पंजाब टेरर साजिश केस में NIA की बड़ी कार्रवाई, ‘जोटी’ पर हथियार सप्लाई चैन चलाने का आरोप
पंजाब में आतंकी-संगठित अपराध गठजोड़ पर बड़ी कार्रवाई करते हुए NIA ने गुरदासपुर के निवासी जतिंदर सिंह उर्फ ‘जोटी’ के खिलाफ मोहाली की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है। केस नंबर RC-21/2023/NIA/DLI के तहत दर्ज यह चार्जशीट उस नेटवर्क पर केंद्रित है, जो मध्य प्रदेश से अवैध हथियार जुटाकर पंजाब के गैंगस्टरों तक पहुंचा रहा था। एजेंसी के मुताबिक यह सप्लाई लाइन सीधे तौर पर कनाडा-आधारित नामित आतंकी लखबीर सिंह उर्फ लंदा और प्रतिबंधित संगठन बाबर खालसा इंटरनेशनल (BKI) के एजेंडे को बल दे रही थी।
जतिंदर सिंह को 23 दिसंबर 2024 को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था। शुरुआती जांच में सामने आया कि वह देश के भीतर बैठकर Pavittar Batala के ग्राउंड ऑपरेटिव्स तक हथियार पहुंचाने की कड़ी बना हुआ था। एजेंसी का कहना है कि Batala के विदेश में बैठे सहयोगी निर्देश देते थे और ‘जोटी’ उस निर्देश पर लॉजिस्टिक्स, खरीद और सप्लाई की जिम्मेदारी निभाता था।
चार्जशीट में आरोप है कि मध्य प्रदेश से हासिल किए गए हथियार पंजाब में अलग-अलग मॉड्यूल तक पहुंचाए गए, ताकि आपराधिक-आतंकी गतिविधियां आगे बढ़ सकें। पंजाब में पिछले कुछ वर्षों में गैंगस्टर नेटवर्क और खालिस्तानी समर्थित आतंकी मॉड्यूल का मेल सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बना है—यही वह जगह है जहां यह केस अहम हो जाता है।
लखबीर सिंह लंदा, जिसे केंद्र सरकार ने कड़े आतंकवाद-रोधी कानूनों के तहत नामित आतंकी घोषित किया है, लंबे समय से भारत से बाहर बैठकर ऑपरेट कर रहा है। एजेंसियां उसे पंजाब पुलिस इंटेलिजेंस मुख्यालय (मोहाली) पर 2022 में हुए आरपीजी हमले समेत कई हाई-प्रोफाइल साजिशों का मास्टरमाइंड मानती रही हैं। BKI, जिस पर भारत में प्रतिबंध है, पंजाब में लक्षित वारदातों, हथियार तस्करी और मॉड्यूल एक्टिवेशन के मामलों में लगातार निशाने पर रही है।
यह मामला केवल एक आरोपी तक सीमित नहीं है। चार्जशीट इस बड़े इंटर-स्टेट सप्लाई चैन की तस्वीर पेश करती है—जहां एक ओर मध्य प्रदेश के गैर-कानूनी हथियार बाजारों तक पहुंच बनती है, वहीं दूसरी ओर पंजाब में सक्रिय मॉड्यूल तक ‘डोरस्टेप’ डिलीवरी की व्यवस्था खड़ी की जाती है। यह सप्लाई बाद में रंगदारी, टारगेटेड हिंसा और डर पैदा करने जैसी वारदातों में इस्तेमाल होती है, जिससे सामाजिक ताना-बाना और पुलिसिंग—दोनों पर दबाव बढ़ता है।
मध्य प्रदेश का मालवा-निमाड़ इलाका अवैध हथियारों की पुरानी कड़ियों के लिए चर्चा में रहता आया है। सुरक्षा एजेंसियां बताती हैं कि वहां से निकले देसी पिस्टल और रिवॉल्वर उत्तर भारत के कई राज्यों तक पहुंचते हैं। इसी पैटर्न में पंजाब की मॉड्यूल-आधारित गतिविधियां हथियारों का स्थायी ‘डिमांड सेंटर’ बनती चली गईं—और यही कड़ी, एजेंसी के अनुसार, ‘जोटी’ ने सक्रिय रखी।
जांच का एक महत्वपूर्ण पहलू फंडिंग और कम्युनिकेशन चैनल भी होता है। पंजाब मामलों के हालिया अनुभव बताते हैं कि ऐसे नेटवर्क एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग, फर्जी पहचान और कभी-कभी हवाला/क्रिप्टो जैसे तौर-तरीकों का सहारा लेते हैं। हालांकि इस केस में फंडिंग टूल्स का पूरा ब्योरा अदालत में ही साफ होगा, पर एजेंसियां आमतौर पर सप्लाई चेन के साथ-साथ पैसों के प्रवाह और कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल को भी मैप करती हैं, ताकि ऊपर बैठे विदेशी हैंडलर्स तक पहुंच बनाई जा सके।
