मोहम्मद यूनुस का शेख हसीना पर सख्त रुख
बांग्लादेश की राजनीति में पिछले कुछ हफ्तों से हलचल मची हुई है। इसकी वजह है पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का भारत में रहना और वहां से दिए गए उनके बयानों। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में एक इंटरव्यू में शेख हसीना के इन बयानों पर कड़ा रुख अपनाते हुए इसे ‘अमित्रवत इशारा’ कहा है। यूनुस ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर भारत शेख हसीना को शरण देना जारी रखना चाहता है, तो उसे उन्हें तब तक चुप रहने के लिए कहना होगा जब तक कि बांग्लादेश उनसे प्रत्यर्पण की मांग नहीं करता।
भारत में हसीना की उपस्थिति से बढ़ा तनाव
यूनुस ने बताया कि शेख हसीना की भारत में उपस्थिति के कारण, जहां वो अपने इस्तीफे और बांग्लादेश से भागने के बाद लगभग चार हफ्तों से रह रही हैं, कयासों और तनावों में वृद्धि हुई है। यूनुस ने इस बात पर बल दिया कि हसीना को बांग्लादेश वापस लाना आवश्यक है ताकि उनके खिलाफ लंबित कई आपराधिक मामलों की सुनवाई हो सके।
द्विपक्षीय संबंधों पर दबाव
बांग्लादेश और भारत के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंध बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है, इस पर जोर देते हुए यूनुस ने कहा कि भारत को इस किस्से से आगे बढ़ना चाहिए जो केवल अवामी लीग के अलावा सभी राजनीतिक दलों को इस्लामिस्ट दर्शाता है। यूनुस के अनुसार, यह किस्सा दोनों देशों के संबंधों के लिए लाभकारी नहीं है।
यूनुस और मोदी की बातचीत
इंटरव्यू से पहले मोहम्मद यूनुस और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच फोन पर भी बातचीत हुई थी। दोनों नेताओं ने राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के तरीकों पर चर्चा की। यूनुस ने जोर देकर कहा कि वर्तमान संबंध बांग्लादेश और भारत के बीच कमजोर हैं और इन्हें सुधारने की आवश्यकता है।
समझौतों की समीक्षा की संभावना
यूनुस ने यह भी संकेत दिया कि कुछ समझौतों की समीक्षा की जा सकती है, जिनमें ट्रांज़िट समझौते और अडानी बिजली सौदा शामिल हैं। इन समझौतों की आलोचना की गई है क्योंकि इनसे बांग्लादेश के लोगों पर दबाव पड़ा है।
बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों में विरोधी सरकार प्रदर्शन अपनी चरम सीमा पर पहुँच गए थे। 5 अगस्त को इन प्रदर्शनों के चरम पर पहुँचने के बाद, शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और बांग्लादेश छोड़कर भारत चली आईं। उनकी इस अचानक और नाटकीय वापसी ने दोनों देशों के राजनीतिक ताने-बाने में और भी उलझाव पैदा कर दिए हैं।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंध किस दिशा में जाते हैं और क्या शेख हसीना की वापसी से बांग्लादेश की राजनीति में कोई नया मोड़ आता है। मोहम्मद यूनुस ने यह भी स्पष्ट किया कि जो भी कदम उठाए जाएंगे, उनका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांति और सौहार्द बनाये रखना होगा।
शेख हसीना की वापसी: एक नैतिक प्रश्न
शेख हसीना की बांग्लादेश वापसी को लेकर कई नैतिक प्रश्न भी उठ रहे हैं। क्या उन्हें अपने देश लौटकर कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करना चाहिए? या क्या भारत को उन्हें शरण देना जारी रखना चाहिए? यह एक महत्वपूर्ण सवाल है, जिसका उत्तर केवल राजनीति और कूटनीति नहीं बल्कि न्याय और मानवता की नजर से भी देखा जाना चाहिए। यूनुस ने अपने बयानों में यह साफ कर दिया है कि शेख हसीना की उपस्थिति बांग्लादेश और भारत दोनों के लिए असहज स्थिति पैदा कर रही है।
अभी यह देखना बाकी है कि क्या दोनों देशों के राजनैतिक नेतृत्व इस मुद्दे को शांति और समझदारी से सुलझा पाते हैं या नहीं।
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