बड़ी दुर्घटना में रेल सुरक्षा पर सवाल
चेन्नई के पास कावरायपेट्टई में एक भयंकर ट्रेन दुर्घटना में मैसूर-दरभंगा बागमती एक्सप्रेस के 19 यात्री घायल हो गए, जब ट्रेन ने एक स्थिर मालगाड़ी से टकरा गई। यह हादसा शुक्रवार रात लगभग 8:30 बजे चेन्नई-गुदुर खंड में हुआ, जब यात्री ट्रेन के 12 डिब्बे पटरी से उतर गए। यह घटना न केवल यात्रियों के लिए भीषण चाराबाहे का कारण बनी, बल्कि रेल सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाने वाली घटना भी बन गई। इस तरह की दुर्घटनाओं के पीछे सुरक्षा में चूक से लेकर तकनीकी खराबी तक कई संभावित कारण हो सकते हैं, जो रेल अधिकारियों को इनके निदान और सुधार में योगदान दे सकते हैं।
घायलों की मदद और राहत कार्य
हादसे के तुरंत बाद, रेलवे अधिकारियों ने तेजी से राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए। गनीमत रही कि कोई जान-माल का बड़ा नुकसान नहीं हुआ और सभी घायल यात्री को तुरंत पास के अस्पतालों में पहुंचाया गया। रेलवे ने प्रभावित यात्रियों की मदद के लिए कई हेल्पलाइनों की घोषणा की, ताकि उन्हें अपने घरों तक पहुंचाया जा सके और हादसे के बाद की स्थिति से निपटने में सहायता की जा सके। यात्रियों और उनके परिजनों के लिए एक 'वॉर रूम' भी बनाया गया, जहां से वे सहायता प्राप्त कर सकते थे।
प्रशासन की तत्परता
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस दुर्घटना पर गहरा दुख प्रकट किया और अधिकारियों को तेज गति से राहत कार्य करने के निर्देश दिए। सरकार ने फंसे हुए यात्रियों के लिए भोजन और यात्रा की सुविधाओं का विशेष इंतजाम किया। एक विशेष ट्रेन को सुबह 4:45 बजे डॉ. एमजीआर चेन्नई सेंट्रल से रवाना किया गया, ताकि फंसे हुए यात्री अपने गंतव्य तक पहुंच सकें। यह दर्शाता है कि अधिकारियों ने समय पर कदम उठाकर बड़ी समस्याओं से बचने की पुरजोर कोशिश की।
सुरक्षा मानकों में सुधार की आवश्यकता
दक्षिणी रेलवे के जनरल मैनेजर आरएन सिंह ने इस हादसे के तकनीकी पहलू पर प्रकाश डाला कि कैसे ट्रेन ने मुख्य लाइन पर होने के बावजूद एक लूप लाइन के भीतर कदम रखा, जहां मालगाड़ी खड़ी थी। इस घटना ने ट्रेन संचालन को भी प्रभावित किया, जिससे कुछ ट्रेनों को दूसरा मार्ग लेने या स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। शुक्रवार रात आधे दर्जन से अधिक ट्रेनों को बदला गया, ताकि इसके बाद के परिणामों को कम किया जा सके।
भविष्य के लिए सबक
इस दुर्घटना ने रेलवे प्रशासन को ट्रेन के संचालन और सुरक्षा प्रोटोकॉल्स पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया है। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए, आधुनिक तकनीक, उन्नत निगरानी प्रणाली और लगातार प्रशिक्षण के माध्यम से सुरक्षा में सुधार करना आवश्यक हो गया है। यात्रियों के जीवन की जिम्मेदारी रेलवे की प्राथमिकता होनी चाहिए, जिससे किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके। यह समय है जब रेलवे को नवीनतम तकनीकों का सहारा लेकर सुरक्षा मानकों को सुदृढ़ करना चाहिए।
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