लंदा के मॉड्यूल की कार्यशैली पर नजर डालें तो वह विदेश से आदेश देता है, पंजाब/हरियाणा/दिल्ली-एनसीआर तक फैले गैंगस्टरों के जरिए ‘ऑन-ग्राउंड’ ऑपरेशन करवाता है। इससे दो फायदे होते हैं—पहला, विदेशी हैंडलर्स सुरक्षित दायरे में रहते हैं; दूसरा, स्थानीय अपराधी नेटवर्क के जरिए जल्दी-जल्दी वारदात कराना आसान हो जाता है। यही मेल—टेरर और क्राइम का—सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे जटिल चुनौती बनता है।
कानूनी मोर्चे पर, चार्जशीट दाखिल होने के बाद अदालत संज्ञान लेगी। इसके बाद ट्रायल का रोडमैप तय होगा—कस्टडी, सबूतों की वैधता, डिजिटल फॉरेंसिक, जब्त हथियारों की बैलिस्टिक रिपोर्ट और कथित सह-अपराधियों की कड़ियों की जांच अदालत के सामने आएगी। कई मामलों में एजेंसियां सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी देती हैं, खासकर तब जब विदेशी लिंक या फरार आरोपियों पर नई जानकारी मिलती है।
पंजाब के लिए यह केस इसलिए भी अहम है क्योंकि बीते समय में ड्रोन के जरिए हथियार/गोला-बारूद की सप्लाई, बॉर्डर पार से निर्देश, और घरेलू गैंगस्टर ग्रुप्स का इस्तेमाल—ये सब एक साथ दिखाई दिए हैं। जब किसी राज्य में गैंगस्टर इकोसिस्टम मजबूत हो जाए, तो आतंकी संगठनों के लिए ‘अस्थायी इन्फ्रास्ट्रक्चर’ तैयार हो जाता है—ड्राइवर, लॉजिस्टिक्स, ठिकाने, फर्जी दस्तावेज और फंडिंग तक। यही प्रक्रिया, एजेंसी के मुताबिक, BKI जैसे समूहों को जमीन पर पैर फैलाने में मदद करती है।

क्या-क्या सामने आया, क्यों मायने और आगे क्या
- चार्जशीट का केंद्र: जतिंदर सिंह उर्फ ‘जोटी’ पर आरोप कि उसने मध्य प्रदेश से अवैध हथियार लेकर पंजाब के ग्राउंड ऑपरेटिव्स को सप्लाई किए।
- नेटवर्क का नोड: Pavittar Batala के नेटवर्क और विदेश-स्थित सहयोगियों के निर्देश पर देश के भीतर हथियार और लॉजिस्टिक्स की कड़ी संभालना।
- बड़ी कड़ी: यह चैन BKI और लखबीर सिंह लंदा के मॉड्यूल तक पहुंचती है, जो पंजाब में अपराध-आतंक के मेल को बढ़ावा देती रही है।
- सुरक्षा नजरिया: इंटर-स्टेट हथियार बाजार, बॉर्डर-पार निर्देश और स्थानीय गैंगस्टरों का जोड़—इन्हीं तीन स्तंभों पर ऐसी साजिशें टिकती हैं।
टाइमलाइन भी साफ है—23 दिसंबर 2024 को ‘जोटी’ को मुंबई से पकड़ा गया, इसके बाद केस RC-21/2023/NIA/DLI में लगातार जांच आगे बढ़ी और अब मोहाली की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। एजेंसी ने जिन हथियारों और डिजिटल साक्ष्यों की बात की है, वे ट्रायल में केस की रीढ़ बनेंगे।
आगे क्या? अदालत संज्ञान लेगी और फिर अभियोजन तथा बचाव—दोनों पक्ष अपने-अपने दस्तावेज और दलीलें रखेंगे। अगर नेटवर्क में अन्य आरोपी या फरार संदिग्ध बाकी हैं, तो उनकी गिरफ्तारी और सप्लीमेंट्री चार्जशीट की दिशा में कार्रवाई तेज हो सकती है। पंजाब में कानून-व्यवस्था को स्थिर रखने के लिए इसी तरह के मॉड्यूल्स की समय रहते पहचान और ‘सप्लाई चेन’ तोड़ना जरूरी है—क्योंकि हथियार और लॉजिस्टिक्स रुकते ही ऐसे नेटवर्क कमजोर पड़ते हैं।
इस केस का व्यापक संदेश साफ है—विदेश-आधारित हैंडलर्स, घरेलू गैंगस्टर इन्फ्रा और इंटर-स्टेट हथियार बाजार, जब एक लाइन में जुड़ते हैं तो सुरक्षा पर सीधा वार होता है। चार्जशीट इसी कड़ी को खोलती दिखती है; अब अदालत में इसका कानूनी परिक्षण होगा—और वहीं तय होगा कि साजिश का कौन-सा हिस्सा कैसे, किस हद तक साबित होता है।