दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण और इसके खतरनाक प्रभाव।
हर साल की तरह इस बार भी दीवाली के बाद दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट देखी गई। आनंद विहार में दर्ज की गई वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 393 'विषय जागरूकता' की सीमा में आती है। हवा में अत्यधिक घुले हुए 'महत्त्वपूर्ण कण' PM10 इस पीछा करते हुए स्वास्थ्य जोखिमों के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक रहे। दीवाली के पटाखों से निकले धुएं, वाहनों के उत्सर्जन और उद्योगों के प्रदूषण के संभूत ये बढ़ोतरी व्यापक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। विशेष रूप से बुजुर्ग लोग, बच्चे और श्वसन की बीमारी से पीड़ित लोग इससे अधिक प्रभावित होते हैं।
दिल्ली के अन्य क्षेत्रों की स्थिति चिंता का विषय।
केवल आनंद विहार ही नहीं, बल्कि दिल्ली के अन्य स्थानों पर भी वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद नाजुक रही। आर के पुरम में AQI 382, पंजाबी बाग में 380, जहाँगीरपुरी में 371, बवाना में 366, और अशोक विहार में 359 दर्ज किया गया। इन सभी स्थानों पर वायु प्रदूषण स्तर 'बेहद खराब' की श्रेणी में थे। यह स्थिति तब और बदतर हो जाती है जब हवा बहना कम हो जाता है जिससे प्रदूषक तत्व और अधिक टिकाऊ हो जाते हैं।
मौसम विज्ञान विभाग की भविष्यवाणियाँ।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने दो आगामी दिनों के लिए हवा की गति में कमी की भविष्यवाणी की है, जिससे प्रदूषण के स्तर में वृद्धि की संभावना है। विभाग ने यह भी कहा है कि धीमी हवा के चलते धुंध, हल्की कोहरा और धुआं फैल सकता है। इसके अलावा, नवम्बर की पहली और दूसरी तारीख को आंशिक रूप से साफ आसमान होने के संकेत दिए गए हैं, जोकि हवा में प्रदूषण को और अधिक लंबे समय तक महत्वपूर्ण बनाए रख सकते हैं।
खराब वायु गुणवत्ता के स्वास्थ्य प्रभाव।
वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव किसी से छुपे नहीं हैं। खासकर दिल्ली जैसे महानगर में जहां पहले से ही जनसंख्या का दबाव और वाहनों की भरमार है। वायु गुणवत्ता सूचकांक का 'बेहद खराब' स्तर के रूप में चिन्हित होना स्वास्थ्य जोखिमों के लिए निमंत्रण के समान है। दीवाली के पटाखों से निकलने वाला धुआं और प्रदूषण, वायु के साथ मिलकर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और विभिन्न श्वसन संबंधी बीमारियों को बढ़ावा देता है। ना केवल सांस की बीमारी बल्कि हृदय रोगियों के लिए भी यह समय बेहद संवेदनशील होता है।
उपाय और संभावित समाधान।
दिल्ली के नागरिक, स्थानीय प्रशासन और नीति निर्माताओं को प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तात्कालिक उपायों और दीर्घकालिक समाधानों पर गहन विचार करना चाहिए। सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, हरियाली में वृद्धि, और स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को और अधिक बढ़ाने की जरूरत है। नीति निर्माण में बदलाव की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसे प्रदूषण स्तर को रोका जा सके। शिक्षका नीति, सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम और स्पष्ट दिशा निर्देश जरूरी हैं ताकि लोग अपने दैनिक जीवन में बदलाव लाकर प्रदूषण कम करने में मदद कर सकें।
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