्त से हो चुकी है। इसका तीन-दिवसीय सार्वजनिक बोली प्रक्रिया 14 अगस्त को समाप्त होगी। ग्रे मार्केट में कंपनी के शेयर ₹52 की प्रीमियम पर चल रहे हैं, लेकिन निवेशकों को उद्योग की गतिशीलता, प्रतिस्पर्धी माहौल और नकदी प्रवाह चिंताओं पर विचार करना चाहिए।