पॉलीग्राफ टेस्ट को अक्सर लेयर इम्पीडेंस टेस्ट कहा जाता है। इसे आमतौर पर झूठ पकड़ने की मशीन कहा जाता है, लेकिन असल में यह आपका दिल की धड़कन, साँस, पसीना और रक्तचाप जैसी चीज़ों को रियल‑टाइम में मापता है। जब आप सवालों के जवाब देते हैं, तो आपका शरीर अनजाने में प्रतिक्रिया देता है, और पॉलीग्राफ इसे रिकॉर्ड कर देता है।
देश में कई बार पुलिस, सुरक्षा छत्रियों या बड़े कंपनियों की भर्ती में इस टेस्ट को इस्तेमाल किया जाता है। यह पूरी तरह से ‘जादू’ नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक सेंसरों पर आधारित एक तकनीक है, लेकिन इसके परिणाम हमेशा 100% सटीक नहीं होते।
आपको एक आरामदायक कुर्सी पर बैठाया जाता है और दो या तीन इलेक्ट्रोड्स हाथ‑पैर और धड़ पर लगाते हैं। फिर परीक्षक कुछ बेसिक सवाल पूछता है – जैसे आपका नाम, जन्म तिथि, और फिर कुछ ‘कंट्रोल’ सवाल (जैसे ‘क्या आप आज सुबह नाश्ता किया था?’) जो आपको सच बताने में आसान होते हैं। इस बीच मशीन आपके दिल की धड़कन, श्वास की दर और पसीने की मात्रा को कैप्चर करती है।
जब आप ‘कंट्रोल’ सवालों का उत्तर देते हैं और आपके शरीर की प्रतिक्रिया ‘सामान्य’ रहती है, तो परीक्षक फिर ‘संदेहास्पद’ सवाल पूछता है – जैसे आपसे जुड़ी किसी घटना का वर्णन। अगर उस सवाल के जवाब में आपके शरीर में अनजानी तनाव प्रतिक्रिया दिखती है, तो मशीन इसे बुल्बी ग्राफ़ में दिखाती है, जो परीक्षक को संकेत देता है कि यहाँ कुछ गड़बड़ हो सकती है।
ध्यान दें, यह सिर्फ एक संकेत है। असली निर्णय मानव परीक्षक के अनुभव और पैटर्न की समझ पर आधारित रहता है। इसलिए अक्सर निष्कर्ष को ‘संदेहास्पद’ या ‘सही’ कहा जाता है, न कि ‘झूठ’ या ‘सच’ की पूरी पुष्टि।
अगर आपको पॉलीग्राफ टेस्ट देना है, तो डरने की जरूरत नहीं। सबसे पहले आराम से रहिए और टेस्ट की प्रक्रिया को समझिए। कुछ आसान बातें जो मदद कर सकती हैं:
टेस्ट के दौरान परीक्षक से स्पष्ट सवाल पूछें, ताकि आप समझ सकें कि वह क्या पूछ रहा है। अगर कोई सवाल अस्पष्ट लगे, तो “मुझे समझ नहीं आया, कृपया दोहराएँ” कहना ठीक है। याद रखें, खुलापन और ईमानदारी आपके लिए सबसे बड़ा एसेट है।
पॉलीग्राफ टेस्ट के बाद भी अगर आपको लगता है कि परिणाम सही नहीं आए हैं, तो आप अपील कर सकते हैं। कई संस्थाओं में री‑एवाल्यूएशन की सुविधा होती है, जहाँ दोबारा टेस्ट करवा सकते हैं।
आखिर में, पॉलीग्राफ टेस्ट एक मददगार टूल है, लेकिन इसे पूरी सच्चाई की गारंटी नहीं माना जाना चाहिए। अगर आप इसे समझदारी से देखते हैं और सही तैयारी करते हैं, तो यह आपके लिए एक सुरक्षात्मक कदम बन सकता है, न कि डर का कारण।
सीबीआई ने कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और चार अन्य डॉक्टरों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की अनुमति मांगी है। यह मामला 31 वर्षीय चिकित्सक के रेप और हत्या के संदर्भ में है, जो 9 अगस्त को हुआ था। इस घटना के साक्ष्यों में गड़बड़ी की शिकायत है और सीबीआई इस पर न्यायालय से अनुमति की प्रतीक्षा कर रही है।